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रविवार, 6 जून 2021

कविता- हम नन्हे मुन्ने हो चाहे पर नहीं किसी से कम





हम नन्हे मुन्ने हो चाहे पर नहीं किसी से कम|

आकाश तले जो फूल खिले वह फूल बनेंगे हम||

 बादल के घेरे में|

कुहरे के घेरे में|

भयभीत नहीं होंगे, 

घनघोर अंधेरे में|

हम दीपक भी हम सूरज भी तुम मत समझो शबनम|

अब जान गए यह नील गगन दिन-रात तपेंगे हम||1||

यह ऊंच-नीच क्या है? 

 यह जाति पात क्या है? 

 दीवार उठाने से, 

तो साथ छूटता है|

आंधी में भी उड़ता रहता इंसाफ बना परचम|

 इनकार करे संसार भले इंसान रहेंगे हम||2||

 आवाज देश की है, 

आशीष देश का है| 

आदेश हमें हो तो, 

यह शीश देश का है|

 जिसके आगे बेकार रहें दुनिया के एटम बम|

विश्वास भरी एक फौज नई तैयार करेंगे हम||3||

 हम नन्हे मुन्ने हो चाहे पर नहीं किसी से कम||*||

आकाश तले जो फूल खिले वह फूल बनेंगे हम||*||

6 टिप्‍पणियां:

Rashmi Shrivastava ने कहा…

अति सुंदर

Unknown ने कहा…

Nice poem 😀😀☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️

Unknown ने कहा…

Nice poem 😀😀☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️

Unknown ने कहा…

Bahut Sunder Kavita

Unknown ने कहा…

Bahut badiya

Unknown ने कहा…

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