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हम नन्हे मुन्ने हो चाहे पर नहीं किसी से कम|
आकाश तले जो फूल खिले वह फूल बनेंगे हम||
बादल के घेरे में|
कुहरे के घेरे में|
भयभीत नहीं होंगे,
घनघोर अंधेरे में|
हम दीपक भी हम सूरज भी तुम मत समझो शबनम|
अब जान गए यह नील गगन दिन-रात तपेंगे हम||1||
यह ऊंच-नीच क्या है?
यह जाति पात क्या है?
दीवार उठाने से,
तो साथ छूटता है|
आंधी में भी उड़ता रहता इंसाफ बना परचम|
इनकार करे संसार भले इंसान रहेंगे हम||2||
आवाज देश की है,
आशीष देश का है|
आदेश हमें हो तो,
यह शीश देश का है|
जिसके आगे बेकार रहें दुनिया के एटम बम|
विश्वास भरी एक फौज नई तैयार करेंगे हम||3||
हम नन्हे मुन्ने हो चाहे पर नहीं किसी से कम||*||
6 टिप्पणियां:
अति सुंदर
Nice poem 😀😀☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️
Nice poem 😀😀☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️
Bahut Sunder Kavita
Bahut badiya
😊💐💐💐💐
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