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बुधवार, 25 दिसंबर 2019

सूक्तयः।

१. प्रियेषु सौभाग्यफला हि चारुता।५.१
२. न धर्मवृद्धेषु वयः समीक्षते। ५.१६
३. शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्। ५.३३
४. कः करं प्रसारयेत्पन्नगरत्नसूचये। ५.४३
६. न रत्नमन्विष्यति मृग्यते हि तत्। ५.४५
७. मनोरथानामगतिर्न विद्यते। ५.६४
८. अपेक्ष्यते साधुजनेन वैदिकी श्मशानशूलस्य न यूपसत्क्रिया। ५.७३
९. अलोकसामान्यमचिन्त्यहेतुकं द्विषन्ति मन्दाश्चरितं महात्मनाम्। ५.७५
१०. न कामवृत्तिर्वचनीयमीक्षते। ५.८२
११. न केवलं यो महतोSपभाषते शृणोति तस्मादपि यः स पापभाक्। ५.८३
१२. क्लेशः फलेन हि पुनर्नवता विद्यते। ५.८६