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बुधवार, 21 सितंबर 2022

लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँ (proverbs) की परिभाषा

किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को 'लोकोक्ति' कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत कहते है।

उदाहरण- 'उस दिन बात-ही-बात में राम ने कहा, हाँ, मैं अकेला ही कुँआ खोद लूँगा। इन पर सबों ने हँसकर कहा, व्यर्थ बकबक करते हो, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता' । यहाँ 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता' लोकोक्ति का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है 'एक व्यक्ति के करने से कोई कठिन काम पूरा नहीं होता' ।

'लोकोक्ति' शब्द 'लोक + उक्ति' शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- लोक में प्रचलित उक्ति या कथन'। संस्कृत में 'लोकोक्ति' अलंकार का एक भेद भी है तथा सामान्य अर्थ में लोकोक्ति को 'कहावत' कहा जाता है।

चूँकि लोकोक्ति का जन्म व्यक्ति द्वारा न होकर लोक द्वारा होता है अतः लोकोक्ति के रचनाकार का पता नहीं होता। इसलिए अँग्रेजी में इसकी परिभाषा दी गई है- ' A proverb is a saying without an author' अर्थात लोकोक्ति ऐसी उक्ति है जिसका कोई रचनाकार नहीं होता।

वृहद् हिंदी कोश में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई है-

'विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों और लोक विश्वासों आदि पर आधारित चुटीली, सारगर्भित, संक्षिप्त, लोकप्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं, जिनका प्रयोग किसी बात की पुष्टि, विरोध, सीख तथा भविष्य-कथन आदि के लिए किया जाता है।

'लोकोक्ति' के लिए यद्यपि सबसे अधिक मान्य पर्याय 'कहावत' ही है पर कुछ विद्वानों की राय है कि 'कहावत' शब्द 'कथावृत्त' शब्द से विकसित हुआ है अर्थात कथा पर आधारित वृत्त, अतः 'कहावत' उन्हीं लोकोक्तियों को कहा जाना चाहिए जिनके मूल में कोई कथा रही हो। जैसे 'नाच न जाने आँगन टेढ़ा' या 'अंगूर खट्टे होना' कथाओं पर आधारित लोकोक्तियाँ हैं। फिर भी आज हिंदी में लोकोक्ति तथा 'कहावत' शब्द परस्पर समानार्थी शब्दों के रूप में ही प्रचलित हो गए हैं।

लोकोक्ति किसी घटना पर आधारित होती है। इसके प्रयोग में कोई परिवर्तन नहीं होता है। ये भाषा के सौन्दर्य में वृद्धि करती है। लोकोक्ति के पीछे कोई कहानी या घटना होती है। उससे निकली बात बाद में लोगों की जुबान पर जब चल निकलती है, तब 'लोकोक्ति' हो जाती है।

लोकोक्ति : प्रमुख अभिलक्षण

(1) लोकोक्तियाँ ऐसे कथन या वाक्य हैं जिनके स्वरूप में समय के अंतराल के बाद भी परिवर्तन नहीं होता और न ही लोकोक्ति व्याकरण के नियमों से प्रभावित होती है। अर्थात लिंग, वचन, काल आदि का प्रभाव लोकोक्ति पर नहीं पड़ता। इसके विपरीत मुहावरों की संरचना में परिवर्तन देखे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए 'अपना-सा मुँह लेकर रह जाना' मुहावरे की संरचना लिंग, वचन आदि व्याकरणिक कोटि से प्रभावित होती है; जैसे-
(i) लड़का अपना सा मुँह लेकर रह गया। 
(ii) लड़की अपना-सा मुँह लेकर रह गई। 
जबकि लोकोक्ति में ऐसा नहीं होता। उदाहरण के लिए 'यह मुँह मसूर की दाल' लोकोक्ति का प्रयोग प्रत्येक स्थिति में यथावत बना रहता है; जैसे-
(iii) है तो चपरासी पर कहता है कि लंबी गाड़ी खरीदूँगा। यह मुँह और मसूर की दाल।

(2) लोकोक्ति एक स्वतः पूर्ण रचना है अतः यह एक पूरे कथन के रूप में सामने आती है। भले ही लोकोक्ति वाक्य संरचना के सभी नियमों को पूरा न करे पर अपने में वह एक पूर्ण उक्ति होती है; जैसे- 'जाको राखे साइयाँ, मारि सके न कोय'।

(3) लोकोक्ति एक संक्षिप्त रचना है। लोकोक्ति अपने में पूर्ण होने के साथ-साथ संक्षिप्त भी होती है। आप लोकोक्ति में से एक शब्द भी इधर-उधर नहीं कर सकते। इसलिए लोकोक्तियों को विद्वानों ने 'गागर में सागर' भरने वाली उक्तियाँ कहा है।

(4) लोकोक्ति सारगर्भित एवं साभिप्राय होती है। इन्हीं गुणों के कारण लोकोक्तियाँ लोक प्रचलित होती हैं।

(5) लोकोक्तियाँ जीवन अनुभवों पर आधारित होती है तथा ये जीवन-अनुभव देश काल की सीमाओं से मुक्त होते हैं। जीवन के जो अनुभव भारतीय समाज में रहने वाले व्यक्ति को होते हैं वे ही अनुभव योरोपीय समाज में रहने वाले व्यक्ति को भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए निम्नलिखित लोकोक्तियों में अनुभूति लगभग समान है-
(i) एक पंथ दो काज- To kill two birds with one stone.
(ii) नया नौ दिन पुराना सौ दिन- Old is gold.

(6) लोकोक्ति का एक और प्रमुख गुण है उनकी सजीवता। इसलिए वे आम आदमी की जुबान पर चढ़ी होती है।

(7) लोकोक्ति जीवन के किसी-न-किसी सत्य को उद्घाटित करती है जिससे समाज का हर व्यक्ति परिचित होता है।

(8) सामाजिक मान्यताओं एवं विश्वासों से जुड़े होने के कारण अधिकांश लोकोक्तियाँ लोकप्रिय होती है।

(9) चुटीलापन भी लोकोक्ति की प्रमुख विशेषता है। उनमें एक पैनापन होता है। इसलिए व्यक्ति अपनी बात की पुष्टि के लिए लोकोक्ति का सहारा लेता है।

मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरे

लोकोक्तियाँ

(1) मुहावरे वाक्यांश होते हैं, पूर्ण वाक्य नहीं; जैसे- अपना उल्लू सीधा करना, कलम तोड़ना आदि। जब वाक्य में इनका प्रयोग होता तब ये संरचनागत पूर्णता प्राप्त करती है।

(1) लोकोक्तियाँ पूर्ण वाक्य होती हैं। इनमें कुछ घटाया-बढ़ाया नहीं जा सकता। भाषा में प्रयोग की दृष्टि से विद्यमान रहती है; जैसे- चार दिन की चाँदनी फेर अँधेरी रात।

(2) मुहावरा वाक्य का अंश होता है, इसलिए उनका स्वतंत्र प्रयोग संभव नहीं है; उनका प्रयोग वाक्यों के अंतर्गत ही संभव है।

(2) लोकोक्ति एक पूरे वाक्य के रूप में होती है, इसलिए उनका स्वतंत्र प्रयोग संभव है।

(3) मुहावरे शब्दों के लाक्षणिक या व्यंजनात्मक प्रयोग हैं।

(3) लोकोक्तियाँ वाक्यों के लाक्षणिक या व्यंजनात्मक प्रयोग हैं।

(4) वाक्य में प्रयुक्त होने के बाद मुहावरों के रूप में लिंग, वचन, काल आदि व्याकरणिक कोटियों के कारण परिवर्तन होता है; जैसे- आँखें पथरा जाना। 
प्रयोग- पति का इंतजार करते-करते माला की आँखें पथरा गयीं।

(4) लोकोक्तियों में प्रयोग के बाद में कोई परिवर्तन नहीं होता; जैसे- अधजल गगरी छलकत जाए। 
प्रयोग- वह अपनी योग्यता की डींगे मारता रहता है जबकि वह कितना योग्य है सब जानते हैं। उसके लिए तो यही कहावत उपयुक्त है कि 'अधजल गगरी छलकत जाए।

(5) मुहावरों का अंत प्रायः इनफीनीटिव 'ना' युक्त क्रियाओं के साथ होता है; जैसे- हवा हो जाना, होश उड़ जाना, सिर पर चढ़ना, हाथ फैलाना आदि।

(5) लोकोक्तियों के लिए यह शर्त जरूरी नहीं है। चूँकि लोकोक्तियाँ स्वतः पूर्ण वाक्य हैं अतः उनका अंत क्रिया के किसी भी रूप से हो सकता है; जैसे- अधजल गगरी छलकत जाए, अंधी पीसे कुत्ता खाए, आ बैल मुझे मार, इस हाथ दे, उस हाथ ले, अकेली मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।

(6) मुहावरे किसी स्थिति या क्रिया की ओर संकेत करते हैं; जैसे हाथ मलना, मुँह फुलाना?

(6) लोकोक्तियाँ जीवन के भोगे हुए यथार्थ को व्यंजित करती हैं; जैसे- न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी, ओस चाटे से प्यास नहीं बुझती, नाच न जाने आँगन टेढ़ा।

(7) मुहावरे किसी क्रिया को पूरा करने का काम करते हैं।

(7) लोकोक्ति का प्रयोग किसी कथन के खंडन या मंडन में प्रयुक्त किया जाता है।

(8) मुहावरों से निकलने वाला अर्थ लक्ष्यार्थ होता है जो लक्षणा शक्ति से निकलता है।

(8) लोकोक्तियों के अर्थ व्यंजना शक्ति से निकलने के कारण व्यंग्यार्थ के स्तर के होते हैं।

(9) मुहावरे 'तर्क' पर आधारित नहीं होते अतः उनके वाच्यार्थ या मुख्यार्थ को स्वीकार नहीं किया जा सकता; 
जैसे- ओखली में सिर देना, घाव पर नमक छिड़कना, छाती पर मूँग दलना।

(9) लोकोक्तियाँ प्रायः तर्कपूर्ण उक्तियाँ होती हैं। कुछ लोकोक्तियाँ तर्कशून्य भी हो सकती हैं; जैसे-
तर्कपूर्ण :
(i) काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती। 
(ii) एक हाथ से ताली नहीं बजती। 
(iii) आम के आम गुठलियों के दाम। 
तर्कशून्य :
(i) छछूंदर के सिर में चमेली का तेल।

(10) मुहावरे अतिशय पूर्ण नहीं होते।

(10) लोकोक्तियाँ अतिशयोक्तियाँ बन जाती हैं।

यहाँ कुछ लोकोक्तियाँ व उनके अर्थ तथा प्रयोग दिये जा रहे हैं-

( अ )

अन्धों में काना राजा= (मूर्खो में कुछ पढ़ा-लिखा व्यक्ति) 
प्रयोग- मेरे गाँव में कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति तो है नही; इसलिए गाँववाले पण्डित अनोखेराम को ही सब कुछ समझते हैं। ठीक ही कहा गया है, अन्धों में काना राजा।

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता= (अकेला आदमी बिना दूसरों के सहयोग के कोई बड़ा काम नहीं कर सकता।) 
प्रयोग- मैं जानता हूँ कि 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता' फिर भी जो काम अपने करने का है, वह जरूर करूँगा।

अधजल गगरी छलकत जाय= (जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता हैं, वह उसका प्रदर्शन या आडम्बर करता है।) 
प्रयोग- रमेश बारहवीं पास करके स्वयं को बहुत बड़ा विद्वान समझ रहा है। ये तो वही बात हुई कि अधजल गगरी छलकत जाय।

अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत= (समय निकल जाने के पश्चात् पछताना व्यर्थ होता है)
प्रयोग- सारे साल तुम मस्ती मारते रहे, अध्यापकों और अभिभावक की एक न सुनी। अब बैठकर रो रहे हो। ठीक ही कहा गया है- अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।

अन्धा बाँटे रेवड़ी फिर-फिर अपनों को दे= (अधिकार पाने पर स्वार्थी मनुष्य केवल अपनों को ही लाभ पहुँचाते हैं।) 
प्रयोग- मालिक आगरा का है, इसलिए उसने आगरावासी को ही नियुक्त कर लिया। ये तो वही बात हुई कि अन्धा बाँटे रेवड़ी फिर-फिर अपनों को दे।

अन्धा क्या चाहे दो आँखें= (मनचाही बात हो जाना) 
प्रयोग- अभी मैं विद्यालय से अवकाश लेने की सोच ही रही थी कि मेघा ने मुझे बताया कि कल विद्यालय में अवकाश है। यह तो वही हुआ- अन्धा क्या चाहे दो आँखें।

अंधों के आगे रोना, अपना दीदा खोना= (मूर्खों को सदुपदेश देना या अच्छी बात बताना व्यर्थ है।)
प्रयोग- मुन्ना को समझाना तो अंधे के आगे रोना, अपना दीदा खोना वाली बात है।

अंधी पीसे, कुत्ते खायें= (मूर्खों की कमाई व्यर्थ में नष्ट हो जाती है।)
प्रयोग- रजनी अपने आपको बुद्धिमान समझती है, किन्तु उसका काम अंधी पीसे, कुत्ते खायें वाला है।

अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा= (जहाँ मालिक मूर्ख हो वहाँ सद्गुणों का आदर नहीं होता।)
प्रयोग- मनोज की कंपनी में चपरासी और मैनेजर का वेतन बराबर है, वहाँ तो कहावत चरितार्थ होती है कि अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा।

अक्ल के अंधे, गाँठ के पूरे= (बुद्धिहीन, किन्तु धनवान)
प्रयोग- सेठ जी तो अक्ल के अंधे, गाँठ के पूरे हैं।

अक्ल बड़ी या भैंस= (बुद्धि शारीरिक शक्ति से अधिक श्रेष्ठ होती है। 
प्रयोग- ये कहानी तो सबने पढ़ी ही होगी कि खरगोश ने अपनी अक्ल से शेर को कुएँ में कुदा दिया था। यह कहावत मशहूर है कि अक्ल बड़ी या भैंस।

अति सर्वत्र वर्जयेत्= (किसी भी काम में हमें मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। 
प्रयोग- अधिकांश बच्चे परीक्षा के समय रात-दिन पढ़ते हैं और बाद में फिर बीमार पड़ जाते हैं, यह कहावत सही है- अति सर्वत्र वर्जयेत्।

अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग=(कोई काम नियम-कायदे से न करना)
प्रयोग- इस ऑफिस में तो जो जिसके मन में आता, वह करता है। इसी को कहते हैं- अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग।

अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है= (अपने घर या गली-मोहल्ले में बहादुरी दिखाना) 
प्रयोग- तुम अपने मोहल्ले में बहादुरी दिखा रहे हो। अरे, अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है।

अपनी पगड़ी अपने हाथ= (अपनी इज्जत अपने हाथ होती है।)
प्रयोग- विवेक ने श्रीनाथ जी से कहा- आप यहाँ से चले जाइए, क्योंकि अपनी पगड़ी अपने हाथ होती है।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू= (अपनी बड़ाई या प्रशंसा स्वयं करने वाला)
प्रयोग-रामू हमेशा अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनता है।

अमानत में खयानत= (किसी के पास अमानत के रूप में रखी कोई वस्तु खर्च कर देना)
प्रयोग- अध्यापक ने हमें बताया कि अमानत में खयानत करना अच्छी बात नहीं होती।

अस्सी की आमद, चौरासी खर्च= (आमदनी से अधिक खर्च)
प्रयोग-राजू के तो अस्सी की आमद, चौरासी खर्च हैं। इसलिए उसके वेतन में घर का खर्च नहीं चलता।

अपनी करनी पार उतरनी= (मनुष्य को अपने कर्म के अनुसार ही फल मिलता है)
प्रयोग- आज अपना प्रवचन करते हुए स्वामी जी समझाया था कि जो जैसा करता है वैसा ही उसे उसका परिणाम मिलता है। इस संसार सागर से पार जाने के लिए अपने कर्मो को शुद्ध करो क्योंकि अपनी करनी पार उतरनी वाली बात ही जीवन में सत्य होती है।

अशर्फियाँ लुटें, कोयलों पर मुहर = (एक तरफ फिजूलखर्ची, दूसरी ओर एक-एक पैसे पर रोक लगाना)
प्रयोग- सत्येंद्र रोज होटलों में दारू और जुए पर हजारों रुपये उड़ा देता है लेकिन बेचारे कामगारों को उनका मेहनताना देने की बात आती है तो आनाकानी और बहानेबाजी करता है। इसे कहते हैं कि एक ओर तो अशर्फियाँ लुटें, दूसरी ओर कोयलों पर मुहर।

अपना ढेंढर न देखे और दूसरे की फूली निहारे= (अपना दोष न देखकर दूसरों का दोष देखना)

( आ )

ओखली में सिर दिया, तो मूसलों से क्या डर= (काम करने पर उतारू होना)
प्रयोग- जब मैनें देशसेवा का व्रत ले लिया, तब जेल जाने से क्यों डरें? जब ओखली में सिर दिया, तब मूसलों से क्या डर।

आ बैल मुझे मार= (स्वयं मुसीबत मोल लेना)
प्रयोग- लोग तुम्हारी जान के पीछे पड़े हुए हैं और तुम आधी-आधी रात तक अकेले बाहर घूमते रहते हो। यह तो वही बात हुई- आ बैल मुझे मार। 

आँखों के अन्धे नाम नयनसुख= (गुण के विरुद्ध नाम होना) 
प्रयोग- उसका नाम तो करोड़ीमल है परन्तु वह पैसे-पैसे के लिए मारा-मारा फिरता है। इसे कहते है- आँखों के अन्धे नाम नयनसुख।

आँख का अन्धा नाम नयनसुख= (गुण के विरुद्ध नाम होना।)
प्रयोग- एक मियाँजी का नाम था शेरमार खाँ। वे अपने दोस्तों से गप मार रहे थे। इतने में घर के भीतर बिल्लियाँ म्याऊँ-म्याऊँ करती हुई लड़ पड़ी। सुनते ही शेरमार खाँ थर-थर काँपने लगे। यह देख एक दोस्त ठठाकर हँस पड़ा और बोला कि वाह जी शेरमार खाँ, आपके लिए तो यह कहावत बहुत ठीक है कि आँख का अन्धा नाम नयनमुख।

आँख के अन्धे गाँठ के पूरे= (मूर्ख किन्तु धनवान)
प्रयोग- आप इस मकान का बहुत दाम मांग रहे हैं। इसे तो वह खरीदेगा जो आँख के अन्धे और गाँठ के पूरे होगा।

आग लगन्ते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ= नुकसान होते-होते जो कुछ बच जाय, वही बहुत है।
प्रयोग- किसी के घर चोरी हुई। चोर नकद और जेवर कुल उठा ले गये। बरतनों पर जब हाथ साफ करने लगे, तब उनकी झनझनाहट सुनकर घर के लोग जाग उठे। देखा तो कीमती माल सब गायब। घर के मालिकों ने बरतनों पर आँखें डालकर अफसोस करते हुए कहा कि खैर हुई, जो ये बरतन बच गये। आग लगन्ते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ। यदि ये भी चले गये होते, तो कल पत्तों पर ही खाना पड़ता।

आगे नाथ न पीछे पगहा= (किसी तरह की जिम्मेवारी का न होना)
प्रयोग- अरे, तुम चक्कर न मारोगे तो और कौन मारेगा? आगे नाथ न पीछे पगहा। बस, मौज किये जाओ।

आम के आम गुठलियों के दाम= (अधिक लाभ)
प्रयोग- सब प्रकार की पुस्तकें 'साहित्य भवन' से खरीदें और पास होने पर आधे दामों पर बेचें। 'आम के आम गुठलियों के दाम' इसी को कहते हैं।

आगे कुआँ, पीछे खाई= (दोनों तरफ विपत्ति या परेशानी होना)
प्रयोग- सुरेश के सामने तब आगे कुआँ, पीछे खाई वाली बात हो गई जब बदमाशों ने कहा कि या तो वह गोली खाए या सारा सामान उनको दे दे।

आई मौज फकीर को, दिया झोंपड़ा फूँक= (वैरागी स्वभाव के पुरुष मनमौजी होते हैं।) 
प्रयोग- उस वैरागी स्वभाव के मनुष्य ने जब अपनी सारी सम्पत्ति गरीबों को दे दी, तब उसकी प्रशंसा करते हुए लोगों ने कहा- आई मौज फकीर को, दिया झोंपड़ा फूँक।

आज हमारी, कल तुम्हारी= (जीवन में विपत्ति सब पर आती है।)
प्रयोग- यह नहीं भूलना चाहिए कि समय सदा बदलता रहता है- आज हमारी, कल तुम्हारी।

आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे न सारी पावे= (अधिक लालच करना बुरा होता है)
प्रयोग- अधिक वेतन के चक्कर में रामू ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अब उसकी वो नौकरी भी छूट गई; ये तो वही कहावत हो गई कि 'आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे न सारी पावे'।

आप काज, महा काज= (अपना काम स्वयं करने से ठीक होता है।)
प्रयोग- राजू अपना काम दूसरों पर नहीं छोड़ता। उसे स्वयं करता है, क्योंकि उसका विश्वास है कि 'आप काज, महा काज'।

आये थे हरि-भजन को, ओटन लगे कपास= (आवश्यक कार्य को छोड़कर अनावश्यक कार्य में लग जाना)
प्रयोग- सेठ हेमचंद अपने परिवार को लेकर गए तो थे मसूरी प्रकृति का आनंद उठाने। पर लालच ने पीछा न छोड़ा और वहाँ जाकर भी सारा समय होटल में बैठे रहे और फोन पर धंधे की बातों में ही लगे रहे। ऐसे लोगों के लिए ही कहा गया है आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास।

आप भला तो जग भला= (दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए तो दूसरे भी अच्छा व्यवहार करेंगे)
प्रयोग- तुम्हारे पिताजी बहुत ईमानदार हैं इसलिए सबको ईमानदार समझते हैं। इसलिए कहा जाता है- आप भले तो जग भला।

आसमान से गिरे खजूर में अटके= (एक मुसीबत खत्म न हो उससे पहले दूसरी मुसीबत आ जाए)
प्रयोग- पिछले माह सेठ रामरतन को पुलिस ने काला बाजारी के जुर्म में पकड़ा था। अभी उस झंझट से मुक्त भी नहीं हो पाए थे कि कल उनके यहाँ इनकम टैक्स वालों की रेड पड़ गई, अब बेचारे सेठजी का क्या होगा क्योंकि उनकी हालत तो आसमान से गिरे खजूर में अटके वाली है।

आप डूबे जग डूबा= (जो स्वयं बुरा होता है, दूसरों को भी बुरा समझता है।)

आग लगाकर जमालो दूर खड़ी= (झगड़ा लगाकर अलग हो जाना)

आधा तीतर आधा बटेर= (बेमेल स्थिति)

ओछे की प्रीत बालू की भीत=(नीचों का प्रेम क्षणिक)

ओस चाटने से प्यास नहीं बूझती= (अधिक कंजूसी से काम नहीं चलता)

( इ, ई )

इतनी-सी जान, गज भर की जुबान= (बहुत बढ़-बढ़ कर बातें करना)
प्रयोग- चार साल की बच्ची जब बड़ी-बड़ी बातें करने लगी तो दादाजी बोले- इतनी सी जान, गज भर की जुबान।

इधर कुआँ और उधर खाई= (हर तरफ विपत्ति होना)
प्रयोग- न बोलने में भी बुराई है और बोलने में भी; ऐसे में मेरे सामने इधर कुआँ और उधर खाई है।

इन तिलों में तेल नहीं निकलता= कंजूसों से कुछ प्राप्त नहीं हो सकता। 
प्रयोग- तुम यहाँ व्यर्थ ही आए हो मित्र! ये तुम्हें कुछ नहीं देंगे- इन तिलों में से तेल नहीं निकलेगा।

ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया= (ईश्वर की बातें विचित्र हैं।)
प्रयोग- कई बेचारे फुटपाथ पर ही रातें गुजारते हैं और कई भव्य बंगलों में आनन्द करते हैं। सच है ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया।

ईंट की लेनी, पत्थर की देनी= (बदला चुकाना)
प्रयोग- अशोक ईंट की लेनी, पत्थर की देनी वाले स्वभाव का आदमी है।

ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया= (संसार में सभी एक जैसे नहीं हैं- कोई अमीर है, कोई गरीब)
प्रयोग- अमीर-गरीब हर जगह होते हैं। सब ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया है।

इस हाथ दे, उस हाथ ले= (लेने का देना)
प्रयोग- प्रिंसीपल ने मेरे पिता जी से कहा, 'आप मेरे भाई को अपने ऑफिस में, नौकरी पर रख लीजिए; मैं आपके बेटे को अपने स्कूल में एडमीशन दे दूँगा।' इसे कहते हैं इस हाथ दे, उस हाथ ले।

( उ )

उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे= (अपराधी निरपराध को डाँटेे)
प्रयोग- एक तो पूरे वर्ष पढ़ाई नहीं की और अब परीक्षा में कम अंक आने पर अध्यापिका को दोष दे रहे हैं। यह तो वही बात हो गई- उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे।

उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई= (इज्जत जाने पर डर किसका?)
प्रयोग- जब लोगों ने उसे बिरादरी से ख़ारिज कर दिया है अब वह खुलेआम आवारागर्दी कर रहा है- 'उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई'।

उल्टे बांस बरेली को= (जहाँ जिस वस्तु की आवश्यकता न हो, उसे वहां ले जाना)
प्रयोग- जब राजू अनाज शहर से गाँव ले जाने लगा तो उसके पिताजी ने कहा कि ये तो उल्टे बांस बरेली वाली बात है। यहाँ क्या अनाज की कोई कमी है।

उसी का जूता उसी का सिर= (किसी को उसी की युक्ति या चाल से बेवकूफ बनाना)
प्रयोग- जब चोर पुलिस की बेल्ट से पुलिस को ही मारने लगा तो सबने यही कहा कि ये तो उसी का जूता उसी का सिर वाली बात हो गई।

उद्योगिन्न पुरुषसिंहनुपैति लक्ष्मी= (उद्योगी को ही धन मिलता है।)

( ऊ )

ऊँची दुकान फीके पकवान= (जिसका नाम अधिक हो, पर गुण कम हो)
प्रयोग- उस कंपनी का नाम ही नाम है, गुण तो कुछ भी नहीं है। बस 'ऊँची दुकान फीके पकवान' है।

ऊँट के मुँह में जीरा= (जरूरत के अनुसार चीज न होना)
प्रयोग- विद्यालय के ट्रिप में जाने के लिए 2,500 रुपये चाहिए थे, परंतु पिता जी ने 1,000 रुपये ही दिए। यह तो ऊँट के मुँह में जीरे वाली बात हुई।

ऊधो का लेना न माधो का देना= (केवल अपने काम से काम रखना)
प्रयोग- प्रोफेसर साहब तो बस अध्ययन और अध्यापन में लगे रहते हैं। गुटबन्दी से उन्हें कोई लेना-देना नहीं- ऊधो का लेना न माधो का देना।

ऊपर-ऊपर बाबाजी, भीतर दगाबाजी= (बाहर से अच्छा, भीतर से बुरा)

ऊँचे चढ़ के देखा, तो घर-घर एकै लेखा= (सभी एक समान)

ऊँट किस करवट बैठता है= (किसकी जीत होती है।)

ऊँट बहे और गदहा पूछे कितना पानी= (जहाँ बड़ों का ठिकाना नहीं, वहाँ छोटों का क्या कहना)

( ए )

एक पन्थ दो काज= (एक काम से दूसरा काम हो जाना)
प्रयोग- दिल्ली जाने से एक पन्थ दो काज होंगे। कवि-सम्मेलन में कविता-पाठ भी करेंगे और साथ ही वहाँ की ऐतिहासिक इमारतों को भी देखेंगे।

एक हाथ से ताली नहीं बजती= (झगड़ा एक ओर से नहीं होता।) 
प्रयोग- आपसी लड़ाई में राम और श्याम-दोनों स्वयं को निर्दोष बता रहे थे, परंतु यह सही नहीं हो सकता, क्योंकि ताली एक हाथ से नहीं बजती।

एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा= (कुटिल स्वभाव वाले मनुष्य बुरी संगत में पड़ कर और बिगड़ जाते है।)
प्रयोग- कालू तो पहले से ही बिगड़ा हुआ था अब उसने आवारा लोगों का साथ और कर लिया है- एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा।

एक तो चोरी, दूसरे सीनाज़ोरी= (गलत काम करके आँख दिखाना)
प्रयोग- एक तो उसने मेरी किताब चुरा ली, ऊपर से आँखें दिखा रहा है। इसी को कहते हैं- 'एक तो चोरी, दूसरे सीनाज़ोरी।'

एक अनार सौ बीमार= (जिस चीज के बहुत चाहने वाले हों)
प्रयोग- अभिषेक जहाँ कम्प्यूटर सीखता है वहाँ कम्प्यूटर एक है और सीखने वाले बीस हैं- ये तो वही बात हुई कि एक अनार सौ बीमार।

एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है= (एक खराब चीज सारी चीजों को खराब कर देती है।)
प्रयोग- मेरी कक्षा में नानक नामक एक छात्र था जो छात्रों की किताबें चुरा लेता था। इससे पूरी कक्षा बदनाम हो गई। कहते भी हैं- 'एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।'

एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं= (एक वस्तु के दो समान अधिकारी नहीं हो सकते)
प्रयोग- किशनलाल ने दो शादियाँ की थी। दोनों पत्नियाँ में रोज झगड़ा होता था। तंग आकर किशनलाल एक दिन घर छोड़कर चला गया। बेचारा क्या करता एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती, यह बात उसे कौन बताता?

एक अकेला, दो ग्यारह= (संगठन में शक्ति होती है)
प्रयोग- पिताजी ने दोनों बेटों को समझाते हुए कहा, यदि तुम दोनों मिलकर व्यापार करोगे तो दिन-दूनी रात चौगुनी उन्नति होगी। हमेशा याद रखना, 'एक अकेला, और दो ग्यारह' होते हैं।

एक तंदुरुस्ती, हजार नियामत= (स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है)
प्रयोग- आप सभी को रोज प्राणायाम करना चाहिए, प्राणायाम करते रहोगे तो सेहत अच्छी रहेगी। सेहत अच्छी होगी तो जीवन में कुछ भी कर सकोगे, एक तंदुरुस्ती, हजार नियामत।

एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय= (किसी कार्य को संपन्न कराने के लिए किसी एक समर्थ व्यक्ति का सहारा लेना अच्छा है बजाए अनेक लोगों के पीछे भागने के)
प्रयोग- अगर प्रमोशन चाहिए तो मंत्रीजी को पकड़ लो, इन अधिकारियों के पीछे भागने से कोई लाभ नहीं। किसी ने ठीक कहा है एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय'।

एक ही थैली के चट्टे-बट्टे= (एक ही प्रवृत्ति के लोग)
प्रयोग- अरे भाई, रोहन और मोहन पर विश्वास मत करना। दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। समझ लो एक नागनाथ है, तो दूसरा साँपनाथ।

( ऐ )

ऐरा-गैरा नत्थू खैरा= (मामूली आदमी)
प्रयोग- कोई 'ऐरा-गैरा नत्थू खैरा' महेश के ऑंफिस के अन्दर नहीं जा सकता।

ऐरे गैरे पंच कल्याण= (ऐसे लोग जिनके कहीं कोई इज्जत न हो)
प्रयोग- पंचों की सभा में ऐरे गैरे पंच कल्याण का क्या काम!

'ऐसो को प्रकट्यो जगमाँही, प्रभुता पाय जाहि मदनाहीं'= (जिसके पास धन-संपत्ति होती है, वह अहंकारी होता है)
प्रयोग- रमाकांत की जबसे एक करोड़ की लॉटरी लगी है, धन के नशे में किसी को कुछ समझता ही नहीं। ऐसे लोगों के लिए ही तुलसीदास ने कहा है- 'ऐसो को प्रकट्यो जगमाँही, प्रभुता पाय जाहि मदनाहीं।'

( ओ )

ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर= (कष्ट सहने के लिए तैयार व्यक्ति को कष्ट का डर नहीं रहता।)
प्रयोग- बेचारी शांति देवी ने जब ओखली में सिर दे ही दिया है तब मूसलों से डरकर भी क्या कर लेगी!

ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती= (किसी को इतनी कम चीज मिलना कि उससे उसकी तृप्ति न हो।)
प्रयोग- किसी के देने से कब तक गुजर होगी, तुम्हें यह जानना चाहिए कि 'ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती'।

ओछे की प्रीति, बालू की भीति= (दुष्ट का प्रेम अस्थिर होता है)
प्रयोग- भई शंकर! दयाराम जैसे घटिया आदमी से अब भी तुम्हारी पटती है?' शंकर बोला, 'नहीं चाचाजी! मैंने उसका साथ छोड़ दिया। अब मैं समझ चुका हूँ कि ओछे की प्रीति, बालू की भीति के समान होती है'।

( क )

कहाँ राजा भोज कहाँ गाँगू तेली= (उच्च और साधारण की तुलना कैसी)
प्रयोग- तुम सेठ करोड़ीमल के बेटे हो। मैं एक मजदूर का बेटा। तुम्हारा और मेरा मेल कैसा ? कहाँ राजा भोज कहाँ गाँगू तेली।

कंगाली में आटा गीला= (परेशानी पर परेशानी आना) 
प्रयोग- पिता जी की बीमारी की वजह से घर में वैसे ही आर्थिक तंगी चल रही है, ऊपर से बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी बढ़ गया। इसे कहते हैं- कंगाली में आटा गीला।

कोयले की दलाली में मुँह काला= (बुरों के साथ बुराई ही मिलती है)
प्रयोग- तुम्हें हजार बार समझाया चोरी मत करो, एक दिन पकड़े जाओगे। अब भुगतो। कोयले की दलाली में हमेशा मुँह काला ही होता है।

कहीं की ईट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा= (बेमेल वस्तुओं को एक जगह एकत्र करना)
प्रयोग- शर्मा जी ने ऐसी किताब लिखी है कि किताब में कहीं कुछ मेल नहीं खाता। उन्होंने तो वही हाल किया है- 'कहीं की ईट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा'।

काला अक्षर भैंस बराबर= (बिल्कुल अनपढ़ व्यक्ति)
प्रयोग- कालू तो अख़बार भी नहीं पढ़ सकता, वह तो काला अक्षर भैंस बराबर है।

कभी घी घना, कभी मुट्ठी चना= (जो मिल जाए उसी में संतुष्ट रहना)
प्रयोग- वह सच्चा साधु है; जो कुछ पाता है वही खाकर संतुष्ट हो जाता है- कभी घी घना, कभी मुट्ठी चना।

करे कोई, भरे कोई= (अपराध कोई करे, दण्ड किसी और को मिले)
प्रयोग- चोरी रामू ने की और पकड़ा गया राजू। इसी को कहते हैं- 'करे कोई, भरे कोई'।

कागा चले हंस की चाल= (गुणहीन व्यक्ति का गुणवान व्यक्ति की भांति व्यवहार करना)
प्रयोग- राजू गँवार है, परन्तु जब सूटबूट पहन कर निकलता है तो जैंटलमैन लगता है। इसी को कहते हैं- 'कागा चले हंस की चाल'।

काम को काम सिखाता है= (कोई भी काम करने से ही आता है।)
प्रयोग- मित्र, तुम क्यों चिन्ता करते हो- सब सीख जाओगे। कहावत भी मशहूर है- 'काम को काम सिखाता है'कै हंसा मोती चुगे, कै लंघन मर जाय

कुत्ता भी अपनी गली में शेर होता है= (अपने घर में निर्बल भी बलवान या बहादुर होता है।)
प्रयोग- जब रवि ने कालू को अपनी गली में मारा तो उसने कहा कि कुत्ता भी अपनी गली में शेर होता है, तू मेरे मोहल्ले में आना।

कुत्तों के भौंकने से हाथी नहीं डरते= (विद्वान लोग मूर्खों और ओछों की बातों की परवाह नहीं करते)
प्रयोग- लोगों ने गाँधीजी की कटु आलोचनाएँ कीं, पर वे अपने सिद्धांत पर अटल रहे, डरे नहीं। कहावत भी है- ' कुत्तों के भौंकने से हाथी नहीं डरते'।

कै हंसा मोती चुगे, कै लंघन मर जाय= (प्रतिष्ठित और विद्वान व्यक्ति अपने अनुकूल प्रतिष्ठा के साथ ही जाना ठीक समझता है।)
प्रयोग- रवि ने माता-पिता से कहा कि वह एम.ए. करके चपरासी की नौकरी नहीं करेगा- 'कै हंसा मोती चुगे, कै लंघन मर जाय'।

कोयले की दलाली में हाथ काले= (बुरी संगत का बुरा असर)
प्रयोग- कालू बुरी संगत में पड़ गया है, सब कहते हैं कि यह बुरी संगत छोड़ दे, क्योंकि कोयले की दलाली में हाथ काले हो ही जाते हैं।

कबहुँ निरामिष होय न कागा= (दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता)
प्रयोग- रमन ने कहा था कि यह इंजीनियर उसका जानने वाला है अतः बिना कुछ लिए दिए नक्शा पास कर देगा पर वह तो पचास हजार माँग रहा है। मुझे तो अब इस कहावत पर विश्वास हो गया है कि 'कबहुँ निरामिष होय न कागा'।

काठ की हाँड़ी बार-बार नहीं चढ़ती= (चालाकी से एक ही बार काम निकलता है)
प्रयोग- एक बार तो मुझसे झूठ बोल कर कर्जा ले गए लेकिन हर बार तुम मुझे मुर्ख नहीं बना सकते। ध्यान रखो, 'काठ की हाँड़ी बार-बार नहीं चढ़ती'।

का वर्षा जब कृषि सुखाने= (समय निकल जाने पर मदद करना व्यर्थ है)
प्रयोग- मुझे रुपयों की जरूरत तो परसों थी और तुम देने आए हो आज। अब मैं इनका क्या करूँगा, अब तो प्लॉंट बुक नहीं कर सकता। अंतिम तिथि निकल गई। किसी ने सच ही कहा है कि 'का वर्षा जब कृषि सुखाने'।

कहे से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता=(मूर्ख पर समझाने का असर नहीं होता)
प्रयोग- पूरे दिन सुशील बाँसुरी बजाता रहता है लेकिन यदि उससे कभी कोई फरमाइश करे तो नखरे करता है। किसी ने सच कहा है कि 'कहे से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता'।

काम का न काज का, दुश्मन अनाज का= (किसी मतलब का न होना) 
प्रयोग- सूरजभान कोई काम-वाम तो करता नहीं, बड़े भाई के यहाँ पड़े-पड़े टाइम पास कर रहा है। ऐसे लोग तो 'काम का न काज का, दुश्मन अनाज के' होते है।

कौड़ी न हो पास तो मेला लगे उदास= (धन के अभाव में जीवन में कोई आकर्षण नहीं)
प्रयोग- करीम मियाँ की जबसे नौकरी छूटी है, हमेशा जेब खाली रहती है। इसलिए वे कहीं आते-जाते तक नहीं। कहीं भी उनका मन नहीं लगता। किसी ने सच कहा है, 'कौड़ी न हो पास तो मेला लगे उदास'।

कबीरदास की उलटी बानी, बरसे कंबल भींगे पानी= (प्रकृतीविरुद्ध काम)

कहे खेत की, सुने खलिहान की= (हुक्म कुछ और करना कुछ और)

काबुल में क्या गदहे नहीं होते= (अच्छे बुरे सभी जगह हैं।)

किसी का घर जले, कोई तापे= (दूसरे का दुःख में देखकर अपने को सुखी मानना)

( ख )

खोदा पहाड़ निकली चुहिया= (बहुत कठिन परिश्रम का थोड़ा लाभ)
प्रयोग- बच्चा बेचारा दिन भर लाल बत्ती पर अख़बार बेचता रहा, परंतु उसे कमाई मात्र बीस रुपये की हुई। यह वही बात है- खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे= (किसी बात पर लज्जित होकर क्रोध करना) 
प्रयोग- दस लोगों के सामने जब मोहन की बात किसी ने नहीं सुनी, तो उसकी हालत उसी तरह हो गई ; जैसे खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।

खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है= एक को देखकर दूसरा बालक या व्यक्ति भी बिगड़ जाता है। 
प्रयोग- रोहन अन्य बालकों को देखकर बिगड़ गया है। सच ही है- 'खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है'।

खरी मजूरी चोखा काम= (मजदूरी के तुरन्त बाद नकद पैसे मिलना)
प्रयोग- रवि ने मालिक से कहा कि उसे अपनी मजदूरी के पैसे तुरन्त चाहिए- 'खरी मजूरी चोखा काम'।

खाली दिमाग शैतान का घर= (बेकार बैठने से तरह-तरह की खुराफातें सूझती हैं।)
प्रयोग- राजू बोला कि मैं कभी खाली नहीं रहता हूँ, क्योंकि 'खाली दिमाग शैतान का घर' होता है।

खुदा गंजे को नाख़ून न दे= (नाकाबिल को कोई अधिकार नहीं मिलना चाहिए)
प्रयोग- अशोक ने कहा कि यदि मैं तहसीलदार बन जाऊँ तो तुम्हारा चबूतरा खुदवा डालूँगा। उसके पड़ोसी ने कहा कि 'खुदा गंजे को नाख़ून न दे'।

खुशामद से ही आमद होती है= (बड़े आदमियों (धनी या बड़े पद वालों) की खुशामद करने से धन, यश और पद प्राप्त होता है।)
प्रयोग- मित्र, आजकल खुशामद करना सीखना होगा, क्योंकि 'खुशामद से ही आमद होती है।'

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी= (एक ही प्रकार के दो मनुष्यों का साथ)
प्रयोग- महेश और नरेश दोनों घनिष्ठ मित्र हैं और दोनों ही अपाहिज हैं। उन्हें देख कर गोपाल ने कहा- 'खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी'।

खरा खेल फर्रुखावादी= (स्पष्टवक्ता सदा सुखी होता है)
प्रयोग- भैया, अपना तो खरा खेल फर्रुखावादी है। जो कुछ कहना होता है मुँह पर कह देता हूँ, कोई भला माने या बुरा। कम-से-कम मुझे तो अपराध बोध नहीं होता कि मैंने सच को छुपाया।

खग जाने खग ही की भाषा=(साथी की बात साथी समझ लेता है)
प्रयोग- मैं जब भी परेशान होता हूँ मेरा दोस्त विकास पता नहीं कैसे समझ लेता है। सच बात है कि 'खग जाने खग ही की भाषा'।

खून सिर चढ़कर बोलता हैै= (पाप स्वतः सामने आ जाता है)
प्रयोग- तुम चिंता मत करो। रामेश्वर धूर्त और मक्कार है और उसकी मक्कारी और धूर्तता, उसके कामों से सब लोगों के सामने आ जाएगी। कब तक इसकी काली करतूतें छुपेंगी। एक-न-एक दिन तो 'खून सिर पर चढ़कर बोलेगा'।

खेत खाये गदहा, मार खाये जोलहा= (अपराध करे कोई, दण्ड मिले किसी और को)

( ग )

गागर में सागर भरना= (कम शब्दों में बहुत कुछ कहना)
प्रयोग- बिहारी कवि ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।

गया वक्त फिर हाथ नहीं आता= (जो समय बीत जाता है, वह वापस नहीं आता)
प्रयोग- अध्यापक ने बताया कि हमें अपना समय व्यर्थ नहीं खोना चाहिए, क्योंकि गया वक्त फिर हाथ नहीं आता।

गरज पड़ने पर गधे को भी बाप कहना पड़ता है= (मुसीबत में हमें छोटे-छोटे लोगों की भी खुशामद करनी पड़ती है।)
प्रयोग- मनीष के पास टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे तो उसने एक चपरासी से अनुनय-विनय करके पैसे इकट्ठे किए। कहावत भी है कि 'गरज पड़ने पर गधे को भी बाप कहना पड़ता है'।

गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं= (जो बहुत बढ़-बढ़ कर बातें करते हैं, वे काम कम करते हैं।)
प्रयोग- बड़बोले रवि से श्याम ने कहा कि गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं।

गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त= (जिसका काम हो वह परवाह न करे, बल्कि दूसरा आदमी तत्परता दिखाए)
प्रयोग- लालू को अपनी लड़की को स्कूल में दाखिला दिलाना था, पर जब वह नहीं चलेंगे तो कोई क्या करेगा; ये तो वही हुआ- गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त।

गीदड़ की शामत आए तो वह शहर की तरफ भागता है= (जब विपत्ति आती है तब मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है।)
प्रयोग- एक तो गौरव की कंपनी के मैनेजर ने मजदूरों को रविवार की छुट्टी नहीं दी; इसके अलावा उनकी मजदूरी भी काटनी शुरू कर दी। फलतः हड़ताल हो गई और मैनेजर को इस्तीफा देना पड़ा। सच ही कहा है- 'गीदड़ की शामत आती है तो वह शहर की तरफ भागता है'।

गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक़्कर हो गया= (शिष्य का गुरु से अधिक उन्नति करना)
प्रयोग- उसने मुझसे अंग्रेजी पढ़ना सीखा और आज वह मुझसे अच्छी अंग्रेजी बोलता है, यह तो वही मिसाल हुई- 'गुरु गुड़ ही रहा और चेला शक़्कर हो गया'।

गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है= (अपराधियों के साथ निर्दोष व्यक्ति भी दण्ड पाते हैं।)
प्रयोग- मैंने कालू से कहा था कि चोर-डाकुओं के साथ मत रहो। लेकिन उसने मेरी एक न सुनी। इसी कारण आज जेल काट रहा है। कहावत भी है- 'गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है'।

गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज= (कोई बड़ी बुराई करना और छोटी से बचना)
प्रयोग- वैसे तो रमानाथ चोरी, डाका सब डाल लेता है पर कल जब मैंने कहा कि मेरे साथ अदालत चलकर मेरे हक में गवाही दे दो तो कहने लगा कि मैं झूठी गवाही नहीं देता। वाह गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज।

गंगा गए तो गंगादास, जमुना गए तो जमनादास= (सिद्धांतहीन मनुष्य, अवसरवादी)
प्रयोग- आजकल के नेताओं का क्या भरोसा, सभी अवसरवादी हैं। जिस पार्टी की सरकार बनती है उसी में शामिल हो जाते हैं। इनके लिए यह कहावत उपयुक्त है कि गंगा गए तो गंगादास, जमुना गए तो जमनादास।

गरीब की जोरू, सबकी भाभी= (कमजोर पर सब अधिकार जताते हैं)
प्रयोग- सारे परिवार में सुबोध ही कम पैसेवाला है, इसलिए परिवार के सारे सदस्य उसी पर हुक्म चलाते हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि गरीब की जोरू, सबकी भाभी होती है।

गुड़ न दे तो गुड़ की सी बात तो कहे= (भले ही किसी को कुछ न दें पर मधुर व्यवहार करें) 
प्रयोग- अरे भैया आप उस बेचारे की मदद नहीं करना चाहते तो मत करो पर उसे डाँटो-फटकारो तो मत। उससे बात तो ठीक से करो। यदि किसी को गुड़ न दो तो गुड़ की सी बात तो कहो।

गाँव का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध= (बाहर के व्यक्तियों का सम्मान, पर अपने यहाँ के व्यक्तियों की कद्र नहीं)

गोद में छोरा नगर में ढिंढोरा= (पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढना)

गाछे कटहल, ओठे तेल= (काम होने के पहले ही फल पाने की इच्छा)

गुड़ गुड़, चेला चीनी= (गुरु से शिष्य का ज्यादा काबिल हो जाना)

( घ )

घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध= (जो मनुष्य बहुत निकटस्थ या परिचित होता है उसकी योग्यता को न देखकर बाहर वाले की योग्यता देखना)
प्रयोग- यहाँ स्वामी विवेकानंद को लोग इतना नहीं मानते जितना अमेरिका में मानते हैं। सच ही है- 'घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध'।

घर की मुर्गी दाल बराबर= (घर की वस्तु या व्यक्ति को कोई महत्व न देना)
प्रयोग- पं. दीनदयाल हमारे गाँव के बड़े प्रकांड पंडित हैं। बाहर उनका बड़ा सम्मान होता है, परन्तु गाँव के लोग उनका जरा भी आदर नहीं करते। लोकोक्ति प्रसिद्ध है- 'घर की मुर्गी दाल बराबर'।

घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने= (झूठा दिखावा करना)
प्रयोग- रामू निर्धन है फिर भी ऐसा बन-ठन कर निकलता है जैसे लखपति हो। ऐसे ही लोगों के लिए कहते हैं- 'घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने'।

घोड़ा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या= (मेहनताना या पारिश्रमिक माँगने में संकोच नहीं करना चाहिए।) 
प्रयोग- भाई, मैंने दो महीने काम किया है। संकोच में तनख्वाह न माँगू तो क्या करूँ- 'घोड़ा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या'?

घर का भेदी लंका ढाए= (आपस की फूट से हानि होती है।)
प्रयोग- तस्करी के सोने पर तीनों दोस्तों में झगड़ा हो गया। एक ने पुलिस को खबर दे दी और पुलिस सारे सोने समेत तीनों को पकड़ कर ले गई। सच है, घर का भेदी लंका ढाए।

घड़ी में घर जले, नौ घड़ी भद्रा= (हानि के समय सुअवसर-कुअवसर पर ध्यान न देना)

घर पर फूस नहीं, नाम धनपत= (गुण कुछ नहीं, पर गुणी कहलाना)

घर में दिया जलाकर मसजिद में जलाना= (दूसरे को सुधारने के पहले अपने को सुधारना)

घी का लड्डू टेढ़ा भला = (लाभदायक वस्तु किसी तरह की क्यों न हो।)

( च )

चिराग तले अँधेरा= (अपनी बुराई नहीं दीखती)
प्रयोग- मेरे समधी सुरेशप्रसादजी तो तिलक-दहेज न लेने का उपदेश देते फिरते है; पर अपने बेटे के ब्याह में दहेज के लिए ठाने हुए हैं। उनके लिए यही कहावत लागू है कि 'चिराग तले अँधेरा।'

चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात= (सुख के कुछ दिनों के बाद दुख का आना)
प्रयोग- आज पैसा आने पर ज्यादा मत उछलो, क्या पता कब कैसे दिन देखने पड़ें ? सही बात है- चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात।

चोर की दाढ़ी में तिनका= (अपने आप से डरना) 
प्रयोग- विद्यालय से गायब होने पर पिता जी को बुलाने की बात सुनते ही कमल का चेहरा फीका पड़ गया। उसकी स्थिति चोर की दाढ़ी में तिनके के समान हो गई।

चोर पर मोर= (एक दूसरे से ज्यादा धूर्त)
प्रयोग-मृदुल और करन दोनों को कम मत समझो। ये दोनों ही चोर पर मोर हैं।

चमड़ी जाय, पर दमड़ी न जाय= (अत्यधिक कंजूसी करना)
प्रयोग- जेबकतरे ने सौ रुपए उड़ा लिए तो कुछ नहीं, पर मुन्ना ने मुझे पाँच रुपए उधार नहीं दिए। ये तो वही बात हुई कि चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाय।

चिकने घड़े पर पानी नहीं ठरहता= (बेशर्म आदमी पर किसी बात का कोई असर नहीं होता)
प्रयोग- रामू बहुत निर्लज्ज आदमी है। मैंने उसे बहुत समझाया, परन्तु उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कहावत भी है कि 'चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता'।

चित भी मेरी, पट भी मेरी, अंटा मेरे बाप का= (हर तरह से लाभ चाहना)
प्रयोग- दादाजी के साथ सबसे बड़ी मुसीबत यही है कि वे हरदम अपनी बात ही बड़ी रखते हैं। ये तो वही बात हुई- चित भी मेरी, पट भी मेरी, अंटा मेरे बाप का।

चील के घोंसले में मांस कहाँ= (किसी व्यक्ति से ऐसी वस्तु की प्राप्त करने की आशा करना, जो उसके पास न हो।)
प्रयोग- मैंने सोचा था कि राजू के घर लड्डू खाने को मिलेंगे, पर चील के घोंसले में मांस कहाँ से मिलता।

चोर के पैर नहीं होते= (चोर चोरी करते वक्त जरा-सी आहट से डरकर भाग जाता है।)
प्रयोग- जब चोरों ने देखा कि घरवाले जाग गए हैं, तब वे बिना कुछ चुराए ही उसके घर से भाग गए, क्योंकि 'चोर के पैर नहीं होते'।

चोर-चोर मौसेरे भाई= (एक व्यवसाय या स्वभाव वालों में जल्दी मेल हो जाता है।)
प्रयोग- राजनीति में कुछ असामाजिक तत्वों के कारण अपराध और राजनीति दोनों चोर-चोर मौसेरे भाई लगते हैं।

चोरी चोरी से जाय, पर हेरा-फेरी से न जाय= (किसी की प्रकृति में पूर्ण परिवर्तन न होना)
प्रयोग- रामू ने चोरी करना तो छोड़ दिया हैं, पर अब वह कभी- कभी हेरा-फेरी तो कर ही लेता है, ये कहावत ठीक ही है कि चोरी चोरी से जाय, पर हेरा-फेरी से न जाय।

चोरी और सीना जोरी= (अपराध करके अकड़ना)
प्रयोग- रवि एक तो स्कूल देर से पहुँचा, ऊपर से बहस भी करने लगा; यह चोरी और सीना जोरी करने पर अध्यापक ने उसे हाथ ऊपर करके खड़े होने की सजा दी।

चलती का नाम गाड़ी= (हस्ती समाप्त होने के बाद भी धाक जमी रहना)
प्रयोग- हमारे देश में एक से एक गाड़ियाँ बन रही हैं, फिर भी लोगों को विदेशी गाड़ियाँ खरीदने की लगी रहती है। क्या कहा जाए चलती का नाम गाड़ी है।

चाँद पर थूका, मुँह पर गिरा= (सज्जन की बुराई करने से अपनी ही बेइज्जती होती है)
प्रयोग- भले लोगों की बुराई करोगे तो तुम खुद ही बदनाम होगे। जो चाँद पर थूकता है, थूक उसी के मुँह पर गिरता है।

चूहे घर में दण्ड पेलते हैं= (आभाव-ही-आभाव)

( छ )

छछूंदर के सिर में चमेली का तेल= (किसी व्यक्ति के पास ऐसी वस्तु हो जो कि उसके योग्य न हो।)
प्रयोग- रामू मिडिल पास है फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई, इसी को कहते हैं- 'छछूंदर के सिर में चमेली का तेल'।

छोटा बड़ा खोटा= (नाटा आदमी बड़ा तेज-तर्रार होता है।)
प्रयोग- रामू नाटा है इसलिए वह बड़ा काइयाँ हैं, कहते भी हैं- 'छोटा बड़ा खोटा'।

छोटा मुँह बड़ी बात= (कम उम्र या अनुभव वाले मनुष्य का लम्बी-चौड़ी बातें करना)
प्रयोग- किशन तो हमेशा छोटा मुँह बड़ी बात करता है।

छोटे मियां तो छोटे मियां, बड़े मियां सुभान अल्लाह= (जब बड़ा छोटे से अधिक शैतान हो)
प्रयोग- राजू का छोटा भाई तो गाली देकर चुप हो गया, लेकिन राजू तो लड़ने को तैयार हो गया। उसे देखकर मुझे यही कहना पड़ा- 'छोटे मियां तो छोटे मियां, बड़े मियां सुभान अल्लाह'।

( ज )

जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ= (परिश्रम का फल अवश्य मिलता है)
प्रयोग- एक लड़का, जो बड़ा आलसी था, बार-बार फेल करता था और दूसरा, जो परिश्रमी था, पहली बार परीक्षा में उतीर्ण हो गया। जब आलसी ने उससे पूछा कि भाई, तुम कैसे एक ही बार में पास कर गये, तब उसने जवाब दिया कि 'जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ'।

जैसी करनी वैसी भरनी= (कर्म के अनुसार फल मिलता है)
प्रयोग- राधा ने समय पर प्रोजेक्ट नहीं दिखाया और उसे उसमें शून्य अंक प्राप्त हुए। ठीक ही हुआ- जैसी करनी वैसी भरनी।

जिसकी लाठी उसकी भैंस= (बलवान की ही जीत होती है)
प्रयोग- सरपंच ने जिसे चाहा उसे बीज दिया। बेचारे किसान कुछ न कर पाए। इसे कहते हैं- जिसकी लाठी उसकी भैंस।

जंगल में मोर नाचा, किसने देखा= (ऐसे स्थान में कोई अपना गुण दिखाए जहाँ कोई देखने वाला न हो।)
प्रयोग- रवि ने रामू से कहा कि आप चलकर शहर में रहिए, यहाँ गाँव में आपकी विद्या की कोई कद्र नहीं- 'जंगल में मोर नाचा, किसने देखा'।

जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना= (जब कोई कष्ट सहने के लिए तैयार हो तो डर कैसा)
प्रयोग- जब रमेश ने नई दुकान खोल ही ली है तो अब कष्ट तो झेलने ही होंगे, कहावत भी है- 'जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना'।

जब चने थे तब दांत न थे, जब दांत हुए तब चने नहीं= (जब धन था तब बच्चे न थे, जब बच्चे हुए तब धन नहीं है।)
प्रयोग- रामू काका कहते हैं कि हम पहले बड़े अमीर थे, पर उस समय खाने वाला कोई नहीं था और अब खाने वाले हुए तब धन नहीं है। ये तो वही बात हुई- 'जब चने थे तब दांत न थे, जब दांत हुए तब चने नहीं'।

जब तक जीना, तब तक सीना= (जब तक मनुष्य जीवित है तब तक उसे कुछ न कुछ काम तो करना ही पड़ता है।)
प्रयोग- मेरी माँ हमेशा कहती हैं कि वे जब तक जिंदा हैं तब तक काम करेंगी। उनका तो यही सिद्धांत है- 'जब तक जीना, तब तक सीना'।

जब तक सांस तब तक आस= (जब तक मनुष्य जीवित है तब तक आशा बनी रहती है।)
प्रयोग- रामू काका ने अपने जीवन में आखिरी दम तक हिम्मत नहीं हारी; कहावत भी है- ' जब तक सांस तब तक आस'।

जर, जोरू, जमीन जोर की, नहीं तो और की= (धन, स्त्री और जमीन बलवान अपने बल से प्राप्त कर सकता है, निर्बल व्यक्ति नहीं)
प्रयोग- राजू काका सच कहते हैं- 'जर, जोरू, जमीन जोर की, नहीं तो और की'

जल्दी का काम शैतान का, देर का काम रहमान का= (जल्दी करने से काम बिगड़ जाता है और शांति से काम ठीक होता है।) 
प्रयोग- तुम मुझसे हर काम को जल्दी करने को कहते हो। जानते नहीं हो- 'जल्दी का काम शैतान का, देर का काम रहमान का' होता हैं।

जहाँ का पीवे पानी, वहाँ की बोले बानी= (जिस व्यक्ति का खाए, उसी की-सी बातें करनी चाहिए)
प्रयोग- मैं उनका नमक खाता हूँ, तो उनकी जैसी कहूँगा। मनुष्य को चाहिए- ' जहाँ का पीवे पानी, वहाँ की बोले बानी'।

जहाँ चाह, वहाँ राह= (जब किसी काम को करने की व्यक्ति की इच्छा होती है तो उसे उसका साधन भी मिल ही जाता है।) 
प्रयोग- रामेश्वर फ़िल्म बनाना चाहता था तो उसे प्रोड्यूसर और डायरेक्टर मिल ही गए; कहते भी हैं- 'जहाँ चाह, वहाँ राह'।

जहाँ जाए भूखा, वहाँ पड़े सूखा= (अभागे मनुष्य को हर जगह दुःख ही दुःख मिलता है।)
प्रयोग- बेचारा गरीब राजू दावत में तब पहुँचा, जब भोज समाप्त हो गया। इसी को कहते हैं- 'जहाँ जाए भूखा, वहाँ पड़े सूखा'।

जाका कोड़ा, ताका घोड़ा= (जिसके पास शक्ति होती है, उसी की जीत होती है।) 
प्रयोग- मंत्री जी अपने सारे निजी काम सत्ता के बल पर कराते हैं, कहते भी हैं- 'जाका कोड़ा, ताका घोड़ा'।

जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई= (जिस मनुष्य पर कभी दुःख न पड़ा हो, वह दूसरों का दुःख क्या समझे)
प्रयोग- दादी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम पुरुष हो। नारी के दुःख को तुम कभी समझ ही न सकोगे। 'जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई'।

जागेगा सो पावेगा, सोवेगा सो खोवेगा= (जो हर क्षण सावधान रहता है, उसे ही लाभ होता है।)
प्रयोग- रामू बहुत सतर्क रहता है, इसलिए उसको कभी हानि नहीं होती और तुमको बराबर हानि ही हानि होती है। कहते भी हैं- 'जागेगा सो पावेगा, सोवेगा सो खोवेगा'।

जान न पहचान, बड़ी बुआ सलाम= (बिना जान-पहचान के किसी से भी संबंध जोड़कर बातचीत करना)
प्रयोग- मेरे पास एक आदमी आकर जब जबरदस्ती खुद को मेरा मित्र बताने लगा तो मैंने उससे कहा- 'जान न पहचान, बड़ी बुआ सलाम'।

जान मारे बनिया, पहचान मारे चोर= (बनिया परिचित व्यक्ति को ठगता है और चोर भेद मिलने से चोरी करता है।)
प्रयोग- सेठ जी वैसे तो मेरे मित्र हैं, लेकिन कपड़े के दाम बड़े महंगे लिए। मैं भी मुलाहिजे में कुछ न कह सका। ये कहावत ठीक ही है- 'जान मारे बनिया, पहचान मारे चोर'।

जान है तो जहान है= (संसार में जान सबसे प्यारी वस्तु है।)
प्रयोग- रामू काका ने मुझसे कहा कि ' जान है तो जहान है'। मैं पहले अपना स्वास्थ्य देखूँ, काम बाद में होता रहेगा।

जितना गुड़ डालोगे, उतना ही मीठा होगा= जितना अधिक रुपया खर्च करेंगे, उतनी ही अच्छी वस्तु मिलेगी)
प्रयोग- विवेक ने कम पैसों के चक्कर में घटिया पंखा ले लिया, वह चार दिन भी नहीं चला। कहावत भी है- ' जितना गुड़ डालोगे, उतना ही मीठा होगा'।

जितनी चादर हो, उतने ही पैर फैलाओ= (आदमी को अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार ही कोई काम करना चाहिए)
प्रयोग- रोहन हमेशा आमदनी से अधिक खर्च करता है और बाद में पैसे उधार लेता फिरता है। इस पर माँ ने कहा कि आदमी की जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाने चाहिए।

जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना= (जिस व्यक्ति के आश्रय में रहना, उसी को हानि पहुँचाना)
प्रयोग- शांति जिस थाली में खा रही है, उसी में छेद कर रही है। जिसने उसकी सहायता की, उसी को छल रही है।

जिसका काम उसी को छाजै, और करे तो डंडा बाजै= (जिसको जिस काम का अभ्यास और अनुभव होता है, वह उसे सरलता से कर लेता है। गैर-अनुभवी आदमी उसे नहीं कर सकता)
प्रयोग- जब राहुल ने खुद दीवार बनानी शुरू की तो वह गिर पड़ी। वह नहीं जानता था- 'जिसका काम उसी को छाजै, और करे तो डंडा बाजै'।

जिसकी जूती, उसी का सिर= (किसी व्यक्ति की चीज से उसी को हानि पहुँचाना)
प्रयोग- चोर ने पुलिस की बेंत से ही पुलिस को मारना शुरू कर दिया, ये तो वही बात हुई- 'जिसकी जूती, उसी का सिर'।

जिसकी बिल्ली, उसी से म्याऊँ= (जब किसी के द्वारा पाला-पोसा हुआ व्यक्ति उसी को आँखें दिखाए)
प्रयोग- ये क्या पता था कि राजू कभी उन्हीं को आँख दिखाएगा जिसने उसे पाला है। ये तो वही बात हुई- 'जिसकी बिल्ली, उसी से म्याऊँ'।

जैसा दाम, वैसा काम= (जितनी अच्छी मजदूरी दी जाएगी, उतना ही अच्छा काम होगा)
प्रयोग- जब मालिक ने बढ़ई से कहा कि वह सामान ठीक से नहीं बना रहा है तो बढ़ई ने उत्तर दिया- बाबू जी, जैसा दाम वैसा काम, आप मुझे भी तो बहुत कम दे रहे है।

जैसा देश, वैसा वेश= (जहाँ रहना हो वहीं की रीतियों-नीतियों के अनुसार आचरण करना चाहिए)
प्रयोग- सफलता उसे ही प्राप्त होती है जो समय के साथ चलता है। कहते भी हैं- ' जैसा देश, वैसा वेश'।

जो करेगा, सो भरेगा= (जो जैसा काम करेगा वैसा फल पाएगा)
प्रयोग- छोड़ो मित्र, जो करेगा, सो भरेगा, तुम्हें क्या?

जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं= (जो लोग बहुत शेखी बघारते हैं, वे बहुत अधिक काम नहीं करते)
प्रयोग- अशोक जब बड़ी-बड़ी डींग हाँकने लगा तो सुनील बोल पड़ा- 'जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं'।

जल में रहकर मगरमच्छ से बैर= (जिसके सहारे रहे, उसी से दुश्मनी करना)
प्रयोग- जिस स्कूल में नौकरी करती हो, उसी स्कूल के डायरेक्टर का विरोध करती हो। किसी भी दिन नौकरी से निकाल देगा। ध्यान रखो। जल में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं किया जाता।

जाको राखै साइयाँ, मारि सकै ना कोय= (जिसका रक्षक ईश्वर है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता)
प्रयोग- कैसा चमत्कार हुआ। बस खड्डे में जा गिरी पर किसी मुसाफिर को चोट तक न आई। सच है, 'जाको राखै साइयाँ, मारि सकै ना कोय'।

जो किसी को कुआँ खोदता है, उसको खाई तैयार रहती है= (जैसे को तैसा) 
प्रयोग- पंडित रामनाथ बेचारे रामधन को नौकरी से निकलवाने पर तुले थे क्योंकि ऑफिस इंचार्ज उनका रिश्तेदार था। किस्मत का करिश्मा देखो, इंचार्ज का ट्रांसफर हो गया और उसकी जगह एक ईमानदार अफसर आ गया। उसने मामले की जाँच की और रामनाथ को ही दोषी पाया और उसी को नौकरी से निकाल दिया। इसलिए ध्यान रखो जो किसी और को कुआँ खोदता है, उसको खाई तैयार रहती है।

जान बची तो लाखों पाये= (जान बचने से बड़ा कोई लाभ नहीं है।)

( झ )

झट मंगनी पट ब्याह= (किसी काम का जल्दी से हो जाना)
प्रयोग- अभी तो मोहन ने मकान की नींव डाली थी और अभी उसे बनवा कर उसमें रहने भी लगा। ये तो उसने 'झट मंगनी पट ब्याह' वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया।

झूठे का मुँह काला, सच्चे का बोलबाला= (अंत में सच्चे आदमी की ही जीत होती है।)
प्रयोग- किसी आदमी को झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि- 'झूठे का मुँह काला, सच्चे का बोलबाला' होता है।

झोपड़ी में रह के महलों के सपने देखे= (अपनी सीमा से अधिक पाने की इच्छा करना)
प्रयोग- मोहनलाल के बेटे ने थर्ड डिवीजन में बी० ए० पास किया है और चाहता है कि किसी कंपनी में सीधा मैनेजर बन जाए। भाई! झोपड़ी में रह के, महलों के सपने देखना अक्लमंदी नहीं है।

( ट )

टके की हांडी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई= (थोड़े ही खर्च में किसी के चरित्र को जान लेना)
प्रयोग- जब रमेश ने पैसे वापस नहीं किए तो सोहन ने सोच लिया कि अब वह उसे दोबारा उधार नहीं देगा- 'टके की हांडी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई'।

टुकड़े दे दे बछड़ा पाला, सींग लगे तब मारन चाला= (कृतघ्न व्यक्ति)
प्रयोग- जिसने रामू को पाला आज नौकरी लगने पर वह उन्हें ही आँख दिखा रहा है। ठीक ही कहा है- 'टुकड़े दे दे बछड़ा पाला, सींग लगे तब मारन चाला'।

( ठ )

ठंडा लोहा गरम लोहे को काटता है= (शांत प्रकृति वाला मनुष्य क्रोधी मनुष्य को हरा देता है।)
प्रयोग- जब भृगु ऋषि ने भगवान विष्णु को लात मारी, लेकिन उनके यह कहने पर कि आपके पैर में चोट तो नहीं लगी, भृगु स्वयं लज्जित हो गए। ठीक ही कहा है- 'ठंडा लोहा गरम लोहे को काटता है'।

ठेस लगे, बुद्धि बढ़े= (हानि मनुष्य को बुद्धिमान बनाती है।)
प्रयोग- राजेश ने व्यापार में बहुत क्षति उठाई है, तब वह सफल हुआ है। ठीक ही कहते हैं- 'ठेस लगे, बुद्धि बढ़े'।

ठठेरे-ठठेरे बदलौअल= (चालाक को चालक से काम पड़ना)

( ड )

डरा सो मरा= (डरने वाला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता)
प्रयोग- रामू उस जेबकतरे के चाकू से डर गया, वर्ना वह जेबकतरा पकड़ा जाता। कहते भी हैं- 'जो डरा सो मरा'।

डूबते को तिनके का सहारा= (विपत्ति में पड़े हुए मनुष्य को थोड़ा सहारा भी काफी होता है।)
प्रयोग- संकट के समय रमेश को इस बात से आशा की किरण दिखाई दी कि 'डूबते को तिनके का सहारा'।

डेढ़ पाव आटा पुल पर रसोई= (थोड़ी पूँजी पर झूठा दिखावा करना)
प्रयोग- मुन्ना के पास केवल पचास आदमियों के खिलाने की सामर्थ्य थी तब उसने यह सब व्यर्थ का आडम्बर क्यों रचा? यह तो वही हाल हुआ- 'डेढ़ पाव आटा पुल पर रसोई'।

( ढ )

ढाक के वही तीन पात= (परिणाम कुछ नहीं निकलना, बात वहीं की वहीं रहना)
प्रयोग- अध्यापक ने रामू को इतना समझाया कि वह सिगरेट पीना छोड़ दे, पर परिणाम 'ढाक के वही तीन पात', और एक दिन रामू के मुँह में कैंसर हो गया।

( त )

तुम डाल-डाल तो मैं पात-पात= (किसी की चालों को खूब समझना)
प्रयोग- रंजीत ने कहा कि चलो, किधर चलते हो; 'तुम डाल-डाल तो मैं पात-पात'।

तेल तिलों से ही निकलता है= (यदि कोई आदमी किसी मामले में कुछ खर्च करता है तो वह फायदा उस मामले से ही निकाल लेता है।) 
प्रयोग- जब नौकर ने कमीशन माँगा तो दुकानदार ने कीमत सवाई कर दी। आखिर, भाई, 'तेल तिलों से ही निकलता है'।

तेल देखो, तेल की धार देखो= (किसी कार्य का परिणाम देखने की बात करना)
प्रयोग- रामू बोला- 'तेल देखो, तेल की धार देखो', घबराते क्यों हो?

तेली का तेल जले, मशालची का दिल जले= (जब एक व्यक्ति कुछ खर्च कर रहा हो और दूसरा उसे देख कर ईर्ष्या करे)
प्रयोग- मालिक कर्मचारियों को जब कुछ देना चाहता है तो मैनेजर को बहुत ईर्ष्या होती है। ये तो वही बात हुई- 'तेली का तेल जले, मशालची का दिल जले'।

ताली एक हाथ से नहीं बजाई जाती= (प्रेम या लड़ाई एकतरफा नहीं होती)
प्रयोग- अध्यापक तो पढ़ाना चाहते हैं, पर छात्र ही न पढ़े तो वे क्या करें, कहते भी हैं- ' ताली एक हाथ से नहीं बजाई जाती'।

तीन में न तेरह में= (जिसकी पूछ न हो)
प्रयोग- रामू वहाँ किस हैसियत से जाएगा। वहाँ उसकी कोई नहीं सुनेगा, क्योंकि वह 'तीन में न तेरह में'।

तबेले की बला बंदर के सिर = (दोष किसी का, सजा किसी और को)
प्रयोग- चोरी तो की थी सुरेंद्र ने और झूठी शिकायत के आधार पर अध्यापक ने सजा दी महेश को। क्या कहें, यह तो वही बात हुई कि तबेले की बला बंदर के सिर पड़ गई।

तुरत दान महाकल्यान= (समय रहते किया गया कार्य उपयोगी साबित होता है) 
प्रयोग- अच्छा लड़का मिल गया है तो जल्दी से तिथि निकलवाकर बहन की शादी कर डालो। इंतजार करने में पता नहीं कौन-सी अड़चन कहाँ से आ जाए। शुभ कार्य में 'तुरत दान महाकल्यान' ही जरूरी है।

तेते पाँव पसारिए, जैती लाँबी सौर= (आय के अनुसार ही व्यय करना चाहिए) 
प्रयोग- बेटी के विवाह में झूठी शान की खातिर माहेश्वर ने कर्जा ले लिया और अब कर्जा न चुका पाने के कारण मकान गिरवी रखना पड़ा। बुजुर्गो ने इसलिए कहा है कि 'तेते पाँव पसारिए, जैती लाँबी सौर'।

ताड़ से गिरा तो खजूर पर अटका= (एक खतरे में से निकलकर दूसरे खतरे में पड़ना)

तीन कनौजिया, तेरह चूल्हा= (जितने आदमी उतने विचार)

तन पर नहीं लत्ता पान खाय अलबत्ता= (शेखी बघारना)

तीन लोक से मथुरा न्यारी= (निराला ढंग)

( थ )

थोथा चना, बाजे घना= (वह व्यक्ति जो गुण और विद्या कम होने पर भी आडम्बर करे)
प्रयोग- हाईस्कूल में दो बार फेल हो चुका रामू बात कर रहा था कि उसे सब कुछ याद है और वह इंटर के छात्रों को भी पढ़ा सकता है। ये तो वही बात हुई- 'थोथा चना, बाजे घना'।

थका ऊँट सराय तके= (दिनभर काम करने के बाद मजदूर को घर जाने की सूझती है।)
प्रयोग- दिनभर काम करने के बादराजू घर जाने के लिए चलने लगा। ठीक ही है- 'थका ऊँट सराय तके'।

थूक कर चाटना ठीक नहीं= (देकर लेना ठीक नहीं, वचन-भंग करना, अनुचित।)

( द )

दाल-भात में मूसलचन्द= (दो व्यक्तियों के काम की बातों में तीसरे आदमी का हस्तक्षेप करना)
प्रयोग- मित्र, मैं तुम से पूछता हूँ, तुम्हें उन लोगों की बातचीत में, 'दाल-भात में मूसलचन्द' की तरह कूदने की क्या जरूरत थी? दोनों बात कर रहे थे, करने देते।

दीवारों के भी कान होते हैं= (गुप्त परामर्श एकांत में धीरे बोलकर करना चाहिए) 
प्रयोग- अरे राम! जरा धीरे बोलो, क्या जाने कोई सुन रहा हो, क्योंकि ' दीवारों के भी कान होते हैं'।

दुधारू गाय की लात भी सहनी पड़ती है= (जिस व्यक्ति से लाभ होता है, उसकी कड़वी बातें भी सुननी पड़ती हैं।)
प्रयोग- कमाऊ बेटा है, लेकिन कभी-कभी झगड़ा कर बैठता है। अरे भाई, 'दुधारू गाय की लात भी सहनी पड़ती है'।

दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है= (एक बार धोखा खाने के बाद बहुत सोच-विचार कर काम करना)
प्रयोग- पिछली बार एक दिन की गैरहाजिरी में राजू को दफ्तर से जवाब मिला था; इसलिए अब वह देरी से जाने से भी डरता है, क्योंकि 'दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है'।

दूध का दूध और पानी का पानी= (सच्चा न्याय)
प्रयोग- कल पंचों ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।

दूधो नहाओ, पूतो फलो= (आशीर्वाद देना)
प्रयोग- दादी बहू से आशीष के भाव से बोली, 'दूधो नहाओ, पूतो फलो'।

दूर के ढोल सुहावने लगते हैं= (दूर के व्यक्ति अथवा वस्तुएँ अच्छी मालूम पड़ती हैं।)
प्रयोग- इतना पैसा उसके पास कहाँ है? गाँव का सबसे बड़ा आदमी है तो क्या हुआ- 'दूर के ढोल सुहावने लगते हैं'।

देर आयद, दुरुस्त आयद= (कोई काम देर से हो, परन्तु ठीक हो)
प्रयोग- रामू ने घर देरी से खरीदा, पर घर अच्छा है- 'देर आयद, दुरुस्त आयद'।

दोनों हाथों में लड्डू होना= (दोनों तरफ लाभ होना)
प्रयोग- अब तो रोहन ने दुकान भी खोल ली, नौकरी तो वह करता ही था अतः अब उसके दोनों हाथों में लड्डू हैं।

दो मुल्लों में मुर्गी हराम= (एक चीज को दो या अधिक आदमी प्रयोग करें तो उसकी खींचातानी होती है।)
प्रयोग- महेश की कार कभी ठीक नहीं रहती, क्योंकि उसे कई ड्राईवर चलाते हैं। ठीक ही है- 'दो मुल्लों में मुर्गी हराम'।

दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया= (रुपैया-पैसा ही सब कुछ है)
प्रयोग- आज के जमाने में कोई किसी को नहीं पूछता। आजकल तो 'दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया'।

दुविधा में दोऊ गए, माया मिली न राम= (अनिश्चय की स्थिति में काम करने पर एक में भी सफलता नहीं मिलती) 
प्रयोग- सुमित्रा ने नौकरी भी कर ली और उधर पत्राचार से बीए की परीक्षा का फॉर्म भी भर दिया। परीक्षा की तैयारी के चक्कर में नौकरी भी छूट गई और पूरी तरह से तैयारी न हो पाने के कारण पास भी न हो सकी। इसलिए कहा जाता है कि जो भी काम करो मन लगाकर उसे पूरा करो। जो लोग एक से अधिक कामों में टाँग फँसाते हैं वे न तो इसे पूरा कर पाते हैं और न उसे। क्योंकि 'दुविधा में दोऊ गए, माया मिली न राम'।

देखे ऊँट किस करवट बैठता है?= (देखें क्या फैसला होता है?) 
प्रयोग- किस पार्टी की सरकार बनेगी कुछ कहा नहीं जा सकता। वोटों की गिनती के बाद ही तय होगा कि ऊँट किस करवट बैठता है।

दमड़ी की हाँड़ी गयी, कुत्ते की जात पहचानी गयी= (मामूली वस्तु में दूसरे की पहचान।)

दमड़ी की बुलबुल, नौ टका दलाली= ( काम साधारण, खर्च अधिक)

दूध का जला मट्ठा भी फूंक-फूंक कर पीता है= (एक बार धोखा खा जाने पर सावधान हो जाना)

देशी मुर्गी, विलायती बोल= (बेमेल काम करना)

( ध )

धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का= (जिसके रहने का कोई पक्का ठिकाना न हो)
प्रयोग- गाँव से आया रामू दिल्ली में आकर धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का जैसा हो गया है।

धोबी से पार न पावे, गधे के कान उमेठे= (बलवान पर वश न चले तो निर्धन पर गुस्सा निकालना)
प्रयोग- रमेश अपने साहब के सामने तो गिड़गिड़ाता रहता है और चपरासी पर रौब डांटता है- 'धोबी से पार न पावे, गधे के कान उमेठे'।

( न )

नाच न जाने आँगन टेढ़= (काम न जानना और बहाना बनाना)
प्रयोग- सुधा से गाने के लिए कहा, तो उसने कहा- साज ही ठीक नहीं, गाऊँ क्या ?कहा है: 'नाच न जाने आँगन टेढ़।'

न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी= (झगड़े की जड़ को नष्ट कर देना)
प्रयोग- इस खिलौने पर ही बच्चों में रोजाना झगड़ा होता है। इसे उठाकर क्यों नहीं फ़ेंक देते- 'न रहेगा बाँस, न बजेगी बांसुरी'।

न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी= (असंभव शर्ते रखना)
प्रयोग- राजू ने कहा- यदि आप मुझे 8000 रुपये मासिक व्यय दें तो मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने जाऊँगा। पिताजी ने कहा- 'न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी'।

नौ नगद, न तेरह उधार= (उधार की अपेक्षा नगद चीजें बेचना अच्छा होता है।) 
प्रयोग- प्रेम किसी को भी उधार नहीं देता उसका तो एक ही सिद्धांत है- 'नौ नगद, न तेरह उधार'।

न आगे नाथ न पीछे पगहा= (जिसका कोई सगा-सम्बन्धी न हो)
प्रयोग- जज साहब अकेले ही थे- 'न आगे नाथ न पीछे पगहा'।

न आव देखा न ताव= (बिना सोचे-समझे काम करना)
प्रयोग- उसने 'न आव देखा न ताव' झट रामू को थप्पड़ मार दिया।

न ईंट डालो, न छींटे पड़ें= (यदि तुम किसी को छेड़ोगे, तो तुम्हें दुर्वचन अवश्य सुनने पड़ेंगे)
प्रयोग- केशव न ईंट डालता, न छींटे पड़ते, उसने पागल को छेड़ा तो उसे पत्थर खाना पड़ा।

न ऊधो का लेना, न माधो का देना= (किसी से कोई सम्बन्ध न रखना)
प्रयोग- शास्त्रीजी तो सिर्फ पढ़ाने से मतलब रखते हैं- 'न ऊधो का लेना, न माधो का देना'।

न घर का रहना न घाट का= (बिल्कुल असहाय होना)
प्रयोग- मैं रामू की सहायता न करता तो वह 'न घर का रहता न घाट का'।

न तीन में न तेरह में= (जिसकी कोई गिनती न हो)
प्रयोग- हमारा देश तो हिन्दुओं का है, मुसलमानों का है, अंग्रेज कौन होते हैं, 'न तीन में न तेरह में'।

न नामलेवा न पानी देवा= (जिसका संसार में कोई न हो)
प्रयोग- एक बार पंकज के गाँव में प्लेग फैल गया। उसके घर के सब लोग मर गए। अब 'न कोई नामलेवा है और न पानी देवा'।

नंगा क्या पहनेगा, क्या निचोड़ेगा= (एक दरिद्र किसी को क्या दे सकता है।)
प्रयोग- रामू ने कहा- हम तो खुद गरीब हैं, हम चंदा कहाँ से देंगे- 'नंगा क्या पहनेगा, क्या निचोड़ेगा'।

नया नौ दिन पुराना सौ दिन= (नई चीजों की अपेक्षा पुरानी चीजों का अधिक महत्व होता है।)
प्रयोग- बड़े-बड़े डॉक्टर आ गए हैं, लेकिन मैं तो उन्हीं वैद्य जी के पास जाऊँगा, क्योंकि ' नया नौ दिन पुराना सौ दिन'।

नादान की दोस्ती जी का जंजाल= (मूर्ख की मित्रता बड़ी नुकसानदायक होती है।)
प्रयोग- कालू जैसे मूर्ख से दोस्ती करना तो नादान की दोस्ती जी का जंजाल है।

नाम बड़ा और दर्शन छोटे= (नाम बहुत हो परन्तु गुण कम या बिल्कुल नहीं हों)
प्रयोग- लखपति बुआ ने विदा के समय भतीजों को बस एक-एक रुपया दिया। ये तो वही बात हुई- 'नाम बड़ा और दर्शन छोटे'।

नेकी और पूछ-पूछ= (भलाई करने में संकोच कैसा)
प्रयोग- डॉक्टर साहब सब मरीजों को दवा मुफ़्त देने की जब पूछने लगे तो मरीज बोले- 'नेकी और पूछ-पूछ'।

नेकी कर, दरिया में डाल= (उपकार करते समय बदले की भावना नहीं रखनी चाहिए)
प्रयोग- श्यामजी ने उत्तेजित होकर कहा- मियां साहब, उपकार अहसान के लिए नहीं किया जाता, नेकी करके दरिया में डाल देना चाहिए।

नौ दिन चले अढ़ाई कोस= (बहुत सुस्ती से काम करना)
प्रयोग- राजू ने दस महीने में मात्र एक पाठ याद किया है। यह तो वही बात हुई- 'नौ दिन चले अढ़ाई कोस'।

नौ सौ चूहे खाके बिल्ली हज को चली= (पूरी जिंदगी पाप करके अंत में धर्मात्मा बनना)
प्रयोग- कालू कितना बदमाश था, अब वृद्ध हो जाने पर वह धर्मात्मा बन रहा है- ये तो नौ सौ चूहे खाके बिल्ली हज को चली वाली बात है।

नंग बड़े परमेश्वर से = (ईश्वर की बजाए, निर्लज्ज से डर कर रहना चाहिए)
प्रयोग-मतिराम एकदम घटिया व्यक्ति है। मैं उसे मुँह नहीं लगाता और न उससे बात करता हूँ। ऐसे लोगों का भरोसा नहीं कब किसके सामने आपके बारे में क्या बोल दें क्योंकि नंग बड़े परमेश्वर से, इनका क्या भरोसा?

न लेना एक न देना दो= (कोई संबंध न रखना)
प्रयोग- भाई साहब का बड़ा बेटा गलत सोहबत में पड़ गया है और भाई साहब उसकी ओर ध्यान ही नहीं दे रहे। हमें क्या? भुगतेंगे खुद ही। हमें तो उस लड़के से न लेना एक न देना दो।

नानी के आगे ननिहाल की बातें= (अपने से अधिक जानकारी रखने वाले के सामने जानकारी की शेखी बघारना)
प्रयोग- कंप्यूटर के बारे में जो कुछ तुम बता रहे हो मेरा छोटा बेटा तुमसे अधिक जानकारी रखता है। तुम्हारी इज्जत करता है इसलिए चुप है। ध्यान रखो नानी के आगे ननिहाल की बातें करना शोभा नहीं देता।

नित्य कुआँ खोदना, नित्य पानी पीना= (प्रतिदिन काम करके पेट भरना)
प्रयोग- हम मजदूर कहाँ से इतना पैसा लाएँ जिससे कि एक घर खड़ा हो जाए। हम लोग तो नित्य कुआँ खोदते हैं और नित्य पानी पीते हैं।

निन्यानवे के फेर में पड़ना= (धनसंग्रह की धुन समाना)
प्रयोग- सारे व्यापारी सुबह से शाम तक अपने व्यापार में लगे रहते हैं। न घर की चिंता, न परिवार की। ऐसे लोगों के बच्चे भी बिगड़ जाते हैं। वास्तव में निन्यानवे के फेर में पड़कर ये लोग अपना वर्तमान खराब कर लेते हैं।

नक्कारखाने में तूती की आवाज= (सुनवाई न होना)

न देने के नौ बहाने= (न देने के बहुत-से बहाने)

नदी में रहकर मगर से वैर=(जिसके अधिकार में रहना, उसी से वैर करना)

नौ की लकड़ी, नब्बे खर्च= काम साधारण, खर्च अधिक)

नीम हकीम खतरे जान= (अयोग्य से हानि)

नाच कूदे तोड़े तान, ताको दुनिया राखे मान= आडम्बर दिखानेवाला मान पाता है।)

( प )

पढ़े फारसी बेचे तेल, यह देखो किस्मत (या कुदरत) का खेल= (पढ़े-लिखे लोग भी दुर्भाग्य के कारण दुःख उठाते हैं।)
प्रयोग- रमेश को एम.ए. करने के बाद भी कोई काम नहीं मिल रहा है। इसी को कहते हैं- 'पढ़े फारसी बेचे तेल, यह देखो कुदरत का खेल'।

पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं= (सब मनुष्य एक जैसे नहीं होते) 
प्रयोग- इस दुनिया में तरह-तरह के लोग हैं। कहा भी है- 'पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं'।

पल में तोला, पल में माशा= (अत्यन्त परिवर्तनशील स्वभाव होना)
प्रयोग- दादी का स्वभाव कुछ समझ नहीं आता। कल कुछ और थी, आज कुछ और हैं- 'पल में तोला, पल में माशा'।

पाँचों उंगलियाँ घी में होना= (हर तरफ से लाभ होना)
प्रयोग- सतीश काफी खुश था। वह बोला- अरे, इस बार ऐसा काम कर रहा हूँ कि 'पाँचों उंगलियाँ घी में होंगी'।

पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं= (बच्चे की प्रतिभा बचपन में ज्ञात हो जाती है।)
प्रयोग- शिवाजी की प्रतिभा का उनके बचपन में ही पता चल गया था। तभी कहते हैं- 'पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं'।

प्यासा कुएँ के पास जाता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं आता= (जिसे गर्ज होती है, वही दूसरों के पास जाता है।)
प्रयोग- राजू ने रमेश से कहा कि वह उसके घर आकर उसका होमवर्क पूरा करवा दे तो रमेश ने कहा कि वह उसके घर क्यों नहीं आ जाता- 'प्यासा कुएँ के पास जाता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं आता'।

पेट में आँत, न मुँह में दाँत= (बहुत वृद्ध व्यक्ति)
प्रयोग- रामू काका के पेट में न आँत है न मुँह में दाँत, फिर भी वे मेहनत-मजदूरी करते हैं।

परहित सरिस धरम नहिं भाई= (परोपकार से बढ़कर और कोई धर्म नहीं)
प्रयोग- हमें सदैव दूसरों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि परहित सरिस धरम नहिं भाई।

पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं= (परतंत्रता में कभी सुख नहीं)
प्रयोग- अँग्रेजों के जाने के बाद भारतवासियों को यह अहसास हुआ कि पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।'

पहले पेट पूजा, बाद में काम दूजा= (भोजन किए बिना काम में मन न लगना)
प्रयोग- जब बैठक दो बजे भी समाप्त न हुई तो सारे सदस्य चिल्लाने लगे- 'पहले पेट पूजा, बाद में काम दूजा', अब हमलोग बिना कुछ खाए काम नहीं कर सकते।

पर उपदेश कुशल बहुतेरे= (दूसरों को उपदेश देने में सब चतुर होते हैं)
प्रयोग-मंदिर का पुजारी सभी दर्शनार्थियों को यह उपदेश देता है कि परिश्रम करके खाओ', 'मिल-जुल कर बाँट कर खाओ' और खुद मंदिर में चढ़ा-चढ़ावा अकेले हजम कर जाता है। सच है, 'पर उपदेश कुशल बहुतेरे'।

पारस को छूने से पत्थर भी सोना हो जाता है =(सत्संगति से बुरे भी अच्छे हो जाते हैं) 
प्रयोग- अच्छे लोगों के साथ उठने-बैठने के कारण अब रामेश्वर का बेटा कैसे बदल गया है। किसी ने सही कहा है कि पारस को छूने से पत्थर भी सोना हो जाता है।

पिष्टपेषण करना= (एक ही बात को बार-बार दोहराना) 
प्रयोग- शर्मा जी ने पंडित रामदीन से कह दिया कि उनके लड़के से वे अपनी बेटी का रिश्ता नहीं कर सकते। पर रामदीन जब उनके पीछे ही पड़ गए तो, शर्मा जी बोले, पंडित जी, एक ही बात का पिष्टपेषण करने से कोई लाभ नहीं, मैं अपनी बात कह चुका हूँ।

पीर, बाबरची, भिश्ती खर= (जब किसी व्यक्ति को छोटे-बड़े सब काम करने पड़ें)
प्रयोग- बेचारे सुंदर को अब तक तो ऑफिस में ही सारे काम करने पड़ते थे, अब शादी के बाद पत्नी के डर से घर के भी सारे काम करने पड़ते हैं। बेचारे की हालत तो पीर, बाबरची, भिश्ती खर जैसी हो गई है।

पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं =(अच्छे गुणों के लक्षण बचपन में ही पता चल जाते हैं)
प्रयोग- पंडित नेहरू जब बच्चे थे तभी पंडितों ने कह दिया था कि बड़े होकर यह बालक बहुत नाम कमाएगा। किसी ने ठीक ही कहा है कि पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं।

पैसा गाँठ का, विद्या कंठ की= (धन और विद्या अपनी पहुँच के भीतर हों तभी लाभकारी होते हैं)
प्रयोग- जिसके पास धन भी है और ज्ञान भी वे लोग संसार में किसी से मात नहीं खाते क्योंकि ऐसे लोगों के लिए यह कहावत सच है कि पैसा गाँठ का, विद्या कंठ की।

पहले भीतर तब देवता-पितर= (पेट-पूजा सबसे प्रधान)

पूछी न आछी, मैं दुलहिन की चाची= (जबरदस्ती किसी के सर पड़ना)

पराये धन पर लक्ष्मीनारायण= (दूसरे का धन पाकर अधिकार जमाना)

पानी पीकर जात पूछना= (कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य पर विचार करना)

पंच परमेश्वर= (पाँच पंचो की राय)

( फ )

फटक चन्द गिरधारी, जिनके लोटा न थारी= (अत्यन्त निर्धन व्यक्ति)
प्रयोग- केशव के पास देने को कुछ नहीं है। वह तो फटक चन्द गिरधारी है।

फूंक दो तो उड़ जाय= (बहुत दुबला-पतला आदमी)
प्रयोग- रमा तो ऐसी दुबली-पतली थी कि 'फूंक दो तो उड़ जाय'।

( ब )

बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद= (वह व्यक्ति जो किसी विशेष वस्तु या व्यक्ति की कद्र न जानता हो)
प्रयोग- उपदेश झाड़ने आए हो, कह रहे हो- चाय मत पीयो। भला तुम क्या जानो इसके गुण- 'बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद'।

बहती गंगा में हाथ धोना= (अवसर का लाभ उठाना)
प्रयोग-सत्संग के लिए काफी लोग एकत्रित हुए थे। ऐसे में क्षेत्रीय नेता भी वहाँ आ गए और उन्होंने अपना लंबा-चौड़ा भाषण दे डाला। इसे कहते हैं- बहती गंगा में हाथ धोना।

बिल्ली के भागों छींका टूटा= (अकस्मात् कोई काम बन जाना) 
प्रयोग- अगर ट्रेन लेट न होती तो हमें कैसे मिलती। ये तो बिल्ली के भागों छींका टूट गया।

बंदर के हाथ नारियल= (किसी के हाथ ऐसी मूल्यवान चीज पड़ जाए, जिसका मूल्य वह जानता न हो)
प्रयोग- छोटू को स्कूटर देना तो बंदर के हाथ नारियल देना है।

बगल में छुरी, मुँह में राम= (मुँह से मीठी-मीठी बातें करना और हृदय में शत्रुता रखना)
प्रयोग- वैसे तो वे भाइयों को बहुत प्यार करते थे, लेकिन मौका पाते ही उनकी सब सम्पत्ति हड़प ली। इसे कहते हैं-'बगल में छुरी, मुँह में राम'।

बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह= (एक से बढ़ कर एक)
प्रयोग- सेठ जी तो अपने मजदूरों का कभी वेतन नहीं बढ़ाते थे। उनके बेटे ने तो मजदूरों का बोनस भी काट लिया। इसे कहते हैं- 'बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह'।

बत्तीस दाँतों में जीभ= (शत्रुओं से घिरा रहना)
प्रयोग- लंका में विभीषण ऐसे रहते थे जैसे बत्तीस दाँतों में जीभ रहती है।

बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया= (रुपए-पैसे का सर्वाधिक महत्व होना)
प्रयोग- दयाराम ने अपने सगे भाई से भी ब्याज ले ली। सच ही है= 'बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया'।

बासी बचे न कुत्ता खाय= (आवश्यकता से अधिक चीज न बनाना जिससे कि खराब न हो।)
प्रयोग- रामू के यहाँ तो रोज जितनी चीजों की जरूरत होती है उतनी ही आती है- 'बासी बचे न कुत्ता खाय'।

बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख= (यदि भाग्य प्रतिकूल हो तो माँगने पर भीख भी नहीं मिलती)
प्रयोग- पहले तो माँगने से भी नहीं दीं और आज हरीश ने अपने आप ही सारी किताबें मुझको दे दीं। ठीक ही है- 'बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख'।

बुरे काम का बुरा अंजाम= (बुरे काम का बुरा फल)
प्रयोग- हमें बुरे कर्म नहीं करने चाहिए क्योंकि बुरे काम का बुरा अंजाम होता है।

बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम= (बेमेल बात)
प्रयोग- गाँव के रामू ने जब अंग्रेजी मेम से शादी कर ली तो सब यही कहने लगे कि ये तो बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम है।

बैठे से बेगार भली= (खाली बैठे रहने से कुछ न कुछ काम करना भला होता है।)
प्रयोग- मेरे पास कोई काम नहीं था। मन में आया कुछ लिखा ही जाए- 'बैठे से बेगार भली'।

बंदर के गले में मोतियों की माला= (किसी मूर्ख को मूलयवान वस्तु मिल जाना)
प्रयोग- भृगु जैसे निपट गँवार को न जाने कैसे इतनी सुशील, गुणी और सुंदर पत्नी मिल गई। इसे कहते हैं बंदर के गले में मोतियों की माला। सब किस्मत का खेल है।

बंदर की दोस्ती जी का जंजाल= (मूर्ख से मित्रता करना मुसीबत मोल लेना है)
प्रयोग- मैंने सुमन को इतना समझाया था कि राकेश जैसे मूर्ख का साथ छोड़ दे पर उसने मेरी एक न सुनी। एक दिन राकेश की बातों में आकर तालाब में तैरने चला गया। दोनों को तैरना तो आता नहीं था अतः लगे डूबने। वह तो अच्छा हुआ कि वहाँ कुछ तैराक उसी समय पहुँच गए और उन्होंने दोनों को बचा लिया। इस घटना के बाद सुमन ने राकेश का साथ यह कहकर छोड़ दिया कि 'बंदर की दोस्ती जी का जंजाल' होती है।

बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी= (अपराधी किसी-न-किसी दिन पकड़ा ही जाएगा)
प्रयोग- आतंकवादी तीन दिन तक तो मंदिर में छुपकर फायरिंग करते रहे। अंत में पुलिस की गोलियों से सभी मारे गए। ठीक ही कहा गया है कि बकरे की माँ कब तक खैर मनाती।

बद अच्छा, बदनाम बुरा= (बदनाम व्यक्ति बुराई न भी करें तो भी लोगों का ध्यान उसी पर जाता है)
प्रयोग- शराबी व्यक्ति यदि दूध का गिलास लेकर भी जाएगा तो लोग यही समझेंगे कि दारू का गिलास है क्योंकि बद अच्छा, बदनाम बुरा होता है।

बारह वर्षों में तो घूरे के दिन भी बदलते हैं= (एक न एक दिन अच्छा समय आता ही है)
प्रयोग- अरे भाई हमलोग मेहनत कर रहे हैं कभी-न-कभी तो हमें भी सफलता मिलेगी। बारह वर्षों में तो घूरे के दिन भी बदल जाते हैं।

बाप न मारी मेढ़की, बेटा तीरंदाज= (छोटे का बड़े से आगे निकल जाना)
प्रयोग- रमाकांत भी हॉकी खेलता था पर कभी किसी अच्छी टीम में उसका चयन न हो पाया पर उसके बेटे को देखो कमाल कर दिया। वह तो अपने अच्छे खेल के कारण भारतीय टीम का कैप्टन बन गया है। इसे कहते हैं बाप न मारी मेढ़की, बेटा तीरंदाज।

बाबा ले, पोता बरते= (किसी वस्तु का अधिक टिकाऊ होना)
प्रयोग- सस्ते के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। जो भी सामान खरीदो ऐसा हो कि बाबा ले, पोता बरते', भले वह चीज महँगी क्यों न हो।

विपत्ति परे पै जानिए, को बैरी, को मीत= (संकट के समय ही मित्र और शत्रु की पहचान होती है)
प्रयोग- जब मैं मुसीबत में था तब सुरेश को छोड़कर किसी भी दोस्त ने मेरा साथ नहीं दिया। सच में मुझे तब पता चला कि सुरेश के अलावा मेरा कोई दोस्त नहीं है। ठीक ही कहा गया है कि विपत्ति परे पै जानिए, को बैरी को मीत।

बिल्ली को ख्वाब में भी छींछड़े नजर आते हैं= (जरूरतमंद को स्वप्न में भी जरूरत की चीज दिखाई देती है)
प्रयोग- मेरे भाई साहब पैसे के पीछे पागल हो गए हैं। दिन-रात उन्हें यही चिंता लगी रहती है कि पैसा कैसे कमाया जाए। क्या करें उनके लिए तो यही कहावत उपयुक्त है कि बिल्ली को तो ख्वाब में भी छींछड़े नजर आते हैं।

बिल्ली खाएगी, नहीं तो लुढ़का देगी= (दुष्ट लोग स्वयं लाभ न उठा पाएँ तो दूसरों की हानि तो कर ही देंगे)
प्रयोग- मंत्री जी ने संस्था के अधिकारी को धमकी देते हुए कहा, 'अगर मैनेजर के पद पर मेरे आदमी को नहीं लगाया तो मैं यह पद ही कैंसिल करवा दूँगा। यह तो वही बात हुई कि बिल्ली खाएगी, नहीं तो लुढ़का देगी।

बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि ले= (पिछली बातों को भुलाकर आगे की चिन्ता करनी चाहिए)
प्रयोग- इधर-उधर आवारागर्दी करने के कारण मनोज बी० ए० की परीक्षा में फेल हो गया और जब उसने रोना-धोना शुरू कर दिया तो शर्माजी ने समझाया कि 'बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि ले।'

बूर के लड्डू जो खाए सो पछताए, जो न खाय वह भी पछताय= (ऐसा कार्य जिसको करने वाले तथा न करने वाले, दोनों ही पछताते हैं)
प्रयोग- भैया शादी को बूर का लड्डू समझो। इसे तो जो खाए सो पछताए और जो न खाए सो पछताए।

बेकार से बेगार भली= (न करने से कुछ करना ही अच्छा है)
प्रयोग- मैंने अपनी पत्नी को समझाया कि दिनभर खाली बैठे रहकर बोर होती हो इससे अच्छा है कि आसपास के गरीब बच्चों को एक-दो घंटे पढ़ा दिया करो क्योंकि बेकार से बेगार भली होती है।

बोया गेहूँ, उपजे जौ= (कार्य कुछ परिणाम कुछ और)
प्रयोग- रमेश ने पैसा खर्च करके बेटे को मैडीकल में ऐडमिशन दिलाया। बेटा डॉक्टर भी बन गया पर प्रैक्टिस न चली। यह देखकर महेश ने उसके लिए एक केमिस्ट की दुकान खुलवा दी। बेचारा लड़का, डॉक्टर से कैमिस्ट बन गया। यह तो वही बात हुई कि बोया गेहूँ, उपजे जौ।

बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ ते होय= (बुरे कर्मो से अच्छा फल नहीं मिलता)
प्रयोग- शमीम सारी जिंदगी बेईमानी करता रहा। बेईमानी के पैसे से सुख सुविधाएँ तो मिल गयीं पर बच्चे बिगड़ गए और बाप की ही तरह गलत रास्तों पर चलने लगे। बच्चों को गलत रास्ते पर चलता देख शमीम को अच्छा नहीं लगता पर कोई क्या कर सकता है जब बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से हो जाएँगे।

बूड़ा वंश कबीर का उपजा पूत कमाल= (श्रेष्ठ वंश में बुरे का पैदा होना)

बाँझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा= (जिसको दुःख नहीं हुआ है वह दूसरे के दुःख को समझ नहीं सकता)

बैल का बैल गया नौ हाथ का पगहा भी गया= (बहुत बड़ा घाटा)

( भ )

भागते चोर की लंगोटी ही सही= (सारा जाता देखकर थोड़े में ही सन्तोष करना) 
प्रयोग- सेठ करोड़ीमल पर मेरे दस हजार रुपये थे। दिवाला निकलने के कारण वह केवल दो हजार रु० ही दे रहा है। मैंने सोचा, चलो भागते चोर की लंगोटी ही सही।

भैंस के आगे बीन बजाना= (मूर्ख को गुण सिखाना व्यर्थ है।)
प्रयोग-अरे ! रवि को पढ़ाई की बातें क्यों समझा रहे हो ? उसके लिए पढ़ाई-लिखाई सब बेकार की बातें हैं। तुम व्यर्थ ही भैंस के आगे बीन बजा रहे हो।

भागते भूत की लँगोटी ही भली= (जहाँ कुछ न मिलने की आशंका हो, वहाँ थोड़े में ही संतोष कर लेना अच्छा होता है।)
प्रयोग- चोर तो पुलिस के हाथ नहीं आए, पर पुलिस को वह आदमी मिल गया जिसने उन चोरों को देखा था- कहते हैं कि भागते भूत की लँगोटी ही भली।

भरी मुट्ठी सवा लाख की= (भेद न खुलने पर इज्जत बनी रहती है।)
प्रयोग- रामपाल को वेतन बहुत कम मिलता है, लेकिन वह किसी को कुछ नहीं बताता। सही बात है- 'भरी मुट्ठी सवा लाख की' होती है।

भूखा सो रूखा= (निर्धन मनुष्य में मृदुता नहीं होती)
प्रयोग- रामू गरीब है इसलिए उसका रूखा स्वभाव है। कहते भी हैं-'भूखा सो रूखा'।

भेड़ की खाल में भेड़िया= (जो देखने में भोला-भाला हो, परन्तु वास्तव में खतरनाक हो।)
प्रयोग- आजकल कुछ लालची नेता लोग 'भेड़ की खाल में भेड़िये' बने शिकार खेल रहे हैं, उन्हें बेनकाब करना चाहिए।

भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है= (ईश्वर की जब किसी पर कृपा होती है तो उसे चारों ओर से लाभ ही लाभ होता है)
प्रयोग- वर्मा जी के लिए यह साल बड़ा ही लकी साबित हुआ। उनकी बेटी का विवाह हो गया, एक करोड़ की लॉटरी लग गई जिससे उन्होंने एक नया फ्लैट तथा गाड़ी खरीद ली। सच में भगवान जब किसी को देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।

भीख माँगे और आँख दिखावे= (दयनीय होकर भी अकड़ दिखाना)
प्रयोग- रमाकांत की हालत बहुत ही खस्ता है पर दूसरों के सामने अकड़ दिखाने से बाज नहीं आता। ऐसे ही लोगों के लिए यह कहा गया है कि 'भीख माँगे और आँख दिखावे।

भूखे भजन न होय गोपाला= (भूखा व्यक्ति धर्म-कर्म भी नहीं करता)
प्रयोग- जिस आदमी ने कल से कुछ न खाया हो उससे तुम कह रहे हो कि पहले मंदिर जाकर दर्शन कर आए। भैया पहले उसे कुछ खिलाओ-पिलाओ क्योंकि भूखे भजन न होय गोपाला।

भूख में किवाड़ पापड़= (भूख के समय सब कुछ अच्छा लगता है)
प्रयोग- वह भिखारी बहुत भूखा था। मेरे पड़ोसी ने उसे तीन दिन की बासी रोटी और सब्जी दी तो उसने बड़े स्वाद से खाई। सच है भूख में किवाड़ भी पापड़ हो जाते हैं।

भइ गति साँप-छछूँदर केरी= (दुविधा में पड़ना)

( म )

मुँह में राम बगल में छुरी= (बाहर से मित्रता पर भीतर से बैर) 
प्रयोग- सुरभि और प्रतिभा दोनों आपस में अच्छी सहेलियाँ बनती हैं, परंतु मौका पाते ही एक-दूसरे की बुराई करना शुरू कर देती हैं। यह तो वही बात हुई- मुँह में राम बगल में छुरी।

मान न मान मैं तेरा मेहामन= (जबरदस्ती किसी के गले पड़ना)
प्रयोग- जब एक अजनबी जबरदस्ती रामू से आत्मीयता दिखाने लगा तो रामू बोला- 'मान न मान मैं तेरा मेहामन'।

मियाँ-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी= (जब दो व्यक्ति आपस में मिल जाएँ जो किसी अन्य के दखल देने की जरूरत नहीं होती)
प्रयोग- यदि राजू रामू से संतुष्ट रहेगा तो कोई कुछ नहीं कहेगा। कहावत है न- 'मियाँ-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी'?

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत= (भारी से भारी विपत्ति पड़ने पर भी साहस नहीं छोड़ना चाहिए)
प्रयोग- रमा बहन! 'मन के हारे हार है, मन के जीते जीत'। तुम अपने मन को दृढ़ करो।

मन चंगा तो कठौती में गंगा= (यदि मन शुद्ध हो तो तीर्थाटन का फल घर में ही मिल सकता है।)
प्रयोग- रामू काका कभी गंगा नहाने नहीं जाते, वह हमेशा सबकी मदद करते रहते हैं। ठीक ही कहते है- 'मन चंगा तो कठौती में गंगा'।

मरता क्या न करता= (विपत्ति में फंसा हुआ मनुष्य अनुचित काम करने को भी तैयार हो जाता है।)
प्रयोग- जब मैनेजर ने रामू की छुट्टी स्वीकार नहीं की तो उसने उसे मारने की धमकी दे दी। भाई, 'मरता क्या न करता'।

माया गंठ और विद्या कंठ= (गाँठ का रुपया और कंठस्थ विद्या ही काम आती है।)
प्रयोग- रामू की गाँठ का रुपया गया तो क्या हुआ, वह अपने ज्ञान से बहुत कमा लेगा। कहावत भी है- 'माया गंठ और विद्या कंठ'।

मारे और रोने न दे= (बलवान आदमी के आगे निर्बल का वश नहीं चलता)
प्रयोग- शेरसिंह सबको डाँटता रहता है और किसी को बोलने भी नहीं देता। ये तो वही बात हुई- 'मारे और रोने न दे'।

मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त= (जिसका काम हो, वह सुस्त हो और दूसरे उसका ख्याल रखें)
प्रयोग- रामू तो अपने काम की परवाह ही नहीं करता, उसके काम का तो दूसरे ही ख्याल रखते हैं- यहाँ तो 'मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त' वाली बात है।

मुफ़लिसी में आटा गीला= (दुःख पर और दुःख आना)
प्रयोग- एक तो रोजगार छूटा, दूसरे बच्चे भी बीमार पड़ गए- 'मुफ़लिसी में आटा गीला' हो गया।

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक= (जहाँ तक किसी मनुष्य की पहुँच होती है, वह वहीं तक जाता है।)
प्रयोग- घर में अगर कोई लड़ाई-झगड़ा हो जाता है तो रामू सीधा दादाजी के पास जाता है। सब यही कहते हैं कि रामू की 'मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक' है।

मुर्दे पर जैसे सौ मन मिट्टी वैसे सवा सौ मन मिट्टी= (बड़ी हानि हो तो उसी के साथ थोड़ी और हानि भी सह ली जाती है।)
प्रयोग- अपना तो अब वही हाल था- 'मुर्दे पर जैसे सौ मन मिट्टी वैसे सवा सौ मन मिट्टी'।

मेरी ही बिल्ली और मुझी से म्याऊँ= (जिसके आश्रय में रहे, उसी को आँख दिखाना)
प्रयोग- मेरा नौकर रामू मुझको ही आँख दिखाने लगा- 'मेरी ही बिल्ली और मुझी से म्याऊँ'।

मेरे मन कछु और है, दाता के कछु और= (किसी की आकांक्षाएँ सदैव पूरी नहीं होती)
प्रयोग- मैंने सोचा था कि बी.एड. करके अध्यापक बनूँगा, लेकिन बन गया संपादक; यह कहावत सही है- 'मेरे मन कछु और है, दाता के कछु और'।

मँगनी के बैल के दाँत नहीं देखे जाते= (माँगी हुई वस्तु में कमी नहीं देखना चाहिए)
प्रयोग- सुशील अपने दोस्त की मोटरसाइकिल माँग कर लाया तो लगा मोटरसाइकिल में नुस्ख निकालने। मैंने कहा कि भैया मँगनी के बैल के दाँत नहीं देखे जाते। अगर मोटरसाइकिल बेकार है तो जाकर वापस कर दो और ले आओ खरीदकर नई।

महँगा रोए एक बार, सस्ता रोए बार-बार= (महँगी वस्तु केवल खरीदते समय कष्ट देती है पर सस्ती चीज हमेशा कष्ट देती है)
प्रयोग- शर्मा जी न जाने कहाँ से कोई लोकल कूलर खरीद लाए हैं। जिस दिन से खरीदा है रोज उसमें कुछ-न-कुछ हो जाता है। मैंने उन्हें समझाया था कि अच्छी कंपनी का खरीदना पर नहीं माने। अब दुखी होते फिर रहे हैं। सच ही कहा गया है कि महँगा रोए एक बार, सस्ता रोए बार-बार।

माँ के पेट से कोई सीख कर नहीं आता= (काम, सीखने से ही आता है)
प्रयोग- तुम इस बच्चे को इतना डाँटते क्यों हो? यदि उसे काम नहीं आता तो सिखाओ। तुम्हें भी तो किसी ने सिखाया ही होगा। माँ के पेट से कोई सीख कर नहीं आता।

माया को माया मिले, कर-कर लंबे हाथ= (धन ही धन को खींचता है)
प्रयोग- सेठ हंसराज करोड़पति आसामी हैं अपने पैसे के बल पर वे एक ओर जमीनें खरीदते हैं तो दूसरी ओर फ्लैट बना बनाकर बेचते हैं। सच ही कहा गया है कि 'माया को माया मिले, कर-कर लंबे हाथ'।

माने तो देवता, नहीं तो पत्थर= (विश्वास में सब कुछ होता है)
प्रयोग- मेरा तो विश्वास है कि प्राणायाम समस्त रोगों का निदान है अतः मैं रोज प्राणायाम करता हूँ पर मेरा भाई मेरी धारणा के विपरीत है। ठीक है माने तो देवता नहीं तो पत्थर वाली उक्ति यहाँ साबित होती है।

मार के डर से भूत भागते हैं= (मार से सब डरते हैं) 
प्रयोग- पुलिस ने जब उस भिखारी पर डंडे बरसाए तो तुरंत कबूल गया कि चोरी उसी ने की थी। भैया मार से तो भूत भागते हैं, अगर न कबूलता तो पुलिस उसे छोड़नेवाली नहीं थी।

मियाँ की जूती मियाँ का सिर= (जब अपनी ही चीज अपना नुकसान करे)
प्रयोग- सुरेश ने एक घड़ी खरीदी तो उसे लगा कि दुकानदार ने उसे ठग लिया है। सुरेश ने जब यह घटना मुझे बताई तो मैंने उस घड़ी का डायल बदल दिया और सुंदर-सी पैकिंग में ले जाकर उसी दुकानदार को दुगुनी कीमत में बेच दिया। इसे कहते हैं- मियाँ की जूती मियाँ का सिर।

मूल से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है= (मनुष्य को अपने नाती-पोते अपने बेटे-बेटियों से अधिक प्रिय होते हैं)
प्रयोग- सेठ अमरनाथ ने अपने बेटे के पालन-पोषण पर उतना खर्च नहीं किया जितना अपने पोते पर करता है। सच ही कहा गया है कि मूल से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है।

मोको और न तोको ठौर= (हम दोनों की एक-दूसरे के बिना गति नहीं)
प्रयोग- अरे बंधु, हमलोगों में चाहे जितना झगड़ा हो जाए पर हम लोग कभी एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकते। इसलिए अब कभी झगड़ा नहीं करेंगे क्योंकि मोको और न तोको ठौर।

मेढक को भी जुकाम= (ओछे का इतराना)

मार-मार कर हकीम बनाना= (जबरदस्ती आगे बढ़ाना)

माले मुफ्त दिले बेरहम= (मुफ्त मिले पैसे को खर्च करने में ममता न होना)

मोहरों की लूट, कोयले पर छाप= (मूल्यवान वस्तुओं को छोड़कर तुच्छ वस्तुओं पर ध्यान देना)

( य )

यह मुँह और मसूर की दाल= (जब कोई अपनी हैसियत से अधिक पाने की इच्छा करता है तब ऐसा कहते हैं।)
प्रयोग- सोहन कहने लगा कि मैं तो सिल्क का सूट बनवाऊँगा। मैंने कहा- जरा आईना देख आओ- 'यह मुँह और मसूर की दाल'।

यहाँ परिन्दा भी पर नहीं मार सकता= (जहाँ कोई आ-जा न सके)
प्रयोग- मेरे ऑफिस में इतना सख्त पहरा है कि यहाँ कोई परिन्दा भी पर नहीं मार सकता।

यथा राजा, तथा प्रजाा= (जैसा स्वामी वैसा ही सेवक)
प्रयोग- जिस गाँव का मुखिया ही भ्रष्ट और पाखंडी हो उस गाँव के लोग भले कैसे हो सकते हैं। वे भी वही सब करते हैं जो उनका मुखिया करता है। किसी ने ठीक ही तो कहा है कि यथा राजा, तथा प्रजा।

( र )

रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी= (बुरी हालत में पड़कर भी अभियान न त्यागना)
प्रयोग- लड़की घर से भाग गई, बेटा स्कूल से निकाल दिया गया, लेकिन मिसेज बक्शी के तेवर अभी भी नहीं बदले। यह तो वही बात हुई- रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी।

रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी= (कारण का नाश कर देना)
प्रयोग- गाँव को डाकुओं के चंगुल से मुक्त कराने के लिए गाँव वालों ने मिल कर उन डाकुओं को मारने की योजना बनाई- 'रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी'।

रात छोटी कहानी लम्बी= (समय थोड़ा है और काम बहुत है।)
प्रयोग- जीवन छोटा है और काम बहुत हैं। किसी ने ठीक ही कहा है- 'रात छोटी कहानी लम्बी' है।

राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढी= (दो मनुष्यों के एक ही तरह का होना)
प्रयोग- राम और श्याम की अच्छी जोड़ी मिली है। दोनों महामूर्ख हैं। 'राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढी'।

राम राम जपना, पराया माल अपना= (ढोंगी मनुष्य; दूसरों का माल हड़पने वाले)
प्रयोग- वह साधु नहीं कपटी और छली है। इसका तो एक ही काम है- 'राम राम जपना, पराया माल अपना'।

रात गई, बात गई= (अवसर निकल जाना) 
प्रयोग- नौकरी के लिए आवेदन-पत्र भेजने की तिथि तो निकल गई अब तुम फॉर्म क्यों खरीदना चाहते हो? अब तो रात गई, बात गई।

रोज कुआँ खोदना, रोज पानी पीना= (नित्य कमाना और नित्य खाना)
प्रयोग- हमलोग तो रोज कुआँ खोदते है, रोज पानी पीते हैं इसलिए ज्यादा हायतोबा नहीं करते। जो मिल जाता है उसी में संतुष्ट रहते हैं।

रोजा बख्शवाने गए थे, नमाज गले पड़ गई= (छोटे काम से जान छुड़ाने के बदले बड़ा काम गले पड़ जाना)
प्रयोग- मल्लिका प्रिंसिपल के पास आधे दिन की छुट्टी की अनुमति माँगने गई थी पर इससे पहले वह अपनी बात कहती प्रिंसिपल ने उसे शाम के फंक्शन तक ठहरने के आदेश दे दिए। मल्लिका प्रिंसिपल से कुछ न कह पाई। इसे कहते हैं गए तो थे रोजा बख्शवाने पर नमाज गले पड़ गई।

रोटी खाइए शक़्कर से, दुनिया ठगिए मक्कर से= (आजकल फ़रेबी लोग ही मौज उड़ाते हैं)
प्रयोग- सुरेंद्र दिन रात परिश्रम करता है तो भी उसका गुजारा नहीं चल पाता और दूसरी ओर उसके छोटे भाई को देखो, गलत-सलत धंधे करता है करता है। आजकल ऐसे ही लोगों का जमाना है और ऐसे ही लोगों के लिए यह कहावत प्रचलित है कि 'रोटी खाइए शक़्कर से और दुनिया ठगिए मक्कर से'।

रोग का घर खाँसी, झगड़े घर हाँसी= (अधिक मजाक बुरा)

( ल )

लकड़ी के बल बंदरी नाचे= (शरारती से शरारती या दुष्ट लोग भी डंडे के भय से वश में आ जाते हैं।)
प्रयोग- संजू बहुत शरारती है, पर जब अध्यापक के हाथ में बेंत होता है तो वह जैसा कहते हैं संजू वैसे करने लगता है। ठीक ही कहते हैं- लकड़ी के बल बंदरी नाचे।

लकीर के फकीर= (पुरानी परम्पराओं और रीति-रिवाजों का पालन करने वाला)
प्रयोग- कबीरदास 'लकीर के फकीर' नहीं थे तभी तो उन्होंने आध्यात्मिक उन्नति के नए मार्ग का अन्वेषण किया था।

लगा तो तीर, नहीं तो तुक्का= (काम बन जाए तो अच्छा है, नहीं बने तो कोई बात नहीं)
प्रयोग- देखा-देखी रहीम ने भी आज लॉटरी खरीद ही ली। 'लगा तो तीर, नहीं तो तुक्का'।

लाख जाए, पर साख न जाए= (धन व्यय हो जाए तो कोई बात नहीं, पर सम्मान बना रहना चाहिए)
प्रयोग- विवेक बात का पक्का है, उसका एक ही सिद्धांत है- 'लाख जाए, पर साख न जाए'।

लाठी टूटे न साँप मरे= (किसी की हानि हुए बिना स्वार्थ सिद्ध हो जाना)
प्रयोग- रामू काका किसी को हानि पहुँचाए बगैर काम करना चाहते हैं- 'लाठी टूटे न साँप मरे'।

लातों के भूत बातों से नहीं मानते= (दुष्ट प्रकृति के लोग समझाने से नहीं मानते)
प्रयोग- मैंने रामू के साथ भलमनसी का बर्ताव किया, पर वह नहीं माना। ठीक ही है- 'लातों के भूत बातों से नहीं मानते'।

लाल गुदड़ी में नहीं छिपता= (मेधावी लोग दीन-हीन अवस्था में भी प्रकट हो जाते हैं।)
प्रयोग- रामू बड़ा ही दीन बालक था। किन्तु उसके अध्यापक ने उसे शीघ्र पहचान लिया कि यह बड़ा होनहार बालक है। ठीक ही है- 'लाल गुदड़ी में नहीं छिपता'।

लालच बुरी बला= (लालच से बहुत हानि होती है इसलिए हमें कभी लालच नहीं करना चाहिए)
प्रयोग- सब जानते हैं कि लालच बुरी बला है, फिर भी लालच में पड़ जाते हैं।

लेना एक न देना दो= (किसी से कुछ मतलब न रखना)
प्रयोग- तरुण तो अपने काम से काम रखता है- 'लेना एक न देना दो'।

लोभी गुरु और लालची चेला, दोऊ नरक में ठेलम ठेला= (लालच बहुत बुरी चीज है)
प्रयोग- केशव और मनोज दोनों लालची हैं, इसी से दोनों में लड़ाई-झगड़ा बना रहता है। कहावत प्रसिद्ध है- 'लोभी गुरु और लालची चेला, दोऊ नरक में ठेलम ठेला'।

लोहे को लोहा ही काटता है= (दुष्ट का नाश दुष्ट ही करता है।)
प्रयोग- मैंने सोचा कि 'लोहे को लोहा ही काटता है' इसलिए कालू बदमाश को ठीक करने के लिए मैंने चुन्नू बदमाश की सेवाएँ प्राप्त कीं।

लश्कर में ऊँट बदनाम= (दोष किसी का, बदनामी किसी की)

लूट में चरखा नफा= (मुफ्त में जो हाथ लगे, वही अच्छा)

लेना-देना साढ़े बाईस= (सिर्फ मोल-तोल करना)

( व )

वक्त पड़े बांका, तो गधे को कहै काका= (विपत्ति पड़ने पर हमें कभी-कभी छोटे लोगों की भी खुशामद करनी पड़ती है।)
प्रयोग- मैं उस जैसे स्वार्थी मनुष्य की कभी खुशामद न करता परन्तु मैं विवश था। कहावत है- 'वक्त पड़े बांका, तो गधे को कहै काका'।

वह दिन गए जब खलील खां फाख्ता उड़ाते थे= (आनन्द अथवा उत्कर्ष का समय समाप्त होना)
प्रयोग- जब मालिक नहीं थे तो रमेश ने खूब मौज उड़ाई। अब जब मालिक आ गए हैं तो उनकी सारी मौज खत्म हो गई। तब रामू बोला कि वह दिन गए जब खलील खां फाख्ता उड़ाते थे।

वहम की दवा तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं है= (बुद्धिमान से बुद्धिमान मनुष्य भी शक्की आदमी को ठीक नहीं कर सकता)
प्रयोग- रामू को प्रेत तंग करता है। मैंने हर प्रकार का प्रयास किया कि उसके इस संदेह का निराकरण कर दूं। पर मुझे सफलता न मिली। सच ही है- 'वहम की दवा तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं है'।

वही ढाक के तीन पात= (जब किसी की अवस्था ज्यों की त्यों बनी रहे, उसमें कोई सुधार न हो)
प्रयोग- मुझे जीवन में बड़ी-बड़ी आशायें थीं। परन्तु तीस वर्ष नौकरी करने के बाद आज भी मैं गरीब ही हूँ जैसा पहले था- 'वही ढाक के तीन पात'।

विनाशकाले विपरीत बुद्धि= (विपत्ति पड़ने पर बुद्धि का काम न करना)
प्रयोग- विनाश के समय रावण की बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी। ठीक ही कहा है- 'विनाशकाले विपरीत बुद्धि'।

विपत्ति कभी अकेली नहीं आती= (मनुष्य के ऊपर विपत्तियाँ एक साथ आती हैं।)
प्रयोग- पिता की मृत्यु, छोटी बहन की बीमारी और स्वयं अपने दुर्भाग्य ने रामू को बुरी तरह झकझोर दिया था। कहते भी हैं- 'विपत्ति कभी अकेली नहीं आती'।

विष की कीड़ा विष ही में सुख मानता है= (बुरे को बुराई और पापी को पाप ही अच्छा लगता है।)
प्रयोग- कालू से शराब छोड़ने के लिए सबने कहा, पर वह नहीं मानता। सही बात है- ' विष की कीड़ा विष ही में सुख मानता है'।

( श )

शठे शाठ्यमाचरेत्= (दुष्टों के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए)
प्रयोग- राजू ने एक गुंडे के साथ अच्छा व्यवहार किया तो वह उसे कमजोर समझकर झगड़ने लगा। किसी ने ठीक ही कहा है- 'शठे शाठ्यमाचरेत्'।

शर्म की बहू नित भूखी मरे= (जो खाने-पीने में शर्माता है, वह भूखा मरता है।)
प्रयोग- गौरव ने कहा कि खाने-पीने में काहे की शर्म। भूखे थोड़े ही मरना है। आपने सुना नहीं- 'शर्म की बहू नित भूखी मरे'।

शक़्कर खोरे को शक़्कर और मूँजी को टक्कर= (जो जिस योग्य होता है, उसे वैसा ही मिल जाता है)
प्रयोग- शर्मा जी का बेटा यहाँ रहकर गलत सोहबत में पड़कर शराब पीने लगा था। शर्मा जी ने उसे मुंबई होस्टल में भेज दिया जिससे कि उसकी बुरी संगत छूट जाए पर हुआ यह कि वहाँ जाकर भी उसे वैसे ही दोस्त मिल गए। इसे कहते हैं शक़्कर खोरे को शक़्कर और मूँजी को टक्करहर जगह मिल जाती है।

शुभस्य शीघ्रम्= (शुभ काम को जल्द कर लेना चाहिए)
प्रयोग- शर्माजी ने कहा कि नए मकान में जाने में अब देरी नहीं करनी चाहिए। कहते भी हैं- 'शुभस्य शीघ्रम्'।

शेर का बच्चा शेर ही होता है= (वीर व्यक्ति का पुत्र वीर ही होता है।)
प्रयोग- पं. मोतीलाल नेहरू जैसे बुद्धिमान और देशभक्त के पुत्र पं. जवाहरलाल नेहरू हुए। सच ही कहते हैं-'शेर का बच्चा शेर ही होता है'।

शेर भूखा रहता है पर घास नहीं खाता= (सज्जन लोग कष्ट पड़ने पर भी नीच कर्म नहीं करते)
प्रयोग- श्रीरामचंद्र जी पर कितने कष्ट पड़े, पर उन्होंने अपनी मर्यादा नहीं छोड़ी थी। ये कहावत ठीक ही है- 'शेर भूखा रहता है पर घास नहीं खाता'।

( स )

साँच को आँच नहीं= (जो मनुष्य सच्चा होता है, उसे डर नहीं होता)
प्रयोग- मुकेश, जब तुमने गलती की ही नहीं है, तो फिर डर क्यों रहे हो ? चलो सब कुछ सच-सच बता दो, क्योंकि साँच को आँच नहीं होती।

साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे= (आसानी से काम हो जाना) 
प्रयोग- ठेकेदार और जमींदार के झगड़े में पंच को ऐसा फैसला सुनाना चाहिए कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।

सीधी ऊँगली से घी नहीं निकलता= (सीधेपन से काम नहीं चलता)
प्रयोग- हमने राजी-वाजी से काम निकालना चाहा, पर ठीक ही कहते हैं- 'सीधी ऊँगली से घी नहीं निकलता'।

सौ सुनार की, एक लुहार की= (कमजोर आदमी की सौ चोट और बलवान व्यक्ति की एक चोट बराबर होती है।) 
प्रयोग- सौरभ बड़ी देर से कौशल की पीठ पर थप्पड़ मार रहा था। अंत में किशन ने उसको जोर से एक घूँसा मार दिया तो सौरभ कराहने लगा। ठीक ही है- 'सौ सुनार की, एक लुहार की'।

सौ-सौ चूहे खाके बिल्ली हज को चली= (जीवनभर कुकर्म करके अंत में धर्म-कर्म करना)
प्रयोग- मनोज ने सारा जीवन तो दुष्कर्म में व्यतीत किया। अब वह बूढ़ा हुआ तो तीर्थ-यात्रा करने निकला। यह देखकर उसके पड़ोसी ने कहा- 'सौ-सौ चूहे खाके बिल्ली हज को चली'।

संतोषी सदा सुखी= (संतोष रखने वाला व्यक्ति सदा सुखी रहता है।)
प्रयोग- रमेश ज्यादा हाय-तौबा नहीं करता इसलिए हमेशा सुखी रहता है। ठीक ही कहते हैं- 'संतोषी सदा सुखी'।

सच्चे का बोलबाला, झूठे का मुँह काला= (सच्चे आदमी को सदा यश और झूठे को अपयश मिलता है।)
प्रयोग- आदमी को कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि सच्चे का बोलबाला और झूठे का मुँह काला होता है।

सत्तर (या नौ सौ) चूहे खाकर बिल्ली हज को चली= (जब कोई पूरे जीवन पाप करके पीछे पुण्य करने लगता है।)
प्रयोग- पूरी जिंदगी वह चोरी करता रहा और अब धर्मात्मा बन रहा है- 'सत्तर (या नौ सौ) चूहे खाकर बिल्ली हज को चली'।

सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं= (एक पिता के पुत्र या मित्र आदि की राय एक-सी होना)
प्रयोग- मजदूरों को मालिकों के मैनेजरों से यह आशा नहीं करनी चाहिए कि वे मजदूरों का कुछ भला करेंगे, क्योंकि मालिक और उनके मैनेजर सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।

सबसे भली चुप= (चुप रहना अच्छा होता है।)
प्रयोग- एक आदमी रामू को बेबात गालियाँ बक रहा था, तो रामू ने सोचा कि इस पागल आदमी से उलझना बेकार है- 'सबसे भली चुप'।

सबसे भले मूसलचंद, करें न खेती भरें न दंड= (मुफ्तखोर लोग सबसे मजे में रहते हैं, क्योंकि उन्हें किसी बात की चिन्ता नहीं रहती)
प्रयोग- कर्मचंद तो पूरे मुफ्तखोर हैं- 'सबसे भले मूसलचंद, करें न खेती भरें न दंड'।

सब्र का फल मीठा होता है= (सब्र करने से बहुत लाभ होता है।)
प्रयोग- अध्यापक ने छात्र को समझाया कि सब्र का फल मीठा होता है। वह बस मन लगाकर पढ़ाई करे।

सभी जो चमकता है, सोना नहीं होता= (जो ऊपर से आकर्षक और अच्छा मालूम होता है, वह हमेशा अच्छा नहीं होता)
प्रयोग- सच ही कहते हैं- 'सभी जो चमकता है, सोना नहीं होता'। मैं जिस व्यक्ति को विनम्रता की मूर्ति समझा था, वह इतना दुष्ट होगा इसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी।

सयाना कौआ गलीज खाता है= (चालाक लोग बुरी तरह से धोखा खाते हैं।)
प्रयोग- राजू बहुत चालाक था इसलिए ऐसे लोगों के चक्कर में फंस गया कि अब उसे पैसे भी ज्यादा देने पड़े और गाड़ी भी अच्छी नहीं मिली, इसलिए कहते हैं- 'सयाना कौआ गलीज खाता है'।

सस्ता रोवे बार-बार, महँगा रोवे एक बार= (बार-बार सस्ती चीज की मरम्मत करानी पड़ती है, परन्तु महंगी चीज खरीदने पर ऐसा नहीं करना पड़ता)
प्रयोग- सोहन सस्ता टेबल-फैन खरीद लाया तो वह दो दिन में ही खराब हो गया। अब वह पछता रहा है, महंगा लेता तो ऐसा नहीं होता। ठीक ही है- 'सस्ता रोवे बार-बार, महँगा रोवे एक बार'।

साँप का बच्चा सपोलिया= (शत्रु का पुत्र शत्रु ही होता है।)
प्रयोग- मोहन की कालू से शत्रुता थी। उसके मरने के बाद कालू का बेटा भी शत्रुता करने लगा। ठीक ही है- 'साँप का बच्चा सपोलिया'।

साँप निकल गया, लकीर पीटने से क्या लाभ= (यदि आदमी अवसर पर चूक जाए तो बाद में उसे पछताना पड़ता है।)
प्रयोग- जब डाकू बैंक लूटकर ले गए तब पुलिस पहुँचकर, वहाँ पूछताछ करने लगी तो एक आदमी ने कहा- 'साँप निकल गया है, अब लकीर पीटने से क्या लाभ है'।

सात पाँच की लाकड़ी, एक जने का बोझ= (एकता में बहुत शक्ति होती है।)
प्रयोग- केशव के पाँच भाई थे, जब वे साथ रहते तो एक-दूसरे का दुःख बाँट लेते थे, लेकिन वे जब से अलग हुए हैं उनका जीना दूभर हो गया है। ठीक ही कहते हैं- 'सात पाँच की लाकड़ी, एक जने का बोझ'।

सावन के अंधे को हरा-ही-हरा सूझता है= (अमीर या सुखी व्यक्ति समझता है कि सब लोग आनन्द में हैं।)
प्रयोग- लॉटरी खुलने से संजू अमीर हो गया तो वह अपने गरीब दोस्त से अच्छे कपड़े पहनने की बात करने लगा। सच ही कहा है- 'सावन के अंधे को हरा-ही-हरा सूझता है'।

सावन सूखा न भादों हरा= (सदा एक ही दशा में रहने वाला)
प्रयोग- सक्सेना जी इतने अमीर हैं, फिर भी मोटे नहीं होते, सदा एक से रहते हैं- 'सावन सूखा न भादों हरे'।

सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े= (किसी कार्य का श्रीगणेश करते ही उसमें विघ्न पड़ना)
प्रयोग- रामू ने जैसे ही लकड़ी का बूथ बनाकर पान की दुकान खोली वैसे ही नगर निगम वालों ने सड़क के किनारे बूथों को हटाने का आदेश दे दिया। ये तो वही बात हुई- 'सिर मुंड़ाते ही ओले पड़ गए'।

सुनिए सबकी, कीजिए मन की= (बातें तो सबकी सुन लेनी चाहिए, पर जो अच्छा लगे, उसी के अनुसार काम करना चाहिए।)
प्रयोग- रामू सुनता तो सबकी है, पर करता अपने मन की है। ठीक बात है- 'सुनिए सबकी, कीजिए मन की'।

सुबह का भूला शाम को घर आ जाए, तो उसे भूला नहीं कहते= (यदि कोई व्यक्ति शुरू में गलती करे और बाद में सुधर जाए तो उसकी गलती क्षमा योग्य होती है।)
प्रयोग- राजू ने शिक्षक के समझाने पर सिगरेट पीनी छोड़ दी तो सब यही कहने लगे- 'सुबह का भूला शाम को घर आ जाए, तो उसे भूला नहीं कहते'।

सूरा सो पूरा= (बहादुर या साहसी लोग सब कुछ कर सकते हैं।)
प्रयोग- रामू के पिता ने कहा कि यदि वह साहस न छोड़ेगा तो कठिन से कठिन काम कर डालेगा। कहावत भी है- 'सूरा सो पूरा'।

सेर को सवा सेर= (बहुत बुद्धिमान या बलवान को उससे भी बुद्धिमान या बलवान आदमी मिल जाता है।)
प्रयोग- रामू काका जोर से हँस पड़े और मुझसे बोले- कहो बेटा, मिल गया न 'सेर को सवा सेर'।

सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का= (जब किसी का कोई मित्र या संबंधी उच्च पद पर हो तो उससे लाभ मिलने की संभावना होती है।)
प्रयोग- जब से कालू के पिता विधायक का चुनाव जीते हैं तब से वह सब पर अकड़ने लगा है। ठीक बात है- 'सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का'।

सोने पे सुहागा= (किसी वस्तु या व्यक्ति का और बेहतर होना)
प्रयोग- इधर राजेश ने इंटर पास की और उधर वह मेडीकल प्रवेश परीक्षा में पास हो गया। ये तो सोने पे सुहागा है।

सोवेगा तो खोवेगा, जागेगा सो पावेगा= (जो मनुष्य आलसी होता है, उसको कुछ नहीं मिलता, और जो परिश्रमी होता है, उसे सब कुछ मिलता है।)
प्रयोग- यदि पंकज परिश्रम से अध्ययन करता, तो परीक्षा में अवश्य उत्तीर्ण होता, किन्तु वह तो हमेशा खेलता या सोता रहता था। कहते भी हैं- 'सोवेगा तो खोवेगा, जागेगा सो पावेगा'।

सौ कपूतों से एक सपूत भला= (अनेक कुपुत्रों से एक सुपुत्र अच्छा होता है।)
प्रयोग- रमेश के चार पुत्र हैं। वे सब मूर्ख और दुष्ट हैं। इससे तो अच्छा होता एक ही पुत्र होता, परन्तु वह सपूत होता। कहते भी हैं- 'सौ कपूतों से एक सपूत भला'।

स्वर्ग से गिरा तो खजूर में अटका= (एक विपत्ति से छूटकर दूसरी विपत्ति में फंसना)
प्रयोग- जेबकतरा भीड़ के चंगुल से छूटा तो पुलिस के हाथों पड़ गया, ये तो वही बात हुई कि स्वर्ग से गिरा तो खजूर में अटका।

समय पाय तरवर फले, केतो सींचो नीर= (समय आने पर ही सब काम पूरे होते हैं, उससे पहले नहीं)
प्रयोग- तुम अपनी बहन के विवाह के लिए इतना परेशान क्यों हो। देखो तुम्हारे चाहने से तो कुछ होगा नहीं। समय आएगा तो सब ठीक हो जाएगा और अच्छा रिश्ता मिलेगा। तुम मेरी यह बात ध्यान रखो कि समय पाय तरवर फले, केतो सींचो नीर।

सब दिन रहत न एक समाना= (हमेशा एक-सी स्थिति नहीं रहती)
प्रयोग- एक समय था जब मंगतराम के यहाँ रौनक रहती थी। पचास-पचास लोगों का रोज खाना बनता था। लेकिन जबसे व्यापार में घाटा हुआ कोई पूछने तक नहीं आता। किसी ने ठीक ही कहा है कि सब दिन रहत न एक समाना।

सहज पके सो मीठा होय= (जो काम धीरे-धीरे होता है वह संतोषप्रद और पक्का होता है)
प्रयोग- तुम हर काम में जल्दीबाजी क्यों करती हो? जल्दी का काम तो शैतान का होता है और काम बिगड़ जाता है। यह बात ध्यान रखो 'सहज पके सो मीठा होय'।

सब धन बाईस पसेरी= (अच्छे-बुरे सबको एक समझना)

सारी रामायण सुन गये, सीता किसकी जोय (जोरू)= (सारी बात सुन जाने पर साधारण सी बात का भी ज्ञान न होना)

( ह )

होनहार बिरवान के होत चीकने पात= (होनहार के लक्षण पहले से ही दिखायी पड़ने लगते है।)
प्रयोग- वह लड़का जैसा सुन्दर है, वैसा ही सुशील, और जैसा बुद्धिमान है, वैसा ही चंचल। अभी बारह वर्ष भी पूरे नहीं हुए, पर भाषा और गणित में उसकी अच्छी पैठ है। अभी देखने पर स्पष्ट मालूम होता है कि समय पर वह सुप्रसिद्ध विद्वान होगा। कहावत भी है, 'होनहार बिरवान के होत चीकने पात'।

हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और= (कहना कुछ और करना कुछ और) 
प्रयोग- आजकल के नेताओं का विश्वास नहीं। इनके दाँत तो दिखाने के और होते हैं और खाने के और होते हैं।

हँसी में खंसी= (हँसी-दिल्लगी की बात करते-करते लड़ाई-झगड़े की नौबत आना)
प्रयोग- रामू ने श्याम को खेल-खेल में पत्थर मारकर उसका सिर फोड़ दिया तो हँसी में खंसी हो गई।

हज्जाम के आगे सबका सिर झुकता है= (अपने स्वार्थ के लिए सबको सिर झुकाना पड़ता है।)
प्रयोग- शेरसिंह इतने बड़े काश्तकार हैं। परंतु काम अटकने पर छोटे से क्लर्क के आगे गिड़गिड़ा रहे हैं। सच ही कहा है- 'हज्जाम के आगे सबका सिर झुकता है'।

हड़ लगे न फिटकरी, रंग चोखा ही आवे= (बिना खर्च किए काम बन जाना)
प्रयोग- रितेश ने कंप्यूटर खरीदा और कंप्यूटर सिखाने वाला उसको दोस्त मिल गया। बस फिर क्या था उसने मुफ़्त में कंप्यूटर सीख लिया। ये तो वही बात हो गई- 'हड़ लगे न फिटकरी, रंग चोखा ही आवे'।

हनते को हनिए, दोष-पाप नहिं गनिए= (यदि कोई व्यक्ति ख़ाहमखाँ आपको या दूसरे को मारता है, तो उसको मारना पाप नहीं है।)
प्रयोग- श्रीराम ने दुष्ट बालि को पेड़ के पीछे छिपकर मारा था तो कोई पाप नहीं किया था। कहते भी हैं- 'हनते को हनिए, दोष-पाप नहिं गनिए'।

हमने क्या घास खोदी है?= (जो मनुष्य स्वयं को बड़ा बुद्धिमान समझता है, वह दूसरों से ऐसा कहता है।)
प्रयोग- प्रधानाचार्य ने अध्यापक से कहा कि तुम बड़े काबिल बनते हो और मेरी एक भी बात नहीं सुनते। 'मैंने क्या जीवनभर घास खोदी हैं?'

हर कैसे, जैसे को तैसे= (जो जैसा कर्म करता है, उसको वैसा ही फल मिलता है।)
प्रयोग- अध्यापक पढ़ाने वाले बच्चों को पढ़ाते हैं और शैतान बच्चों को प्रताड़ित करते हैं- 'हर कैसे, जैसे को तैसे'।

हराम की कमाई, हराम में गँवाई= (चोरी, डाका आदि की कमाई का फजूल खर्च हो जाना)
प्रयोग- करण की बेईमानी की सारी कमाई उसके पिता की बीमारी में लग गई। कहावत भी है- 'हराम की कमाई, हराम में गँवाई'।

हलक से निकली, खलक में पड़ी= (मुँह से निकली बात सारे संसार में फैल जाती है।)
प्रयोग- रामू ने राजू से कहा- कृपया यह बात किसी से मत कहना, नहीं तो सब लोग इसे जान जाएंगे। याद रखो- 'हलक से निकली, खलक में पड़ी'।

हांडी का एक ही चावल देखते हैं= (किसी परिवार या देश के एक या दो व्यक्ति देखने से ही पता चल जाता है कि शेष लोग कैसे होंगे।)
प्रयोग- शिक्षा निदेशक ने प्रिंसीपल से कहा- आपके विद्यालय में कुछ छात्रों से बातचीत करके मैं जान गया हूँ कि आपके विद्यालय में कैसे विद्यार्थी पढ़ते हैं- 'हांडी का एक ही चावल देखते हैं'।

हाथ कंगन को आरसी क्या= (जो वस्तु सामने हो उसे सिद्ध करने के लिए प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती)
प्रयोग- इंटरव्यू देने गए रामू ने मैनेजर से कहा कि हाथ कंगन को आरसी क्या, टाईपिंग करवा के देख लीजिए कि मेरी स्पीड कितनी है।

हाथ से मारे, भात से न मारे= (किसी को चाहे हाथ से मार लो, परन्तु किसी की रोजी-रोटी नहीं मारनी चाहिए)
प्रयोग- मित्र, आपने बहुत बुरा किया जो अपने चपरासी को बर्खास्त कर दिया, कुछ दंड दे देते, नौकरी न छुड़ाते तो अच्छा रहता। कहा भी है- 'हाथ से मारे, भात से न मारे'।

हाथी फिर बाजार, कुत्ते भूकें हजार= (बड़े या महान लोग छोटों की शिकायत की परवाह नहीं करते)
प्रयोग- राजा राम मोहन राय ने जब सती प्रथा का विरोध किया तो बहुत लोगों ने उनकी आलोचना की, पर वे अपनी बात पर अटल रहे। ठीक है है- 'हाथी फिर बाजार, कुत्ते भूकें हजार'।

हारिल की लकड़ी, पकड़ी सो पकड़ी= (हठी मनुष्य कभी अपना हठ नहीं छोड़ता)
प्रयोग- केशव प्रधानमंत्री से मिलना चाहता था। जब गार्डो ने उसे नहीं मिलने दिया तो वह वहीं धरना देकर बैठ गया- 'हारिल की लकड़ी, पकड़ी सो पकड़ी'; फिर गार्डो को उसे प्रधानमंत्री से मिलवाना ही पड़ा।

हिम्मत-ए-मरदां, मदद-ए-खुदा= (जो मनुष्य साहसी और परिश्रमी होते हैं, उनकी सहायता ईश्वर करते हैं।) 
प्रयोग- अध्यापक ने सोनू से कहा कि भाग्य के भरोसे रहना मूर्खता है। तुम यत्न करो, भाग्य तुम्हारी सहायता करेगा- 'हिम्मत-ए-मरदां, मदद-ए-खुदा'।

हथेली पर सरसों नहीं जमती= (हर काम में समय लगता है, कहते ही काम नहीं हो जाता)
प्रयोग- अफसर ने शर्मा जी को डाँटते हुए कहा, 'मैं कह चुका हूँ कि आपका काम दो सप्ताह में हो पाएगा और आप चाहते हैं कि आज ही हो जाए। हथेली पर सरसों नहीं जमती, यह बात आपकी समझ में नहीं आती?

हम प्याला, हम निवाला= (घनिष्ठ मित्र)
प्रयोग- वे दोनों तो हम प्याला, हम निवाला हैं। कोई भी कितनी ही कोशिश कर ले उन दोनों के बीच दरार नहीं डाल सकता।

हल्दी/हर्र लगे ना फिटकरी, रंग चोखा ही आवे= (बिना कुछ खर्च किए अधिक धन कमा लेना)
प्रयोग- लाला रामस्वरूप कोई काम धंधा नहीं करते। केवल ब्याज पर रुपया उठाते हैं। ब्याज के धंधे में ही वे करोड़पति हो गए हैं। यह तो ऐसा धंधा है जिसमें हल्दी/हर्र लगे ना फिटकरी और रंग चोखा आता है।

हाथी के पाँव में सबका पाँव= (बड़ों के साथ बहुतों का गुजारा हो जाता है)
प्रयोग- सभी लड़के इस बात से परेशान थे कि संगोष्ठी में क्या बोलेंगे? तभी मैंने उन्हें समझाया कि चिंता क्यों करते हो। सुरेश भाई भी तो हमारे साथ चल रहे हैं कोई भी प्रश्न होगा सुरेश भाई सँभाल लेंगे क्योंकि हाथी के पाँव में सबका पाँव होता है।

हीरे की परख जौहरी जाने= (गुणी व्यक्ति का मूल्य, गुणवान व्यक्ति ही समझता है)
प्रयोग- मेरे बेटे ने पटना मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई पास की। दो साल तक वह अच्छे अस्पताल में नौकरी की कोशिश करता रहा, पर उसे अच्छी नौकरी नहीं मिली। हारकर उसने आस्ट्रेलिया में एप्लाई किया। उन लोगों ने उसे तुरंत बुला लिया। सच ही कहा गया है कि हीरे की परख जौहरी ही जानता है।

हँसुए के ब्याह में खुरपे का गीत= (बेमौका)

हंसा थे सो उड़ गये, कागा भये दीवान= (नीच का सम्मान)

 

 

 

मुहावरे


मुहावरे की परिभाषा
मुहावरा अरबी भाषा का शब्द है ,जिसका शाब्दिक अर्थ होता है -‘अभ्यास’ । हिंदी मे ऐसे वाक्यांश को मुहावरा कहा जाता है, जो अपने साधारण अर्थ को छोड़ कर विशेष अर्थ को व्यक्त करते है।

प्रमुख मुहावरे और उनके अर्थ :-

आँख का तारा - बहुत प्यारा।
अंधे की लकड़ी होना - एक मात्र सहारा होना।
आँखों में धूल डालना - धोखा देना।
अपने पैरों पर खड़ा होना - स्वावलम्बी होना।
आग मे घी डालना - उत्तेजित करना।
काम तमाम करना - मार डालना।
चम्पत होना - भाग जाना।
छातीपर मूँग दलना - कष्ट देना।
लोहे के चने चबाना - बहुत मुश्किल काम होना।
नाकों चने चबवाना - बहुत तंग करना।
चार चाँद लगाना - शोभा बढ़ाना।
कीचड़ उछालना - दोष लगाना।
दाल में काला होना -  रहस्य छिपा होना।
दाँत खट्टे करना - परेशान करना।
आग बबूला होना - अत्यधिक क्रोधित होना।
आँखे दो चार होना - प्रेम हो जाना।
गड़े मुर्दे उखाड़ना - पुरानी बातें खोलना।
नौ दो ग्यारह होना - भाग जाना।
एक और एक ग्यारह होना - एकता मे बल होना।
आसमान टूट पड़ना - भारी विपत्ति आना।
ईद का चाँद होना - बहुत समय बाद मिलना।
कोल्हू का बैल होना - एक जगह पड़े रहना।
खरी खोटी सुनाना - बुरा भला कहना।
घाव पर नमक छिड़कना - दु:खी को और दु:खी बनाना।
गुड़ गोबरा करना - काम बिगाड़ना।
लहू के घूँट पीना - अपमान का उत्तर तक न देना।
दाँतों तले उंगली दबाना - चकित रह जाना।
नाकों चने चबवाना - बहुत तंग करना।
अँगारे सिर पर धरना - विपत्ति मोल लेना।
अंगद का पैर होना - असम्भव कार्य होना।
अँगूठा दिखाना - इनकार करना।
अक्ल चरने जाना - बुद्धि भ्रष्ट होना।
अन्न जल उठना - मृत्यु के सन्निकट होना।
आँखे नीची होना - लज्जित होना।
ईंट से ईंट बजाना - खुलकर लड़ाई करना।
आधा तीतर आधा बटेर - अधूरा ज्ञान।
ईमान बेचना - विश्वास समाप्त करना।
आसमान पर दिमाग चढ़ना - अत्यधिक घमंड होना।
ऐसी तैसी करना - अपमानित करना।
उँगली पर नचाना - संकेत पर काम करवाना।
कलेजे पर पत्थर रखना - धैर्य धारण करना।
कान खाना - निरंतर बातें करके परेशान करना।
कान भरना- चुगली करना।
काला अक्षर भैंस बराबर - बिल्कुल अनपढ़।
कोल्हू का बैल - अत्यंत परिश्रमी।
खटाई में डालना - उलझन पैदा करना।
खाक में मिलना - नष्ट होना।
घोड़े बेचकर सोना - निश्चिंत होना।
घी के दिये जलाना - खुशी मनाना।
चिकना घड़ा होना - निर्लज्ज होना।

बुधवार, 20 अप्रैल 2022

मौलककर्तव्या: - मौलिक कर्तव्य संस्कृत भाषा में

मौलिककर्तव्यानां संख्या एकदश वर्तते, यत् अधोलिखतमस्ति.... 

1. प्रत्येकस्य नागरिकस्य कर्तव्यमिदं भविष्यति यत् स: संविधानस्य पालनं कुर्यात् तथा च तस्य आदर्शणां संस्थानां राष्ट्रध्वजस्य राष्ट्रगानस्य च आदरं कुर्यात्|

2. स्वतंत्रतायै अस्माकं राष्ट्रीय-आन्दोलनं प्रेरका: भवेयुः तादृशान् उच्चादर्शान् हृदये संरक्षेत तस्य पालनं त चापि कुर्यात् ।

3. भारतस्य प्रभुताया: एकताया: अखण्डताया: च रक्षां कुर्यात्  एवं च एतेषां क्षयः न भवेत् इति प्रयास: भवेत्।

4. देशं रक्षेत्|

5. सर्वेषु भारतीयेषु समरसताया: समभ्रातृत्वभावनाया: संचरणं भूयात् ।

6. अस्माकं समाजिकसंस्कृतेः गौरवमयी परंपराया: महत्वं बुध्येत एवं च एतस्याः निर्माणमपि कुर्यात् ।

7. प्राकृतिक-पर्यावरणं रक्षेत् संवर्धयेत् च|

8. वैज्ञानिकदृष्टिकोणस्य ज्ञानार्जनस्य भावनायाः विकासं कुर्यात्|

9. सार्वजनिक-सम्पतिं संरक्षेत्|

10. व्यक्तिगतनां  समूहगतिविधीनां च सर्वेषु क्षेत्रेषु उत्कर्षं प्रति संवर्धनाय सततं प्रयासं कुर्यात्|

11. मात्रा पित्रा संरक्षकेण वा षड्वर्षत: चतुर्दशवर्षपर्यंतं बालानां कृते प्राथमिकशिक्षाप्रदानम् |
                                         (षडाशीतिः संशोधनम्)

सोमवार, 27 दिसंबर 2021

प्रात:कालीन सुविचार

1. 

असफलता अनाथ होती है ..


और सफलता के कई सारे रिश्तेदार होते है..!!


2.

एक सफल व्यक्ति और असफल व्यक्ति में साहस का या फिर ज्ञान का अंतर नहीं होता है,

बल्कि यदि अंतर होता है तो वह इच्छाशक्ति का होता है ।।

3.

जो चीज आपको

CHALLENGE करती हैं

वही आपको

CHANGE करती हैं ?


     💐💐💐𝓖𝓸𝓸𝓭 𝓜𝓸𝓻𝓷𝓲𝓷𝓰.....

4.

प्रयास करने का

एक सबूत होती हैं... गलतियां ।


5.

“समस्या के बारे में सोचने से बहाने मिलते हैं। समाधान के बारे में सोचने से रास्ते मिलते हैं।”*


  6.

Journey of life starts with a full bag of luck and an empty bag of experience.The goal is to fill the bag of experience before the bag of luck gets empty.

7.

दूसरों में अच्छाई को देखना, अपने अंदर की अच्छाई को बाहर लाता है।


आज से हम👉


दूसरों में अच्छाई ही देखें...


8.

अहमियत यहाँ हैसियत

            को मिलती है

      और हम है कि अपने

    जज्बात लिए फिरते हैं!!



9.

 अच्छे दोस्त भी बना लेना चाहिए क्योंकि हर वक्त मोहब्बत साथ नहीं देती..



 10.

ज़िन्दगी को जीना है तो, कमाने की आदत डालो, फिर चाहे वो पैसा हो, प्यार हो या फिर सम्मान, क्योंकि मुफ़्त मे तो बस भीख ही मिलती हैl



 💐💐💐Good morning...

[14/07, 8:02 AM] Ashok Kumar Shashtri: Forget about all the reasons why something may not work. You only need to find one good reason why it will.


उन सभी कारणों को भूल जाएं कि कोई कार्य नहीं होगा। आपको केवल एक अच्छा कारण खोजना है कि यह कार्य सफल होगा।।


😊Good Morning😊

        🌼सुप्रभात🌼

[16/07, 7:36 AM] Ashok Kumar Shashtri: _*उनके कर्जदार और वफादार हमेशा रहिये जिन्होंने आपके बुरे समय में आपका साथ दिया, अंजाम की खबर तो कर्ण को भी थी लेकिन बात तो दोस्ती निभाने की थी!*_




💐💐💐Good morning...

[17/07, 6:04 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो स्नेह हमें,*

 *दूसरों से मिलता है...*


*वो हमारे,*

*व्यवहार का ही एक तोहफ़ा है..!*


 💐💐💐Good morning...

[18/07, 9:51 AM] Ashok Kumar Shashtri: *साइकोलॉजी कहता है कि किसी के साथ ज्यादा समय बिताने से आप उसकी आदतें अपनाने लगते हैं इसलिए सोच-समझकर दोस्त बनाएं।*


     💐💐💐Good morning...

[25/07, 7:17 AM] Ashok Kumar Shashtri: *हमें कामयाबी में सुकून दिखा तो हम दौड़ते गए।*


*और जिन्हें सुकून में कामयाबी दिखी वो ठहर गए।*


*🌹Good Morning🌹*

[26/07, 7:39 AM] Ashok Kumar Shashtri: जिंदगी में हर पहलू इम्तेहान होता है,

डरने वालो को नही मिलता कुछ ज़िन्दगी में,

लड़ने वालों के कदमो में जहांन होता है!

🌺Good Morning🌺

[27/07, 9:20 AM] Ashok Kumar Shashtri: *यादृशै: सन्निविशते यादृशांश्चोपसेवते।*

*यादृगिच्छेच्च भवितुं तादृग्भवति पूरूष:।।*


अर्थ : मनुष्य जिस प्रकार के लोगों के साथ रहता है , जिस प्रकार के लोगों की सेवा करता है , जिनके जैसा बनने की इच्छा करता है , वैसा ही बन जाता है ।


             *सुप्रभातम्💐💐💐*

[28/07, 6:38 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"Time Never Waits For Anyone..&..Winds Never Require Directions..,It Only Depends On Us... How We Use TIME ...and ...Turn WINDS In Our Favor....*


🌹 *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[29/07, 9:46 AM] Ashok Kumar Shashtri: *किसी को धोखा देकर ये मत सोचों की वो कितना बेवकूफ है,*


*यह सोचो की उसे तुम पर कितना भरोसा था।*


*🌹 good morning🌹*

[01/08, 6:56 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो कल था उसे भूलकर तो देखो,*

*जो आज हैं उसे जीकर तो देखो,*

*आने वाला पल खुद संवर जायेगा।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐💐*

[02/08, 6:18 AM] Ashok Kumar Shashtri: *“अवसर” और  “सूर्योदय” में एक ही समानता है,*


*देर करने वाले,  इन्हें हमेशा खो देते हैं।*


*🌹Good Morning🌹*

[03/08, 7:03 AM] Ashok Kumar Shashtri: *मूर्ख ज्ञानियों से भी नहीं सीख पाते*

           _*और*_  


*ज्ञानी मूर्खों से भी सीख लेते है..*




    *💐💐💐Good morning...*

[04/08, 9:24 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"ᴇᴠᴇʀʏ ᴛɪᴍᴇ ʏᴏᴜ ғᴏᴄᴜs ᴏɴ ᴛʜᴇ ᴘᴏsɪᴛɪᴠᴇ, ʏᴏᴜ ᴀʀᴇ ʙʀɪɴɢɪɴɢ ᴍᴏʀᴇ ʟɪɢʜᴛ ɪɴᴛᴏ ʏᴏᴜʀ ʟɪғᴇ ᴀɴᴅ ᴛʜᴀᴛ ʟɪɢʜᴛ ʀᴇᴍᴏᴠᴇs ᴀʟʟ ᴅᴀʀᴋɴᴇss."*



🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[05/08, 7:30 AM] Ashok Kumar Shashtri: *राह संघर्ष की जो चलता है; वो ही संसार को बदलता है। जिसने रातों से जंग जीती, सूर्य बनकर वहीं निकलता है।*


           *🌺सुप्रभातम्🌺*

[08/08, 10:00 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌺


*सबसे बेहतरीन नजर वो हैं, जो अपनी कमियों को देख सकें.....*  

  

              *क्योंकि*


  *नींद तो रोज खुलती हैं,*

    

                *पर*


                *आँखे*



              *कभी -कभी ........!*




   *💐💐💐Good Morning...*

[09/08, 10:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: *The only way to stop pains in life is to* *ACCEPT the 3 FACT that.*

*Nothing is YOURS,*

*Nothing was YOURS, and*

*Nothing will ever be YOURS ..*


🌹Good Morning 🌹

[10/08, 7:12 AM] Ashok Kumar Shashtri: .   *यदि  मैं स्वयं का आलोचक हूँ* 

         *तो प्रगति के मार्ग पर* 

                  *अग्रसर हूँ,* 

    *अन्यथा मानते तो असुर भी थे* 

             *कि वो सही हैं।*


     *💐💐💐Good Morning...*

[11/08, 9:35 AM] Ashok Kumar Shashtri: आगे बढ़ना है तो फालतू लोगो की सुनना बन्द कर दो... 

वो केवल आपके आत्मविश्वास को कम करेंगे..!


                                                                *💐💐💐Good Morning...*

[12/08, 8:21 AM] Ashok Kumar Shashtri: *ऐसा वक़्त*

*जरूर आता है जब हम*

*अपने मुश्किल वक्त  को*

*ख़ुश होकर सुनाते है*।



  *🌞सुप्रभातम्* 🌞

[13/08, 10:06 AM] Ashok Kumar Shashtri: *नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।*


*नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।*



"आपको और आपके पूरे परिवार को नाग पंचमी 2021 की शुभकामनाएं!"

[14/08, 8:22 AM] Ashok Kumar Shashtri: गीता में स्पष्ट शब्दों में लिखा है

निराश न होना

कमजोर तेरा वक्त है

तू नहीं.


🌼Good Morning🌼

[16/08, 8:05 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो व्यक्ति हर पल दुःख का रोना रोता है,*

*सुख उसके दरवाजे से ही लौट जाता है|*


*💐💐💐Good morning...*

[17/08, 6:53 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जब विचार, प्रार्थना और*

*इरादा सब पॉजिटिव हो तो*

*जिंदगी अपने आप*

*पॉजिटिव हो जाती है।*



*💐💐💐Good morning...*

[19/08, 7:43 AM] Ashok Kumar Shashtri: ज़िन्दगी एक हसीन ख्वाब है

जिसमे जीने की चाहत होनी चाहिए

गम खुद ही खुशी में बदल जायेंगे

सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिए !!



  *💐💐💐Good Morning...*

[20/08, 9:23 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Circumstances change with time, so it is wise to change yourself accordingly*.


“ *Believe the Champion in You*”


🌹  *G😊😊D*  *M🌞RNING*  ☕

[21/08, 7:04 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*क्वान्टिटी के चक्कर मे कभी ना जाये क्योंकि नई मूंगफली के बाजार में आने से बादाम के दाम नही गिरते ।*



  *🍁𝔾𝕠𝕠𝕕 𝕄𝕠𝕣𝕟𝕚𝕟𝕘🍁*

[22/08, 9:56 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*अमीर इंसान अपना पैसा अमीर बनने में लगाता है,*

*इसलिए वो अमीर बन जाता है*


 *और गरीब इंसान अपना पैसा अमीर दिखने में लगाता है*

*इसलिए वो गरीब ही रह जाता हैl*



_*सर्वेभ्यो नमो नमः । संस्कृत-दिवसस्य श्रावण-पूर्णिमायाः रक्षाबन्धनपर्वणः च सर्वेषां कृते हार्दिक्यः शुभकामनाः ।*_



  *🍁 𝔾𝕠𝕠𝕕 𝕄𝕠𝕣𝕟𝕚𝕟𝕘🍁*

[23/08, 6:02 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌷


                *सावधान!*



*किसी से रास्ता पूछने से पहले यह सुनिश्चित करले कि कहीं वह स्वय तो रास्ता भटका हुआ नही है !!*





        *🍁𝔾𝕠𝕠𝕕 𝕄𝕠𝕣𝕟𝕚𝕟𝕘🍁*

[24/08, 8:09 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*हारने वालो का भी*

*अपना रुतबा होता हैं*

*मलाल वो करे जो दौड़*

*में शामिल नही!*


  *🍁 𝙂𝙤𝙤𝙙 𝙈𝙤𝙧𝙣𝙞𝙣𝙜🍁*

[25/08, 8:06 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹


*जिन लोगो को 1 लाख की घड़ी और 100 रुपए की घड़ी में फर्क नजर नहीं आता,*


*उन लोगों से दूर ही रहो तो बेहतर है, ये आपकी सोच खत्म कर देंगेl*


  *🍁 🄶🄾🄾🄳 🄼🄾🅁🄽🄸🄽🄶🍁*

[26/08, 10:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: हर इंसान में कोई ना कोई प्रतिभा है, लेकिन वो अक्सर इसे दुसरो के जैसा बनने में नष्ट कर देते है !!


     *💐💐💐Good morning....*

[27/08, 6:07 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*जब तक तुम डरते रहोगे*

*तुम्हारी ज़िन्दगी के फैसले*

*कोई और लेता रहेगा|*


  *🍁 सुप्रभातम् 🍁*

[29/08, 6:16 AM] Ashok Kumar Shashtri: *वह लोग जो जिनके स्पष्ठ, लिखित लक्ष्य होते हैं, वह कम समय में दुसरे लोग जितना सोच भी नहीं सकते उससे कहीं ज्यादा  सफलता प्राप्त करते हैं।*


_बढ़ता वही है, जो बदलता है ।_


_शुरुआत सपने देखने से ही होती है।_


     *शुभ प्रभात💐💐💐💐*

[30/08, 9:18 AM] Ashok Kumar Shashtri: *अच्युतं केशवं रामनारायणम्*

*कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।*

*श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभम्*

*जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥*


🌺श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं🌺

[02/09, 9:48 AM] Ashok Kumar Shashtri: ✅

*बुराई की खासियत है कि वो कभी हार नही मानती*

               *और*

*अच्छाई कि खासियत ये है कि वो कभी हारती नही|*


*💐💐💐Good Morning....*

[03/09, 7:33 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*जिसने खर्च कम*

*करने की बात सोची*

*समझ लो उसने कमाने की*

*अकल खो दी....*



  *🍁 Good Morning 🍁*

[04/09, 7:18 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*ऊँचे ख्वाबों के लिए...*

*दिल की गहराई से काम करना पड़ता है*


*यूँ ही नहीं मिलती सफलता किसी को...*

*मेहनत की आग में दिन-रात जलना पड़ता है......*


  *🍁 Good Morning🍁*

[05/09, 5:59 AM] Ashok Kumar Shashtri: *गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।*


*गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥*



*Happy Teacher’s Day*




💐💐💐💐💐💐💐

[07/09, 7:59 AM] Ashok Kumar Shashtri: जिसने संसार को

बदलने की कोशिश की

वो हार गया…

जिसने खुद को

बदल लिया…

वो जीत गया।



*💐💐💐Good Morning....*

[08/09, 9:36 AM] Ashok Kumar Shashtri: साहस वो नहीं है,जब शक्ति हो , साहस वो है जब आप में 

शक्ति न हो , फिर भी आप डटे रहते हो।-नेपोलियन 



🌷🌷सुप्रभात

[13/09, 5:59 AM] Ashok Kumar Shashtri: *दुनिया में अच्छे इंसान हैं; लेकिन यदि आपको ऐसा कोई नहीं मिलता है तो आप अवश्य किसी और के लिये अच्छे इंसान बने।*


*💐💐💐Good morning...*

[14/09, 7:55 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"पसंद" उसे करो जो तुम मे परिवर्तन लाए, वरना “प्रभावित” तो एक मदारी भी कर लेता है.!*



*🌺🌺🌺𝕲𝖔𝖔𝖉 𝕸𝖔𝖗𝖓𝖎𝖓𝖌.....*

[15/09, 5:22 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"सोचना सबसे कठिन काम है, इसलिए बहुत कम लोग यह काम करते हैं|"*                          

                                ....हेनरी फोर्ड



      *💐💐💐 𝓖𝓸𝓸𝓭 𝓜𝓸𝓻𝓷𝓲𝓷𝓰*

[16/09, 6:17 AM] Ashok Kumar Shashtri: *युवा अवस्था का संबंध इससे है कि आप कितने जीवंत हैं, इससे नहीं कि आप कब पैदा हुए थे।*


*💐💐💐𝘎𝘰𝘰𝘥 𝘔𝘰𝘳𝘯𝘪𝘯𝘨....*

[17/09, 7:12 AM] Ashok Kumar Shashtri: *किसी के नकार देने से अपने आईडिया को हल्का मत समझिए, दुनिया में हर बड़े आईडिया को पहले नकारा गया था।*



  *💐💐💐𝙶𝚘𝚘𝚍 𝙼𝚘𝚛𝚗𝚒𝚗𝚐...*

[21/09, 6:29 AM] Ashok Kumar Shashtri: *अपने वो होते हैं,*

*जो समझते भी हैं..*

             *और*

*समझाते भी हैं..!!*


Good Morning

[22/09, 8:11 AM] Ashok Kumar Shashtri: *खुद ही लड़नी पड़ती है जिंदगी की लड़ाई..  लोग साथ कम, ज्ञान ज्यादा देते है...*


*💐💐💐𝓖𝓸𝓸𝓭 𝓜𝓸𝓻𝓷𝓲𝓷𝓰....*

[23/09, 6:45 AM] Ashok Kumar Shashtri: *मेरे पिताजी अक्सर कहते है, मजबूत बनो बेटा, मां बाप रहम खा लेते है, ये दुनियां रहम नहीं खाएगी।*



     *💐💐💐𝙂𝙤𝙤𝙙 𝙈𝙤𝙧𝙣𝙞𝙣𝙜...*

[24/09, 8:43 AM] Ashok Kumar Shashtri: *ज्यादा सोचना बंद कीजिए, और उस दुनिया से बाहर आए जो हकीकत में है ही नहीं।*



*💐💐💐𝔾𝕠𝕠𝕕 𝕄𝕠𝕣𝕟𝕚𝕟𝕘...*

[25/09, 7:03 AM] Ashok Kumar Shashtri: *बुरी बात और अच्छी बात*



बुरी बात यह हैं कि _*समय कम हैं,*_ 


और अच्छी बात यह हैं कि _*अभी भी समय हैं।*_




*💐💐💐Good morning...*

[28/09, 6:01 AM] Ashok Kumar Shashtri: *अनुशासन का कोई विकल्प नही है क्योंकि यह सर्वोत्तम विकल्प हैं।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐💐*

[29/09, 7:00 AM] Ashok Kumar Shashtri: जिस प्रकार पतझड़ के बिना पेड़

पर नए पत्ते नही आते

ठीक उसी तरह कठिनाई और संघर्ष

के बिना अच्छे दिन भी नही आते।


🌿Good Morning🌿

[30/09, 9:47 AM] Ashok Kumar Shashtri: *The principle of successful relationships is to forget all that is useless*.


“ *Be Healthy.. Be Happy*”


🌹  *G😊😊D*  *M🌞RNING*  ☕

[01/10, 7:40 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Try not to become a man of success but rather to become a man of value*.


“ *Become Decent & Respectable*”


🌹  *G😊😊D* *M🌞RNING*  ☕

[04/10, 8:07 AM] Ashok Kumar Shashtri: इंसान बिना मुहूर्त के पैदा होता है, बिना मुहूर्त के मरता है, लेकिन सारी ज़िंदगी शुभ मुहूर्त की तलाश में रहता है. अपने #आप पर भरोसा करो, मुहूर्त अपने आप शुभ हो जाएगाl


*💐💐💐Good morning...*

[05/10, 7:27 AM] Ashok Kumar Shashtri: "जब लोग बदल सकते हैं, तो 'किस्मत' क्या चीज है। "


Good morning...

[08/10, 8:30 AM] Ashok Kumar Shashtri: कुछ ज्यादा ख्वाहिशें नहीं है तुझसे ऐ जिंदगी बस मेरा हर दिन पहले दिन से बेहतर हो।।

🌹Good Morning🌹

[09/10, 7:58 AM] Ashok Kumar Shashtri: *बहुत मेहनत लगती है जनाब कुछ मुकाम हासिल करने में, लोग दो पल में उसे किस्मत का नाम दे देते हैं।*


*💐💐💐Ɠσσԃ Ɱσɾɳιɳɠ...*

[10/10, 7:02 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो चीज़ आप चाहते हैं उस पर अपने चेतन मन को केन्द्रित रखिये, और आपका अवचेतन मन, बिना किसी गलती के उस तक पहुचने का रास्ता आपको बताएगा।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[11/10, 8:05 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"Success & Relations Never*

*depend on the Capability of*

 *Your Brain* 

*But  They always Depend*

*On the Greatness of Your*

 *Behavior & Thoughts..."*


🌹   *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[12/10, 7:24 AM] Ashok Kumar Shashtri: *हम सभी के पास सपने हैं। लेकिन सपनों को साकार करने के लिए, दृढ़ संकल्प, समर्पण, आत्म-अनुशासन, और अथक कोशिशों की जरूरत होती हैं।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[13/10, 6:39 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जब लोग आपका साथ छोड़ दे तो यह समझ लीजिए…आप उस काम को अकेले ही करने में सक्षम हैं।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[14/10, 7:10 AM] Ashok Kumar Shashtri: _*कैलेंडर हमेशा तारीख को बदलता है, पर एक दिन ऐसी तारीख  भी आती है जो कैलेंडर को ही बदल देती है,*_


   *इसलिए सब्र रखें, वक्त हर किसी का आता है, बस मेहनत करते रहिए।*



      *🌷🌿सुप्रभातम्🌿🌷*

[15/10, 7:18 AM] Ashok Kumar Shashtri: *तन की खूबसूरती एक भ्रम है,*


*सबसे खूबसूरत तो आपकी वाणी है,*


*चाहे ‍तो दिल जीत ले,*


 *चाहे तो दिल चीर दे !*


*🪴GOOD MORNING🪴*

[16/10, 6:53 AM] Ashok Kumar Shashtri: *“आत्म-सम्मान अनुशासन का फल है; अपने आप को मना कर पाने की सामर्थ्य के साथ ही गरिमा की समझ पैदा होती है।”*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


    *शुभ प्रभात💐💐💐💐*

[17/10, 8:24 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Challenges are what make life exciting and that's what builds your future*.

*“Be Bold n Confident”*


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[18/10, 9:08 AM] Ashok Kumar Shashtri: खुशी के लिए काम करोगे तो खुशी नही मिलेगी, लेकिन खुशी के साथ काम करोगे तो खुशी और सफलता दोनों मिलेगी।।

🌹Good Morning🌹

[19/10, 8:41 AM] Ashok Kumar Shashtri: *सुलभा: पुरुषा: राजन्‌ सततं प्रियवादिन:।*

*अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभ:।।*


भावार्थ: हमेशा प्रिय और मन को अच्छा लगने वाले बोल बोलने वाले लोग आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन जो आपके हित के बारे में बोले और अप्रिय वचन बोल व सुन सकें, ऐसे लोगों का मिलना दुर्लभ है।


*सुप्रभात 🙏*

[22/10, 9:06 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जिंदगी को आसान नहीं, खुद को मजबूत बनाना पड़ता है।*

*सही समय कभी नहीं आता. बस समय को सही बनाना पड़ता है।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।



     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[23/10, 6:19 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"सेल्फी निकालना तो सेकण्डों का काम है।*


_*वक़्त तो "इमेज" बनाने में लगता है।*_


   _*🌸Good Morning🌸*_

[27/10, 5:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: ... ✍🏻

*धन हमेशा के लिए*


*मित्र नहीं होता ...*


*लेकिन मित्र* 


*हमेशा के लिए* 


*धन होता है !!!*

 

*💐💐💐Good morning...*

[29/10, 7:00 AM] Ashok Kumar Shashtri: हर आदमी अपनी ज़िन्दगी में हीरो है,

बस कुछ लोगों की फिल्में रिलीज़ नहीं होती.


🌱Good Morning🌱

[04/11, 10:15 AM] Ashok Kumar Shashtri: मीठे हलवे की कटोरी में काजू बादाम सूजी सब तो दिखाई देते हैं मगर जिस चीज की मिठास है वह चीनी नहीं दिखाई देती है।

👆 ठीक ऐसे ही मेरे जीवन में भी

आप जैसे लोग हैं जो रोजाना दिखाई तो नहीं देते ,पर आपके अपनेपन की मिठास मेरे जीवन को हमेशा आनंदित करती रहती है।

🌹🍇 good morning🌹

🧏‍♂️🧏‍♀️🧏‍♂️🧏‍♀️🧏‍♂️🧏‍♀️🧏‍♂️🧏‍♀️

[08/11, 7:00 AM] Ashok Kumar Shashtri: *चिरागो के अपने*​

*घर नही होते ....*​


*जहाँ जलते हैं वही*​

*रोशनी बिखेर देते हैं...*


       

           *💐शुभ प्रभात💐*

[09/11, 5:33 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"There is a huge difference  between "worry"  &  "concern"*.

*A worried person only sees the problem & a concerned person solves the Problem*. 


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[12/11, 8:27 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Inspire from many, but*

*compare with none*.



🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[14/11, 6:08 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"गलत सोच का अंधेरा रात के अंधेरे से ज्यादा खतरनाक होता है "!!*



*💐💐💐Good Morning...*

[15/11, 8:24 AM] Ashok Kumar Shashtri: *डर कही और नहीं*

*बस आपके दिमाग में होता हैं.*


🌺Good Morning🌺

[16/11, 7:15 AM] Ashok Kumar Shashtri: आप चढ़ाई कैसे करते हैं ये पर्वत की चोटी पर पहुँचने से ज्यादा महत्वपूर्ण है।


       🌸शुभ प्रभात🌸

[17/11, 8:47 AM] Ashok Kumar Shashtri: दुनिया में कई ऐसे असफल लोग हैं जो यह नहीं समझ पाए की वे सफलता के कितने करीब थे जब उन्होंने हार मान ली।


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[18/11, 6:47 AM] Ashok Kumar Shashtri: *आप जो हैं, उससे बड़ा सोचने की कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ती, लेकिन ख़ुद को कमतर सोचने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[19/11, 6:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: *साईकिल और ज़िंदगी*

*तभी बेहतर चल सकती है,*

*जब चैन हो.*


     *💐💐💐Good Morning*

[20/11, 7:19 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Efforts and Courage* 

*are not enough without*

*Purpose and Direction*.


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[21/11, 9:32 AM] Ashok Kumar Shashtri: जो मानते हैं कि वे पहाड़ों को हिला सकते हैं, वे ऐसा कर जाते हैं। जो मानते हैं कि वे नहीं कर सकते, वे नहीं कर पाते।


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[22/11, 7:07 AM] Ashok Kumar Shashtri: *आपके जीवन में बड़ा सोचने, सीमाओं को आगे बढ़ाने और असंभव की कल्पना करने के लिए हमेशा जगह होती है।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[23/11, 7:17 AM] Ashok Kumar Shashtri: *आप जो हैं, उससे बड़ा सोचने की कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ती, लेकिन ख़ुद को कमतर सोचने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[24/11, 6:10 AM] Ashok Kumar Shashtri: *कर्म करे किस्मत बने*

*जीवन का ये खेल,*

*प्राणी तेरे भाग्य में ,*

*तेरा अपना कर्म*



*🌹 good morning🌹*

[25/11, 7:49 AM] Ashok Kumar Shashtri: *सच्चा विजेता यह जानता है कि हारना, जीतने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है|*


*Good Morning💐💐💐*

[26/11, 9:51 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Old Life Lessons*:


-Mind your *Thoughts*: If u are Alone

-Mind your *Tongue*: If u are with Friends

-Mind your *Temper*: If u are Angry

-Mind your *Behavior*: if u are in a Group

-Mind your *Emotions*: If u are in Trouble

-Mind your *Ego*: If God showers His Blessing


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[28/11, 7:31 AM] Ashok Kumar Shashtri: *_Too much comfort will eventually make you uncomfortable._* 


*_Challenges will help you stay agile._*


🌹  *G🙂🙂D*  *M🌞 RNING*   🍵

[29/11, 6:56 AM] Ashok Kumar Shashtri: *आपके भीतर छिपी अच्छाइयां बेशक अदृश्य हो सकती है*..!

*लेकिन इनकी छाप हमेशा दूसरों के हृदय में विराजमान रहती है..!!*


        *💐💐सुप्रभात💐💐*

[30/11, 7:27 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Every Little Smile*

*Can Touch*

*Somebodies Heart..*

*No One Is Born Happy..*

*But,*

*All Of Us Are Born*

*With The Ability*

*To Creat Happiness..!*

          

🌹  *G🙂🙂D*  *M🌞RNING*  ☕

[01/12, 7:17 AM] Ashok Kumar Shashtri: Not *Dreams,*

But *Night* Changes...


Not *Destiny,*

But *Path* Changes...


We should always keep our *Hopes Alive;*

*Luck* may or may not *Change...*


But *Time* definitely *Changes...*


 🌹  *G🙂🙂D*  *M🌞RNING*   ☕

[03/12, 8:03 AM] Ashok Kumar Shashtri: गीता में कहा गया था कि शरीर मर जाता है आत्मा जिंदा रहती है। आज एकदम इसके उल्टा है आत्माएं मर चुकी हैं,, लोगों के शरीर जिंदा हैं ।।

उम्मीद करता हूं कि आपकी आत्मा जिंदा रहे ।

🌹Good Morning🌹

सुप्रभात। आपका दिन शुभ रहे

[04/12, 9:39 AM] Ashok Kumar Shashtri: रोज़-रोज़ गिरकर भी मुक़म्मल खड़ा🚶‍♂️ हूँ


ऐ मुश्किलों☝️


देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।।

🌹Good Morning🌹                सुप्रभात ।                          आपका दिन शुभ रहेl

[06/12, 7:14 AM] Ashok Kumar Shashtri: *इंसान का सबसे बेहतरीन मित्र उसकी अपनी सेहत है,*

*अगर उसका साथ छूट जाए तो वो हर रिश्ते के लिए बोझ बन जाता है....*


*Good Morning*

[08/12, 7:19 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"किसी और से ना सही तो मौसम से तो सीखो की समय के साथ अपने आप को कैसे बदलना है I"*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[11/12, 8:41 AM] Ashok Kumar Shashtri: *हाथों ने पैर से पूछा...* 

 *सब तुझ पर ही मस्तक रखते हैं,* *मुझ पर नहीं...* 

 *पैर ने कहा...*  *उसके लिए जमीन पर रहना* *पङता है,* 

 *हवा में नहीं।* 

                                               

        🙏🙏🏼 *सुप्रभात*🙏🏼🙏🏼

[12/12, 6:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: "धैर्य निष्क्रिय प्रतीक्षा नहीं है। धैर्य अपने लक्ष्यों और सपनों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया की सक्रिय स्वीकृति है।"


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[13/12, 7:39 AM] Ashok Kumar Shashtri: *“कुछ लोग सफल होते हैं क्यूंकि सफल होना उनके भाग्य में लिखा है, लेकिन अधिकतर लोग सफल होते हैं क्यूंकि वे दृढ संकल्पी होते हैं।”*


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[14/12, 7:46 AM] Ashok Kumar Shashtri: *भाग्य से जितना अधिक उम्मीद करेंगे वह उतना ही निराश करेगा, कर्म में विश्वास रखो आपको अपनी अपेक्षाओं से सदैव अधिक मिलेगा।*




     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[15/12, 6:16 AM] Ashok Kumar Shashtri: जो लोग सफलता प्राप्त करते हैं।

 वो कभी  बैठकर किसी घटनाओं का इंतज़ार नहीं करते हैं ।

बल्कि वो ख़ुद घटना पैदा करते हैं।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[16/12, 8:05 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"चीजें खुद नहीं होतीं, उन्हें करना पड़ता है !!"*


 शुभ प्रभात💐💐💐💐

[17/12, 9:51 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"याद रखें, जहां से भय समाप्त होता है,वहीं से निखरे हुए नए जीवन की शुरुआत होती है।"*


*🙏शुभ प्रभात!* 🌸

[18/12, 7:04 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो कच्चे मकानों में जन्म लेते हैं वहीं ऊंची मिनारों को जन्म देते हैं।*


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[19/12, 11:27 AM] Ashok Kumar Shashtri: *धर्मे अर्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ।*

*यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत्क्वचित्।।*


अर्थात् - _धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के सम्बन्ध में जो कुछ महाभारत में कह दिया गया है उसके बाद कुछ कहने को शेष नहीं रहता है।_


_*सुप्रभातम्💐💐💐*_

[20/12, 6:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"एक लक्ष्य एक समय सीमा के साथ देखा गया एक सपना है।"*



     शुभ प्रभात💐💐💐

[22/12, 7:07 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Remember. Only if we are happy, we can make others happy*



 *G😊😊D*  *M🌞RNING*  ☕

[23/12, 7:13 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Remember. The one who tells your weakness He is your true friend.*


*G😊😊D M🌞RNING* ☕

[24/12, 8:34 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"जिस प्रकार से अंधकार प्रकाश का अभाव है, उसी प्रकार अहंकार जागरूकता का अभाव है।"*


*सुप्रभात!*

🙏

[25/12, 9:54 AM] Ashok Kumar Shashtri: किस्मत आपके हाथ में नही होती, परन्तु निर्णय आपके हाथ में होता है...

         ठीक इसी प्रकार...किस्मत आपका निर्णय नही बदल सकती, परन्तु आपका निर्णय आपकी किस्मत बदल सकता है..!

            सदा मुस्कुराते रहिये🙏🏻

[27/12, 8:51 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Our way of thinking creates good or bad times*.


“ *Be Positive… Think Positive*”


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕