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सोमवार, 27 दिसंबर 2021

प्रात:कालीन सुविचार

1. 

असफलता अनाथ होती है ..


और सफलता के कई सारे रिश्तेदार होते है..!!


2.

एक सफल व्यक्ति और असफल व्यक्ति में साहस का या फिर ज्ञान का अंतर नहीं होता है,

बल्कि यदि अंतर होता है तो वह इच्छाशक्ति का होता है ।।

3.

जो चीज आपको

CHALLENGE करती हैं

वही आपको

CHANGE करती हैं ?


     💐💐💐𝓖𝓸𝓸𝓭 𝓜𝓸𝓻𝓷𝓲𝓷𝓰.....

4.

प्रयास करने का

एक सबूत होती हैं... गलतियां ।


5.

“समस्या के बारे में सोचने से बहाने मिलते हैं। समाधान के बारे में सोचने से रास्ते मिलते हैं।”*


  6.

Journey of life starts with a full bag of luck and an empty bag of experience.The goal is to fill the bag of experience before the bag of luck gets empty.

7.

दूसरों में अच्छाई को देखना, अपने अंदर की अच्छाई को बाहर लाता है।


आज से हम👉


दूसरों में अच्छाई ही देखें...


8.

अहमियत यहाँ हैसियत

            को मिलती है

      और हम है कि अपने

    जज्बात लिए फिरते हैं!!



9.

 अच्छे दोस्त भी बना लेना चाहिए क्योंकि हर वक्त मोहब्बत साथ नहीं देती..



 10.

ज़िन्दगी को जीना है तो, कमाने की आदत डालो, फिर चाहे वो पैसा हो, प्यार हो या फिर सम्मान, क्योंकि मुफ़्त मे तो बस भीख ही मिलती हैl



 💐💐💐Good morning...

[14/07, 8:02 AM] Ashok Kumar Shashtri: Forget about all the reasons why something may not work. You only need to find one good reason why it will.


उन सभी कारणों को भूल जाएं कि कोई कार्य नहीं होगा। आपको केवल एक अच्छा कारण खोजना है कि यह कार्य सफल होगा।।


😊Good Morning😊

        🌼सुप्रभात🌼

[16/07, 7:36 AM] Ashok Kumar Shashtri: _*उनके कर्जदार और वफादार हमेशा रहिये जिन्होंने आपके बुरे समय में आपका साथ दिया, अंजाम की खबर तो कर्ण को भी थी लेकिन बात तो दोस्ती निभाने की थी!*_




💐💐💐Good morning...

[17/07, 6:04 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो स्नेह हमें,*

 *दूसरों से मिलता है...*


*वो हमारे,*

*व्यवहार का ही एक तोहफ़ा है..!*


 💐💐💐Good morning...

[18/07, 9:51 AM] Ashok Kumar Shashtri: *साइकोलॉजी कहता है कि किसी के साथ ज्यादा समय बिताने से आप उसकी आदतें अपनाने लगते हैं इसलिए सोच-समझकर दोस्त बनाएं।*


     💐💐💐Good morning...

[25/07, 7:17 AM] Ashok Kumar Shashtri: *हमें कामयाबी में सुकून दिखा तो हम दौड़ते गए।*


*और जिन्हें सुकून में कामयाबी दिखी वो ठहर गए।*


*🌹Good Morning🌹*

[26/07, 7:39 AM] Ashok Kumar Shashtri: जिंदगी में हर पहलू इम्तेहान होता है,

डरने वालो को नही मिलता कुछ ज़िन्दगी में,

लड़ने वालों के कदमो में जहांन होता है!

🌺Good Morning🌺

[27/07, 9:20 AM] Ashok Kumar Shashtri: *यादृशै: सन्निविशते यादृशांश्चोपसेवते।*

*यादृगिच्छेच्च भवितुं तादृग्भवति पूरूष:।।*


अर्थ : मनुष्य जिस प्रकार के लोगों के साथ रहता है , जिस प्रकार के लोगों की सेवा करता है , जिनके जैसा बनने की इच्छा करता है , वैसा ही बन जाता है ।


             *सुप्रभातम्💐💐💐*

[28/07, 6:38 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"Time Never Waits For Anyone..&..Winds Never Require Directions..,It Only Depends On Us... How We Use TIME ...and ...Turn WINDS In Our Favor....*


🌹 *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[29/07, 9:46 AM] Ashok Kumar Shashtri: *किसी को धोखा देकर ये मत सोचों की वो कितना बेवकूफ है,*


*यह सोचो की उसे तुम पर कितना भरोसा था।*


*🌹 good morning🌹*

[01/08, 6:56 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो कल था उसे भूलकर तो देखो,*

*जो आज हैं उसे जीकर तो देखो,*

*आने वाला पल खुद संवर जायेगा।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐💐*

[02/08, 6:18 AM] Ashok Kumar Shashtri: *“अवसर” और  “सूर्योदय” में एक ही समानता है,*


*देर करने वाले,  इन्हें हमेशा खो देते हैं।*


*🌹Good Morning🌹*

[03/08, 7:03 AM] Ashok Kumar Shashtri: *मूर्ख ज्ञानियों से भी नहीं सीख पाते*

           _*और*_  


*ज्ञानी मूर्खों से भी सीख लेते है..*




    *💐💐💐Good morning...*

[04/08, 9:24 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"ᴇᴠᴇʀʏ ᴛɪᴍᴇ ʏᴏᴜ ғᴏᴄᴜs ᴏɴ ᴛʜᴇ ᴘᴏsɪᴛɪᴠᴇ, ʏᴏᴜ ᴀʀᴇ ʙʀɪɴɢɪɴɢ ᴍᴏʀᴇ ʟɪɢʜᴛ ɪɴᴛᴏ ʏᴏᴜʀ ʟɪғᴇ ᴀɴᴅ ᴛʜᴀᴛ ʟɪɢʜᴛ ʀᴇᴍᴏᴠᴇs ᴀʟʟ ᴅᴀʀᴋɴᴇss."*



🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[05/08, 7:30 AM] Ashok Kumar Shashtri: *राह संघर्ष की जो चलता है; वो ही संसार को बदलता है। जिसने रातों से जंग जीती, सूर्य बनकर वहीं निकलता है।*


           *🌺सुप्रभातम्🌺*

[08/08, 10:00 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌺


*सबसे बेहतरीन नजर वो हैं, जो अपनी कमियों को देख सकें.....*  

  

              *क्योंकि*


  *नींद तो रोज खुलती हैं,*

    

                *पर*


                *आँखे*



              *कभी -कभी ........!*




   *💐💐💐Good Morning...*

[09/08, 10:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: *The only way to stop pains in life is to* *ACCEPT the 3 FACT that.*

*Nothing is YOURS,*

*Nothing was YOURS, and*

*Nothing will ever be YOURS ..*


🌹Good Morning 🌹

[10/08, 7:12 AM] Ashok Kumar Shashtri: .   *यदि  मैं स्वयं का आलोचक हूँ* 

         *तो प्रगति के मार्ग पर* 

                  *अग्रसर हूँ,* 

    *अन्यथा मानते तो असुर भी थे* 

             *कि वो सही हैं।*


     *💐💐💐Good Morning...*

[11/08, 9:35 AM] Ashok Kumar Shashtri: आगे बढ़ना है तो फालतू लोगो की सुनना बन्द कर दो... 

वो केवल आपके आत्मविश्वास को कम करेंगे..!


                                                                *💐💐💐Good Morning...*

[12/08, 8:21 AM] Ashok Kumar Shashtri: *ऐसा वक़्त*

*जरूर आता है जब हम*

*अपने मुश्किल वक्त  को*

*ख़ुश होकर सुनाते है*।



  *🌞सुप्रभातम्* 🌞

[13/08, 10:06 AM] Ashok Kumar Shashtri: *नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।*


*नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।*



"आपको और आपके पूरे परिवार को नाग पंचमी 2021 की शुभकामनाएं!"

[14/08, 8:22 AM] Ashok Kumar Shashtri: गीता में स्पष्ट शब्दों में लिखा है

निराश न होना

कमजोर तेरा वक्त है

तू नहीं.


🌼Good Morning🌼

[16/08, 8:05 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो व्यक्ति हर पल दुःख का रोना रोता है,*

*सुख उसके दरवाजे से ही लौट जाता है|*


*💐💐💐Good morning...*

[17/08, 6:53 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जब विचार, प्रार्थना और*

*इरादा सब पॉजिटिव हो तो*

*जिंदगी अपने आप*

*पॉजिटिव हो जाती है।*



*💐💐💐Good morning...*

[19/08, 7:43 AM] Ashok Kumar Shashtri: ज़िन्दगी एक हसीन ख्वाब है

जिसमे जीने की चाहत होनी चाहिए

गम खुद ही खुशी में बदल जायेंगे

सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिए !!



  *💐💐💐Good Morning...*

[20/08, 9:23 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Circumstances change with time, so it is wise to change yourself accordingly*.


“ *Believe the Champion in You*”


🌹  *G😊😊D*  *M🌞RNING*  ☕

[21/08, 7:04 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*क्वान्टिटी के चक्कर मे कभी ना जाये क्योंकि नई मूंगफली के बाजार में आने से बादाम के दाम नही गिरते ।*



  *🍁𝔾𝕠𝕠𝕕 𝕄𝕠𝕣𝕟𝕚𝕟𝕘🍁*

[22/08, 9:56 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*अमीर इंसान अपना पैसा अमीर बनने में लगाता है,*

*इसलिए वो अमीर बन जाता है*


 *और गरीब इंसान अपना पैसा अमीर दिखने में लगाता है*

*इसलिए वो गरीब ही रह जाता हैl*



_*सर्वेभ्यो नमो नमः । संस्कृत-दिवसस्य श्रावण-पूर्णिमायाः रक्षाबन्धनपर्वणः च सर्वेषां कृते हार्दिक्यः शुभकामनाः ।*_



  *🍁 𝔾𝕠𝕠𝕕 𝕄𝕠𝕣𝕟𝕚𝕟𝕘🍁*

[23/08, 6:02 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌷


                *सावधान!*



*किसी से रास्ता पूछने से पहले यह सुनिश्चित करले कि कहीं वह स्वय तो रास्ता भटका हुआ नही है !!*





        *🍁𝔾𝕠𝕠𝕕 𝕄𝕠𝕣𝕟𝕚𝕟𝕘🍁*

[24/08, 8:09 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*हारने वालो का भी*

*अपना रुतबा होता हैं*

*मलाल वो करे जो दौड़*

*में शामिल नही!*


  *🍁 𝙂𝙤𝙤𝙙 𝙈𝙤𝙧𝙣𝙞𝙣𝙜🍁*

[25/08, 8:06 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹


*जिन लोगो को 1 लाख की घड़ी और 100 रुपए की घड़ी में फर्क नजर नहीं आता,*


*उन लोगों से दूर ही रहो तो बेहतर है, ये आपकी सोच खत्म कर देंगेl*


  *🍁 🄶🄾🄾🄳 🄼🄾🅁🄽🄸🄽🄶🍁*

[26/08, 10:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: हर इंसान में कोई ना कोई प्रतिभा है, लेकिन वो अक्सर इसे दुसरो के जैसा बनने में नष्ट कर देते है !!


     *💐💐💐Good morning....*

[27/08, 6:07 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*जब तक तुम डरते रहोगे*

*तुम्हारी ज़िन्दगी के फैसले*

*कोई और लेता रहेगा|*


  *🍁 सुप्रभातम् 🍁*

[29/08, 6:16 AM] Ashok Kumar Shashtri: *वह लोग जो जिनके स्पष्ठ, लिखित लक्ष्य होते हैं, वह कम समय में दुसरे लोग जितना सोच भी नहीं सकते उससे कहीं ज्यादा  सफलता प्राप्त करते हैं।*


_बढ़ता वही है, जो बदलता है ।_


_शुरुआत सपने देखने से ही होती है।_


     *शुभ प्रभात💐💐💐💐*

[30/08, 9:18 AM] Ashok Kumar Shashtri: *अच्युतं केशवं रामनारायणम्*

*कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।*

*श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभम्*

*जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥*


🌺श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं🌺

[02/09, 9:48 AM] Ashok Kumar Shashtri: ✅

*बुराई की खासियत है कि वो कभी हार नही मानती*

               *और*

*अच्छाई कि खासियत ये है कि वो कभी हारती नही|*


*💐💐💐Good Morning....*

[03/09, 7:33 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*जिसने खर्च कम*

*करने की बात सोची*

*समझ लो उसने कमाने की*

*अकल खो दी....*



  *🍁 Good Morning 🍁*

[04/09, 7:18 AM] Ashok Kumar Shashtri: 🌹

*ऊँचे ख्वाबों के लिए...*

*दिल की गहराई से काम करना पड़ता है*


*यूँ ही नहीं मिलती सफलता किसी को...*

*मेहनत की आग में दिन-रात जलना पड़ता है......*


  *🍁 Good Morning🍁*

[05/09, 5:59 AM] Ashok Kumar Shashtri: *गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।*


*गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥*



*Happy Teacher’s Day*




💐💐💐💐💐💐💐

[07/09, 7:59 AM] Ashok Kumar Shashtri: जिसने संसार को

बदलने की कोशिश की

वो हार गया…

जिसने खुद को

बदल लिया…

वो जीत गया।



*💐💐💐Good Morning....*

[08/09, 9:36 AM] Ashok Kumar Shashtri: साहस वो नहीं है,जब शक्ति हो , साहस वो है जब आप में 

शक्ति न हो , फिर भी आप डटे रहते हो।-नेपोलियन 



🌷🌷सुप्रभात

[13/09, 5:59 AM] Ashok Kumar Shashtri: *दुनिया में अच्छे इंसान हैं; लेकिन यदि आपको ऐसा कोई नहीं मिलता है तो आप अवश्य किसी और के लिये अच्छे इंसान बने।*


*💐💐💐Good morning...*

[14/09, 7:55 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"पसंद" उसे करो जो तुम मे परिवर्तन लाए, वरना “प्रभावित” तो एक मदारी भी कर लेता है.!*



*🌺🌺🌺𝕲𝖔𝖔𝖉 𝕸𝖔𝖗𝖓𝖎𝖓𝖌.....*

[15/09, 5:22 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"सोचना सबसे कठिन काम है, इसलिए बहुत कम लोग यह काम करते हैं|"*                          

                                ....हेनरी फोर्ड



      *💐💐💐 𝓖𝓸𝓸𝓭 𝓜𝓸𝓻𝓷𝓲𝓷𝓰*

[16/09, 6:17 AM] Ashok Kumar Shashtri: *युवा अवस्था का संबंध इससे है कि आप कितने जीवंत हैं, इससे नहीं कि आप कब पैदा हुए थे।*


*💐💐💐𝘎𝘰𝘰𝘥 𝘔𝘰𝘳𝘯𝘪𝘯𝘨....*

[17/09, 7:12 AM] Ashok Kumar Shashtri: *किसी के नकार देने से अपने आईडिया को हल्का मत समझिए, दुनिया में हर बड़े आईडिया को पहले नकारा गया था।*



  *💐💐💐𝙶𝚘𝚘𝚍 𝙼𝚘𝚛𝚗𝚒𝚗𝚐...*

[21/09, 6:29 AM] Ashok Kumar Shashtri: *अपने वो होते हैं,*

*जो समझते भी हैं..*

             *और*

*समझाते भी हैं..!!*


Good Morning

[22/09, 8:11 AM] Ashok Kumar Shashtri: *खुद ही लड़नी पड़ती है जिंदगी की लड़ाई..  लोग साथ कम, ज्ञान ज्यादा देते है...*


*💐💐💐𝓖𝓸𝓸𝓭 𝓜𝓸𝓻𝓷𝓲𝓷𝓰....*

[23/09, 6:45 AM] Ashok Kumar Shashtri: *मेरे पिताजी अक्सर कहते है, मजबूत बनो बेटा, मां बाप रहम खा लेते है, ये दुनियां रहम नहीं खाएगी।*



     *💐💐💐𝙂𝙤𝙤𝙙 𝙈𝙤𝙧𝙣𝙞𝙣𝙜...*

[24/09, 8:43 AM] Ashok Kumar Shashtri: *ज्यादा सोचना बंद कीजिए, और उस दुनिया से बाहर आए जो हकीकत में है ही नहीं।*



*💐💐💐𝔾𝕠𝕠𝕕 𝕄𝕠𝕣𝕟𝕚𝕟𝕘...*

[25/09, 7:03 AM] Ashok Kumar Shashtri: *बुरी बात और अच्छी बात*



बुरी बात यह हैं कि _*समय कम हैं,*_ 


और अच्छी बात यह हैं कि _*अभी भी समय हैं।*_




*💐💐💐Good morning...*

[28/09, 6:01 AM] Ashok Kumar Shashtri: *अनुशासन का कोई विकल्प नही है क्योंकि यह सर्वोत्तम विकल्प हैं।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐💐*

[29/09, 7:00 AM] Ashok Kumar Shashtri: जिस प्रकार पतझड़ के बिना पेड़

पर नए पत्ते नही आते

ठीक उसी तरह कठिनाई और संघर्ष

के बिना अच्छे दिन भी नही आते।


🌿Good Morning🌿

[30/09, 9:47 AM] Ashok Kumar Shashtri: *The principle of successful relationships is to forget all that is useless*.


“ *Be Healthy.. Be Happy*”


🌹  *G😊😊D*  *M🌞RNING*  ☕

[01/10, 7:40 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Try not to become a man of success but rather to become a man of value*.


“ *Become Decent & Respectable*”


🌹  *G😊😊D* *M🌞RNING*  ☕

[04/10, 8:07 AM] Ashok Kumar Shashtri: इंसान बिना मुहूर्त के पैदा होता है, बिना मुहूर्त के मरता है, लेकिन सारी ज़िंदगी शुभ मुहूर्त की तलाश में रहता है. अपने #आप पर भरोसा करो, मुहूर्त अपने आप शुभ हो जाएगाl


*💐💐💐Good morning...*

[05/10, 7:27 AM] Ashok Kumar Shashtri: "जब लोग बदल सकते हैं, तो 'किस्मत' क्या चीज है। "


Good morning...

[08/10, 8:30 AM] Ashok Kumar Shashtri: कुछ ज्यादा ख्वाहिशें नहीं है तुझसे ऐ जिंदगी बस मेरा हर दिन पहले दिन से बेहतर हो।।

🌹Good Morning🌹

[09/10, 7:58 AM] Ashok Kumar Shashtri: *बहुत मेहनत लगती है जनाब कुछ मुकाम हासिल करने में, लोग दो पल में उसे किस्मत का नाम दे देते हैं।*


*💐💐💐Ɠσσԃ Ɱσɾɳιɳɠ...*

[10/10, 7:02 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो चीज़ आप चाहते हैं उस पर अपने चेतन मन को केन्द्रित रखिये, और आपका अवचेतन मन, बिना किसी गलती के उस तक पहुचने का रास्ता आपको बताएगा।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[11/10, 8:05 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"Success & Relations Never*

*depend on the Capability of*

 *Your Brain* 

*But  They always Depend*

*On the Greatness of Your*

 *Behavior & Thoughts..."*


🌹   *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[12/10, 7:24 AM] Ashok Kumar Shashtri: *हम सभी के पास सपने हैं। लेकिन सपनों को साकार करने के लिए, दृढ़ संकल्प, समर्पण, आत्म-अनुशासन, और अथक कोशिशों की जरूरत होती हैं।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[13/10, 6:39 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जब लोग आपका साथ छोड़ दे तो यह समझ लीजिए…आप उस काम को अकेले ही करने में सक्षम हैं।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[14/10, 7:10 AM] Ashok Kumar Shashtri: _*कैलेंडर हमेशा तारीख को बदलता है, पर एक दिन ऐसी तारीख  भी आती है जो कैलेंडर को ही बदल देती है,*_


   *इसलिए सब्र रखें, वक्त हर किसी का आता है, बस मेहनत करते रहिए।*



      *🌷🌿सुप्रभातम्🌿🌷*

[15/10, 7:18 AM] Ashok Kumar Shashtri: *तन की खूबसूरती एक भ्रम है,*


*सबसे खूबसूरत तो आपकी वाणी है,*


*चाहे ‍तो दिल जीत ले,*


 *चाहे तो दिल चीर दे !*


*🪴GOOD MORNING🪴*

[16/10, 6:53 AM] Ashok Kumar Shashtri: *“आत्म-सम्मान अनुशासन का फल है; अपने आप को मना कर पाने की सामर्थ्य के साथ ही गरिमा की समझ पैदा होती है।”*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


    *शुभ प्रभात💐💐💐💐*

[17/10, 8:24 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Challenges are what make life exciting and that's what builds your future*.

*“Be Bold n Confident”*


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[18/10, 9:08 AM] Ashok Kumar Shashtri: खुशी के लिए काम करोगे तो खुशी नही मिलेगी, लेकिन खुशी के साथ काम करोगे तो खुशी और सफलता दोनों मिलेगी।।

🌹Good Morning🌹

[19/10, 8:41 AM] Ashok Kumar Shashtri: *सुलभा: पुरुषा: राजन्‌ सततं प्रियवादिन:।*

*अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभ:।।*


भावार्थ: हमेशा प्रिय और मन को अच्छा लगने वाले बोल बोलने वाले लोग आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन जो आपके हित के बारे में बोले और अप्रिय वचन बोल व सुन सकें, ऐसे लोगों का मिलना दुर्लभ है।


*सुप्रभात 🙏*

[22/10, 9:06 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जिंदगी को आसान नहीं, खुद को मजबूत बनाना पड़ता है।*

*सही समय कभी नहीं आता. बस समय को सही बनाना पड़ता है।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।



     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[23/10, 6:19 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"सेल्फी निकालना तो सेकण्डों का काम है।*


_*वक़्त तो "इमेज" बनाने में लगता है।*_


   _*🌸Good Morning🌸*_

[27/10, 5:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: ... ✍🏻

*धन हमेशा के लिए*


*मित्र नहीं होता ...*


*लेकिन मित्र* 


*हमेशा के लिए* 


*धन होता है !!!*

 

*💐💐💐Good morning...*

[29/10, 7:00 AM] Ashok Kumar Shashtri: हर आदमी अपनी ज़िन्दगी में हीरो है,

बस कुछ लोगों की फिल्में रिलीज़ नहीं होती.


🌱Good Morning🌱

[04/11, 10:15 AM] Ashok Kumar Shashtri: मीठे हलवे की कटोरी में काजू बादाम सूजी सब तो दिखाई देते हैं मगर जिस चीज की मिठास है वह चीनी नहीं दिखाई देती है।

👆 ठीक ऐसे ही मेरे जीवन में भी

आप जैसे लोग हैं जो रोजाना दिखाई तो नहीं देते ,पर आपके अपनेपन की मिठास मेरे जीवन को हमेशा आनंदित करती रहती है।

🌹🍇 good morning🌹

🧏‍♂️🧏‍♀️🧏‍♂️🧏‍♀️🧏‍♂️🧏‍♀️🧏‍♂️🧏‍♀️

[08/11, 7:00 AM] Ashok Kumar Shashtri: *चिरागो के अपने*​

*घर नही होते ....*​


*जहाँ जलते हैं वही*​

*रोशनी बिखेर देते हैं...*


       

           *💐शुभ प्रभात💐*

[09/11, 5:33 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"There is a huge difference  between "worry"  &  "concern"*.

*A worried person only sees the problem & a concerned person solves the Problem*. 


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[12/11, 8:27 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Inspire from many, but*

*compare with none*.



🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[14/11, 6:08 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"गलत सोच का अंधेरा रात के अंधेरे से ज्यादा खतरनाक होता है "!!*



*💐💐💐Good Morning...*

[15/11, 8:24 AM] Ashok Kumar Shashtri: *डर कही और नहीं*

*बस आपके दिमाग में होता हैं.*


🌺Good Morning🌺

[16/11, 7:15 AM] Ashok Kumar Shashtri: आप चढ़ाई कैसे करते हैं ये पर्वत की चोटी पर पहुँचने से ज्यादा महत्वपूर्ण है।


       🌸शुभ प्रभात🌸

[17/11, 8:47 AM] Ashok Kumar Shashtri: दुनिया में कई ऐसे असफल लोग हैं जो यह नहीं समझ पाए की वे सफलता के कितने करीब थे जब उन्होंने हार मान ली।


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[18/11, 6:47 AM] Ashok Kumar Shashtri: *आप जो हैं, उससे बड़ा सोचने की कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ती, लेकिन ख़ुद को कमतर सोचने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[19/11, 6:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: *साईकिल और ज़िंदगी*

*तभी बेहतर चल सकती है,*

*जब चैन हो.*


     *💐💐💐Good Morning*

[20/11, 7:19 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Efforts and Courage* 

*are not enough without*

*Purpose and Direction*.


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[21/11, 9:32 AM] Ashok Kumar Shashtri: जो मानते हैं कि वे पहाड़ों को हिला सकते हैं, वे ऐसा कर जाते हैं। जो मानते हैं कि वे नहीं कर सकते, वे नहीं कर पाते।


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[22/11, 7:07 AM] Ashok Kumar Shashtri: *आपके जीवन में बड़ा सोचने, सीमाओं को आगे बढ़ाने और असंभव की कल्पना करने के लिए हमेशा जगह होती है।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[23/11, 7:17 AM] Ashok Kumar Shashtri: *आप जो हैं, उससे बड़ा सोचने की कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ती, लेकिन ख़ुद को कमतर सोचने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[24/11, 6:10 AM] Ashok Kumar Shashtri: *कर्म करे किस्मत बने*

*जीवन का ये खेल,*

*प्राणी तेरे भाग्य में ,*

*तेरा अपना कर्म*



*🌹 good morning🌹*

[25/11, 7:49 AM] Ashok Kumar Shashtri: *सच्चा विजेता यह जानता है कि हारना, जीतने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है|*


*Good Morning💐💐💐*

[26/11, 9:51 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Old Life Lessons*:


-Mind your *Thoughts*: If u are Alone

-Mind your *Tongue*: If u are with Friends

-Mind your *Temper*: If u are Angry

-Mind your *Behavior*: if u are in a Group

-Mind your *Emotions*: If u are in Trouble

-Mind your *Ego*: If God showers His Blessing


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

[28/11, 7:31 AM] Ashok Kumar Shashtri: *_Too much comfort will eventually make you uncomfortable._* 


*_Challenges will help you stay agile._*


🌹  *G🙂🙂D*  *M🌞 RNING*   🍵

[29/11, 6:56 AM] Ashok Kumar Shashtri: *आपके भीतर छिपी अच्छाइयां बेशक अदृश्य हो सकती है*..!

*लेकिन इनकी छाप हमेशा दूसरों के हृदय में विराजमान रहती है..!!*


        *💐💐सुप्रभात💐💐*

[30/11, 7:27 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Every Little Smile*

*Can Touch*

*Somebodies Heart..*

*No One Is Born Happy..*

*But,*

*All Of Us Are Born*

*With The Ability*

*To Creat Happiness..!*

          

🌹  *G🙂🙂D*  *M🌞RNING*  ☕

[01/12, 7:17 AM] Ashok Kumar Shashtri: Not *Dreams,*

But *Night* Changes...


Not *Destiny,*

But *Path* Changes...


We should always keep our *Hopes Alive;*

*Luck* may or may not *Change...*


But *Time* definitely *Changes...*


 🌹  *G🙂🙂D*  *M🌞RNING*   ☕

[03/12, 8:03 AM] Ashok Kumar Shashtri: गीता में कहा गया था कि शरीर मर जाता है आत्मा जिंदा रहती है। आज एकदम इसके उल्टा है आत्माएं मर चुकी हैं,, लोगों के शरीर जिंदा हैं ।।

उम्मीद करता हूं कि आपकी आत्मा जिंदा रहे ।

🌹Good Morning🌹

सुप्रभात। आपका दिन शुभ रहे

[04/12, 9:39 AM] Ashok Kumar Shashtri: रोज़-रोज़ गिरकर भी मुक़म्मल खड़ा🚶‍♂️ हूँ


ऐ मुश्किलों☝️


देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।।

🌹Good Morning🌹                सुप्रभात ।                          आपका दिन शुभ रहेl

[06/12, 7:14 AM] Ashok Kumar Shashtri: *इंसान का सबसे बेहतरीन मित्र उसकी अपनी सेहत है,*

*अगर उसका साथ छूट जाए तो वो हर रिश्ते के लिए बोझ बन जाता है....*


*Good Morning*

[08/12, 7:19 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"किसी और से ना सही तो मौसम से तो सीखो की समय के साथ अपने आप को कैसे बदलना है I"*


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     *शुभ प्रभात💐💐💐*

[11/12, 8:41 AM] Ashok Kumar Shashtri: *हाथों ने पैर से पूछा...* 

 *सब तुझ पर ही मस्तक रखते हैं,* *मुझ पर नहीं...* 

 *पैर ने कहा...*  *उसके लिए जमीन पर रहना* *पङता है,* 

 *हवा में नहीं।* 

                                               

        🙏🙏🏼 *सुप्रभात*🙏🏼🙏🏼

[12/12, 6:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: "धैर्य निष्क्रिय प्रतीक्षा नहीं है। धैर्य अपने लक्ष्यों और सपनों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया की सक्रिय स्वीकृति है।"


बढ़ता वही है, जो बदलता है ।


शुरुआत सपने देखने से ही होती है।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[13/12, 7:39 AM] Ashok Kumar Shashtri: *“कुछ लोग सफल होते हैं क्यूंकि सफल होना उनके भाग्य में लिखा है, लेकिन अधिकतर लोग सफल होते हैं क्यूंकि वे दृढ संकल्पी होते हैं।”*


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[14/12, 7:46 AM] Ashok Kumar Shashtri: *भाग्य से जितना अधिक उम्मीद करेंगे वह उतना ही निराश करेगा, कर्म में विश्वास रखो आपको अपनी अपेक्षाओं से सदैव अधिक मिलेगा।*




     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[15/12, 6:16 AM] Ashok Kumar Shashtri: जो लोग सफलता प्राप्त करते हैं।

 वो कभी  बैठकर किसी घटनाओं का इंतज़ार नहीं करते हैं ।

बल्कि वो ख़ुद घटना पैदा करते हैं।


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[16/12, 8:05 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"चीजें खुद नहीं होतीं, उन्हें करना पड़ता है !!"*


 शुभ प्रभात💐💐💐💐

[17/12, 9:51 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"याद रखें, जहां से भय समाप्त होता है,वहीं से निखरे हुए नए जीवन की शुरुआत होती है।"*


*🙏शुभ प्रभात!* 🌸

[18/12, 7:04 AM] Ashok Kumar Shashtri: *जो कच्चे मकानों में जन्म लेते हैं वहीं ऊंची मिनारों को जन्म देते हैं।*


     शुभ प्रभात💐💐💐💐

[19/12, 11:27 AM] Ashok Kumar Shashtri: *धर्मे अर्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ।*

*यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत्क्वचित्।।*


अर्थात् - _धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के सम्बन्ध में जो कुछ महाभारत में कह दिया गया है उसके बाद कुछ कहने को शेष नहीं रहता है।_


_*सुप्रभातम्💐💐💐*_

[20/12, 6:42 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"एक लक्ष्य एक समय सीमा के साथ देखा गया एक सपना है।"*



     शुभ प्रभात💐💐💐

[22/12, 7:07 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Remember. Only if we are happy, we can make others happy*



 *G😊😊D*  *M🌞RNING*  ☕

[23/12, 7:13 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Remember. The one who tells your weakness He is your true friend.*


*G😊😊D M🌞RNING* ☕

[24/12, 8:34 AM] Ashok Kumar Shashtri: *"जिस प्रकार से अंधकार प्रकाश का अभाव है, उसी प्रकार अहंकार जागरूकता का अभाव है।"*


*सुप्रभात!*

🙏

[25/12, 9:54 AM] Ashok Kumar Shashtri: किस्मत आपके हाथ में नही होती, परन्तु निर्णय आपके हाथ में होता है...

         ठीक इसी प्रकार...किस्मत आपका निर्णय नही बदल सकती, परन्तु आपका निर्णय आपकी किस्मत बदल सकता है..!

            सदा मुस्कुराते रहिये🙏🏻

[27/12, 8:51 AM] Ashok Kumar Shashtri: *Our way of thinking creates good or bad times*.


“ *Be Positive… Think Positive*”


🌹  *G😊😊D*  *M☀️RNING*   ☕

शनिवार, 9 अक्तूबर 2021

कचनार (औषधीय पेड़)


 ऐसा पेड़ जिसके फुल,फली,तना ,छाल सभी बेहद गुणकारी हे-


अगर पता चल जाए इस फूल के फायदे, तो दुनिया में कोई भी न रहे बीमार

कुदरत ने कई पेड़ पौधों को औषधीय गुणों से भरपूर रखा है। इन्हीं में से एक कचनार का पेड़ भी है इसके फूल, पत्तियां, तना और जड़ यानि सभी चीजें किसी न किसी बीमारी का निराकरण करने में बेहद लाभकारी हैं।कचनार के फूलों की कली लंबी, हरी व गुलाबी रंग की होती है। आयुर्वेद में इसे बेहद चामत्कारी और औषधीय गुणों से भरपूर वृक्ष माना जाता है। कचनार के फूल और कलियां वात रोग, जोड़ों के दर्द के लिए विशेष लाभकारी है


आयुर्वेदिक में कचनार की छाल को भी शरीर के किसी भी हिस्से में बनी गांठ को गलाने के इस्तेमाल में लिया जाता है। इसके अलावा, रक्त विकार व त्वचा रोग जैसे- दाद, खाज-खुजली, एक्जीमा, फोड़े-फुंसी आदि में भी इसकी छाल बेहद लाभकारी है।


इस्तेमाल का तरीका


इसके छाल का चूर्ण बनाकर इसे 3 से 6 ग्राम मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। इसके फूलों का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में प्रयोग किया जाता है और छाल का काढ़ा 40 से 80 मिलीलीटर की मात्रा में प्रयोग किया जाता है। इसकी छाल का महीन पिसा-छना चूर्ण 3 से 6 ग्राम (आधा से एक चम्मच) ठंडे पानी के साथ सुबह-शाम लेना लाभकारी होता है। इसका काढ़ा बनाकर भी सुबह-शाम 4-4 चम्मच मात्रा में (ठंडा करके) एक चम्मच शहद मिलाकर लेना फायदेमंद होता है।


कांचनार के लाभकारी गुण –


-सूजन


कचनार की जड़ को पानी में घिसकर लेप बनाएं। इसे गर्म करके इसका लेप गर्म-गर्म सूजन वाली जगह पर लगाए, जल्दी ही आराम मिलेगा।


-मुंह के छाले


कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ा-सा कत्था मिला लें। इससे जल्दी ही छाले ठीक तो हो ही जाते हैं, इसके लगाते ही छालों की तक्लीफ में तुरंत आराम मिल जाता है।


-बवासीर


कचनार की एक चम्मच छाल को एक कप मट्ठा (छांछ) के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से बवासीर में खून गिरना बंद हो जाएगा।कचनार की कलियों के पाउडर को मक्खन और शक्कर मिलकर 11 दिन खाने से पेट के कीड़े भी साफ हो जाते हैं।


-भूख न लगना


कचनार की फूल की कलियां घी में भूनकर सुबह-शाम खाने से खुछ ही दिनो में आपकी भूख बढ़ जाएगी, जिससे आप नियमित खाना खा सकेंगे।


-गैस की समस्या


कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर, इसके 20 मिलीलीटर काढ़े में आधा चम्मच पिसी अजवायन मिलाकर प्रयोग पीने से गैस की समस्या के चलते होने वाली तक्लीफ से निजात मिलती है। इसे नियमित रूप से सुबह-शाम भोजन करने बाद पीने से पेट फूलने की समस्या और गैस की तकलीफ दूर होती है।


-खांसी-दमा


शहद के साथ कचनार की छाल का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से खांसी और दमा में आराम मिलता है।


-दांतों का रोग-दर्द


कचनार के पेड़ की छाल को जलाकर उसकी राख से मंजन करना चाहिए। इस मंजन से सुबह एवं रात को खाना खाने के बाद मंजन करने से दांतों का दर्द तथा मसूढ़ों से खून का निकलना बंद होता है। साथ ही इसकी छाल को उबालने के बाद उसे शीशी में बंद करके रख लें। यह पानी 50-50 मिलीलीटर गर्म करके रोजाना 3 बार कुल्ला करें। इससे दांतों का हिलना, दर्द, खून निकलना, मसूढों की सूजन और पायरिया खत्म हो जाता है।


-कब्ज


कचनार के फूलों को चीनी के साथ घोटकर शर्बत की तरह बनाकर सुबह-शाम पीने से कब्ज दूर होती है और पेट साफ रहता है। कचनार के फूलों का गुलकन्द रात में सोने से पहले 2 चम्मच की मात्रा में कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज दूर होती है।


-कैंसर


कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट का कैंसर ठीक होता है।


-दस्त सगना


कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर दिन में 2 बार पीने से दस्त रोग में ठीक होता है। पेशाब के साथ खून आना-कचनार के फूलों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से पेशाब में खून का आना बंद होता है। इसके सेवन से रक्त प्रदर एवं रक्तस्राव आदि भी ठीक होता है।


-बवासीर


कचनार की छाल का चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में एक गिलास छाछ के साथ लें। इसका सेवन प्रतिदिन सुबह-शाम करने से बवासीर एवं खूनी बवासीर में बेहद लाभ मिलता है। कचनार का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह पानी के साथ खाने से बवासीर ठीक होता है।


-खूनी दस्त


दस्त के साथ खून आने पर कचनार के फूल का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से खूनी दस्त (रक्तातिसर) में जल्दी लाभ मिलता है।


-कुबड़ापन


अगर कुबड़ापन का रोग बच्चों में हो तो उसके पीठ के नीचे कचनार का फूल बिछाकर सुलाने से कुबड़ापन दूर होता है। लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग कचनार और गुग्गुल को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से कुबड़ापन दूर होता है। कुबड़ापन के दूर करने के लिए कचनार का काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए।


-घाव

कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से घाव ठीक होता है। इसके काढ़े से घाव को धोना भी चाहिए।


-स्तनगांठ


कचनार की छाल को पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण लगभग आधे ग्राम की मात्रा में सौंठ और चावल के पानी (धोवन) के साथ मिलाकर पीने और स्तनों पर लेप करने से गांठ ठीक होती है।


-थायराइड


कचनार के फूल थायराइड की सबसे अच्छी दवा हैं। लिवर में किसी भी तरह की तकलीफ हो तो कचनार की जड़ का काढ़ा पीना बेहद लाभकारी होता है।


इस बात का रखें खास ध्यान


कचनार देर से हजम होती है और इसका सेवन करने से कब्ज की समस्या भी उत्पन्न होने लगती है। इसलिए इससे घबराना नहीं चाहिए, जब तक कचनार का सेवन करें, तब तक रोज़ाना पपीते का सेवन खासतौर पर करते रहना चाहिए।








गुरुवार, 17 जून 2021

काव्यप्रकाश - आचार्य मम्मट के अनुसार काव्य के भेद उदाहरण सहित

काव्यभेदाः

संस्कृत-काव्यशास्त्र-परम्परायाम इन्द्रियार्थसन्निकर्षम्य एवं रचनाशैल्या दृष्ट्या काव्यस्य नैक भेदा: विहिता सन्ति। काव्यस्य रचना सौष्ठव-ग्राह्यत्व-भाषागतभेदप्रभेदभ्यः विलक्षणस्य काव्यस्य अत्यधिक प्रधानप्राणभूततत्त्वयंग्यस्य सत्तात्मकताया: तथा उत्कर्षापकर्षस्य दृष्ट्वा ध्वनिकार-आनन्दवर्धनस्य मतमनुसृत्य आचार्यमम्मटेन काव्यस्य भेदा: त्रिधाप्रतिपादिता-

1. उत्तमकाव्यम् (ध्वनिकाव्यम्)
2. मध्यमकाव्यम् (गुणीभूतव्यंग्यकाव्यम्)
3. अधमकाव्यम् (चित्रकाव्यम्)

              1. उत्तमकाव्यम् - (ध्वनिकाव्यम्) -  आचार्यमम्मटस्य काव्यभेदविषयकं मत संक्षेपतः निम्नप्रकारेण निरूपयितुं शक्यम् – “इदमुत्तमतिशायिनि व्यंग्ये वाच्याद ध्वनिर्बुधै: कथितः।" अर्थात् यत्र वाच्यार्थस्य अपेक्षया व्यंग्यार्थस्य चमत्कारित्व प्राप्यते तत्रोत्तममं काव्यं भवति। विद्वांसः इदं ध्वनि काव्यमिति वदन्ति। उदाहरण-

       नि:शेषच्युतचंदनं   स्तनतटं   निर्मृष्टरागोधरो, 
       नेत्रे दूरमनञ्जने पुलकिता तन्वी  तवेयं तनुः । 
       मिथ्यावादिनि दूति बान्धवजनस्याज्ञातपीडागमे, 
       वापी स्नातुमितो गतासि न पुनस्तस्याधमस्यान्तिकम्।।
 
                अत्र वक्तुः बोद्धश्च वैशिष्ट्येन इदं स्पष्टं भवति यत्वं तमेव नायकमुपगताऽऽसी तथा रमणं गताऽऽसी, इदं मधुरं तथ्यमधमपदेन व्यज्यते । 
              अत्र वाच्यापेक्षया व्यंग्यार्थस्य अधिकचमत्कारित्वात् इदम् उत्तमकाव्यस्य अथवा ध्वनिकाव्य कोट्यामाधीयते।

            2. मध्यमकाव्यं गुणीभूतव्यंग्यकाव्यम् - आचार्यमम्मटः मध्यमकाव्यं वा गुणीभूतव्यंग्य काव्यं परिभाषमाणः अभिहितवान् “अतादृशि गुणीभूतव्यंग्यं व्यंग्ये तु मध्यमम।" अर्थात् तथाविधं वाच्यम्य अपेक्षया व्यंग्यार्थे द्वितीय प्रकारणं काव्यं भवति । भावोऽयं यद् यत्र वाच्यार्थस्य अपेक्षाया व्यंग्यार्थे अधिकः चमत्कारः न प्राप्येत तंत्र मध्यमं काव्यम् भवति । उदाहरणम् - 

       ग्रामतरुणं तरुण्या नववञ्जुमञ्जरीसनाथकरम् ।
       पश्यन्त्या भवति मुहुर्नितरां मलिना मुखच्छाया। |

             अत्र अशोकवृक्षम्य लतागृह ग्रामतरुणे समागमस्य संकेतं दत्त्वा गृहकार्ये व्यासक्तत्वात् तरुणी समयेन तत्र न गच्छति ( प्राप्ता भवति) तरुणश्च तत्र यथासमयं प्राप्तो भवति। तं दृष्ट्वा तरुण्याः मुखकान्तिः मलिना जायते । अत्र इत्थं व्यंग्यार्थस्य तुलनायां वाच्यार्थस्य समधिक चमत्कारित्वात् अत्र पद्ये गुणीभूतव्यंग्यकाव्यं मतम् ।

(iii) चित्रकाव्यमथवा अधमंकाव्यम् - शब्दचित्रं वाच्य चित्रमव्यंग्यं त्ववरं स्मृतम्- अर्थात् व्यंग्यार्थेन रहितं शब्दचित्रं तथा अर्थचित्रम्-इतिभेदद्वयेन अधमकाव्यं द्विधा भवति। उभयोः उदाहरणम् –

(i) शब्दचित्रम्

         स्वच्छन्दोच्छलदच्छकच्छकुहरच्छातेतराम्बुच्छटां
         मूर्च्छन्मोहमहर्षिहर्षविहितस्नानाह्निकालय वः।
         भिद्यादुद्यदुदारदर्दुरदरी    दीर्घादरिद्र्दुम
         द्रोहोद्रेकमहोर्भिमेदुरभदा मन्दाकिनी मन्दताम्॥

              उक्तोदाहरणे कोऽपि व्यंग्यार्थो न विद्यते केवलं शब्दानाम् अनुप्रासजन्य चमत्कार अस्ति, अत इदं चित्रकाव्यमुच्यते ।

(ii) अर्थ-चित्रम्

                विनिर्गतं मानदमात्त्ममन्दिराद्
                       भवत्युपश्रुत्य यदृच्छयापि यम्। 
                ससम्भ्रमेन्द्रद्रुतपातितार्गला
                        निमीलिताक्षीन भियामरावती ॥

अत्र भिया निमीलिताक्षीव अमरावती अत्र उत्प्रेक्षाऽलंकारस्य छटा विद्यते। रसस्य दृष्ट्या अत्र वीररस प्रतीयते, किन्तु कवेः तात्पर्य रसे न सत् उत्प्रेक्षायाः चमत्कारप्रदर्शने एवा केन्द्रितं दृश्यते । अतः अत्र अर्थ चित्रम् ।
सदाबहार पुष्प



मंगलवार, 8 जून 2021

चिन्तनीयम्

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एहि हसाम

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३.

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६.

७.            बुद्धिर्यस्य बलं तस्य
           एकस्मिन् वने एकः सिंहः वसति स्म । सः नित्यम् एकं पशुं खादति स्म । एकदा सिंहः अति क्षुधितः भवति । एकः शशकः तत्र आगच्छति । सः चतुरः भवति । सिंहः शशकं पश्यति । सः भीतः विलापं करोति । सिंहः तं पृच्छति-"त्वं कथं विलपसि" ?शशकः वदति-"महाराज ! वने एकः अन्यः सिंहः अस्ति । सः मम पुत्रान् खादति ।सिंहः कथयति-"कुत्र अस्ति सः अन्यः सिंहः" ?शशकः-"समीपे एकः कूपः अस्ति । सः तस्मिन् निवसति ।"क्रुद्धः सिंहः कथयति-"अहं तत्र गत्वा पश्यामि ।"शशक: वदति-"आगच्छतु,आगच्छतु ।" शशकः तं सिंहं कूपसमीपं नयति । सिंहः कूपस्य जले प्रतिबिम्बं पश्यति । सः कूपे कूर्दते म्रियते च ।शशकः स्वबुद्धिबलेन आत्मरक्षां करोति । सत्यम् इदं यत्- "बुद्धिर्यस्य बलं तस्य, निर्बुद्धेस्तु कुतो बलम् ।"

८.        तत् कथं करोमि ?
       वैद्यः -भवतः अस्वास्थ्यस्य कारणं मशकाः एव । भवान् एतत् लेप्यं लेपयतु । मशकाः भवन्तं न पीडयन्ति ।
      सोमः -परन्तु वैद्यमहोदय ! कथं मशकं गृहीत्वा तदुपरि एतद् लेपयामि इत्येव चिन्ता मम...।

९.                      इच्छा नास्ति..
          कश्चन नवयुवकः पत्नीम् उक्तवान्- "अयि प्रिये! अद्य आवाम् उपाहारमन्दिरे भोजनं कुर्वः। 
पत्नी- किमर्थम्....? 
मम पाकस्य रुचिः सम्यक् न भवति वा ?
पतिः- (मन्दध्वनिना) न..न,रुचिः तु सम्यक् एव भवति।
किन्तु अद्य अतीव श्रान्तः अस्मि।
अतः पात्रप्रक्षालने मम इच्छा नास्ति ।

१०.   शिक्षकः - वास्तवभ्रमयोः एकैकम् उदाहरणं वदतु रमेश ।रमेशः - भवान् पाठयन् अस्ति इत्येतत् वास्तवम् । वयं श्रृण्वन्तः स्मः इत्येषः भ्रमः ।
शिक्षकः - ! ! !

११. पत्नी - आर्यपुत्र ! भवान शतं वर्षाणि सुखेन सन्तोषेण च जीवेत् । तदर्थम् अहं व्रताचरणं कर्तुम् इच्छामि ।वदतु, अहं किं व्रतम् आचराणि ?
पतिः - भवती मौनव्रतम् आचरतु, पर्याप्तम् । ततः अहं सार्धैकशतं वर्षाणि जीविष्यामि आनन्देन ।

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१६.

१७.

१८.

१९.

२०.

सुविचार

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11.

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13.
14.


सुविचार

                                  1.
लोगों का क्या है चाय में मक्खी गिरे तो चाय फेकते हैं और घी में गिरे तो मक्खी फेंकता है। इसलिए जीवन में कुछ बनना है तो _"कीमती बनो”।_

2.
दूसरों की छांव में खड़े रहकर हम अपनी परछाई खो देते हैं। अपनी परछाई के लिए खुद धूप में खड़ा होना पड़ता है| 
3.
अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं तो पहले सूरज की तरह जलना होगा।
4.
अगर आपके ख्वाब बड़े हैं तो संघर्ष छोटा कैसे हो सकता है?
5.
कोई इतना अमीर नहीं होता कि अपना पुराना वक्त खरीद सकें, और कोई इतना गरीब नहीं होता की अपना आने वाला वक़्त ना बदल सके।
6.
खामोश रहने का अपना ही मज़ा है नींव के पत्थर कभी बोला नहीं करते ।
7.
जीवन में आगे बढ़ने के लिए पहले खुद को अपने नज़रों में उठाइये, दुनिया की नजरों में तो स्वयं ही उठ जायेंगे ।
8.
वक्त (Time) आपका है चाहो तो _सोना_ बना लो और चाहो तो _सोने_ में गुजार दो।
9.
नीचे गिरना एक दुर्घटना है, नीचे रहना एक विकल्प है।
10.
नया दिन है नयी बात करेंगे,
कल हार कर सोये थे आज फिर
एक नयी शुरुआत करेंगे !!
11.
किसी की "सलाह" से रास्ते जरूर
 मिलते हैं,
पर मंजिल तो खुद की "मेहनत" से
ही मिलती है !


               
          
               





        

        
      

रविवार, 6 जून 2021

संस्कृत-कार्यपत्रम्-1 कक्षा-६

                       कार्यपत्रम्

नाम-                             विषय अध्यापक का नाम -

कक्षा-           वर्ग-                 रोल नं.-

 

  1. दिये गये शब्दों को पढ़ो। नीले रंग से संस्कृत के शब्द वचनों के अनुसार दिए गए हैं। उन्हीं संस्कृत शब्दों का हिंदी अर्थ हरे रंग से उनके नीचे लिखा है।  संस्कृत भाषा में तीन वचन होते हैं एकवचन का मतलब जहां पर किसी वस्तु की संख्या 1 है। द्विवचन का मतलब जहां पर किसी वस्तु की संख्या 2 है और बहुवचन का मतलब है जहां पर कोई वस्तु तीन या उससे अधिक है।


एकवचन            द्विवचन                  बहुवचन

कपोतः              कपोतौ                    कपोताः

कबूतर             दो कबूतर             बहुत से कबूतर

मण्डूकः             मण्डूकौ                मण्डूकाः

मेढक               दो मेढक              बहुत से मेढक

कृषकः              कृषकौ                    कृषकाः

किसान           दो किसान             बहुत से किसान

वलिवर्दः          वलिवर्दौ                   वलिवर्दाः

बैल                 दो बैल                   बहुत से बैल

गायकः            गायकौ                      गायकाः

गायक             दो गायक               बहुत से गायक


प्रश्न. अब नीचे कुछ संस्कृत के शब्द और उनके अर्थ एकवचन में दिए जा रहे हैं। ऊपर की तालिका के अनुसार उन शब्दों के द्विवचन और बहुवचन रूप स्वयं से बनाएं और उनके हिंदी अर्थ भी लिखें।


एकवचन            द्विवचन                  बहुवचन

1.शिक्षकः           ……….                ………..

  अध्यापक          ……….                ………..

2.मयूरः              ……….                ………..

   मोर                ……….                ………..

3.बालकः           ……….                ………..

   बालक            ……….                ………..

4.चषकः            ……….                ………..

   गिलास            ……….                ………..

5.अर्चकः            ……….                ………..

   पुजारी            ……….                ………..



                                

प्रत्यभिज्ञा दर्शनविमर्श:| अशोक कुमार: विशिष्टाचार्य:

 https://drive.google.com/file/d/1JzeV_VRBvezgalabIbTen0xOzcwYm0FC/view?usp=drivesdk

प्राचीन वेदानुसारेण पर्यावरणस्य सम्प्रत्यानाम् अध्ययनम्।

।।प्राचीन वेदानुसारेण पर्यावरणस्य सम्प्रत्यानाम् अध्ययनम्।।

   श्री सरस्वती वाग् अधिष्ठात्री नमः।।
श्री सीतारामचरकमलेभ्यः नमः।।
शिक्षायाः स्वरूपम् –
    समग्रे प्राणिसंसारे मानवमहत्ता शिक्षयैव मन्यते। शिक्षादीप्तिदीपितः एव पुरुषः क्रेमेकोन्नतिमातमोतु। अगकनीयां योनिपरम्परामनुसेत्य स्वकर्मफलानुसारमेव जीवो मानवयोनिं प्राप्नोति। सहजतया मानवजन्मः न लभ्यते, मानवजन्म तु प्राक्कालिकजन्मजन्मारार्जितानां पुण्यनां फलमेवास्ति। यत् पुण्यं मानवजीवन – प्रदमुन्नतिकरञ्च कथ्यते तत्पुण्यं पुरूषे शिक्षयैव विद्यते। सम्पाद्यते च मानवानां निखिलमप्युन्नतिमयं जीवनं शिक्षाश्रियमेव वेद्यम्। वेदविद्यावता आद्यां स्मृतिपरम्परामुदन्मायता मनुना भुतेषु प्राणिनां प्राणिषु बुद्धिजीविनां, कृतबुद्धिषु कतृणां, कर्तृषु, ब्रह्मविदो श्रेष्ठता समाख्याता। तथाहि –
भुतानां प्राणिनः श्रेष्ठा प्राणिनां बुद्धिजीविनः। 
बुद्धिमत्सु नराः श्रेष्ठा नरेषु ब्राह्माणाः स्मृताः।
ब्राह्माकेषु च विद्वांसो विदवत्सु कृतबुद्धयः।
कृतबुद्धिषु कर्तारः कर्तृषु ब्रह्मवेदिन।
वेद शास्त्र – विज्ञानादीनां साध्वनुशीलने तत्त्वार्थज्ञानं च विद्येति। स्वीक्रियते - “अविद्यया मृत्यं तीर्त्वा विद्यत्राऽमृतमश्नुते” इति खलु वेदघोषः।
    सा विद्या एव प्रकृष्टा या विद्या मुक्तिं प्रददाति। उपनिषदाम् अनुसारेण द्वे विधाः परा अपरा च। यथा विद्यया लौकिकं ज्ञानं ज्ञायते, सा अपरा विद्या। यथा च अक्षर – ब्रह्माविषयकं ज्ञानं ज्ञायते, सा परा विद्या। लौकेऽस्मिन् विद्या एव तज्ज्योतिः यद् ज्ञायते, सा परा विद्या। लोकेऽस्मिन् विद्या एव तज्ज्योतिः यद् मानवे ज्ञानज्योतिं ज्वालयति, अविद्यान्धतमसं व्यपोहति, दुर्गकरणं वारयति, सद्गुकततिं संचारचति, कार्ति प्रथयति, गौरवं विकासयति, यशो वितनोति, भूभूत्सु च आदरम् आवहति। एषा मातृवत् संरक्षिका, पितृवत् सत्पथप्रदर्शिका, कान्तावत् सुखदामनोञ्जिका च, कार्तिप्रदा, वैभवदायिनी। दुगुणगणनाशेन मनसः पावयित्री च।
मातेव रक्षति पितेव हिते नियुङ्क्ते कान्तेवचाभिरमयत्यपनीय खेदम्।
लक्ष्मी तनोति वितनोति च दिक्षु कार्तिः किं किं न साध्यति कल्पलतेव विद्या।
                                    (निबन्धशतकम्)
शिक्षाया अर्थः –
    शिक्षायाः शाब्दिकार्थे शब्दस्य कोऽर्थः अभिप्रेत इत्यास्मिन् विषये चर्चा विधीयते। “शिक्ष – विद्योपादाने इत्यस्माद् भौवादिकधातोः”, “गुरोश्च हलः” इति राणिनीय सूत्रेण अ- प्रत्यये सति “अजाद्यतष्टाप” इति टापि शिक्षा इति शब्दाः निष्पद्यते। शिक्षाशब्देन प्रमुखतया विद्याग्रहणमेव ध्वन्यते। अपि च ‘शक्लृ - शक्तौ’ इत्यस्मात् सौवादिकधातोः सति प्रत्यये सति स्त्रियां पूर्ववदेव अ – प्रत्यये टापि च शिक्षा – शब्दो निष्पद्यते। परमनेन शब्देन अर्थाद्वयं निस्सरति। ‘शिक्षेर्जिज्ञासायाम् इति वार्तिकप्रमाणेन यदा अयं जिज्ञासावाची भवति। तदा विद्यासु शिक्षते इतिवत्। शब्दोऽयं जिज्ञायार्थकः भवति। यदा शक्तुमिच्छति इत्यर्थे शिक्षाशब्दः तदा अयं ग्रहीतुः सामर्थ्यप्रदायिवस्तु भवति। प्रकारान्तरेण त्रिष्वप्यर्थेषु विद्योपादाने जिज्ञासायां सामर्थ्यलाभे चायं शिक्षाशब्दः महान्तमर्थं प्रकृटयति। यतो हि विद्याग्रहणे जिज्ञासैव प्रवर्त्तयति विद्यार्थिनम्। ततः जिज्ञासया विद्यायाः ग्रहणे सति सामर्थ्यवर्धनं भवत्यैव।
 पर्यावरणसम्प्रत्ययः -
    परि+आवरणम् इत्याभ्यां प र्यावरणम् इति पदं निष्पन्नम्। परि इत्यस्य अर्थः भवति चतस्रः दिशः इति। आवरणम् इत्ययं शब्दः ‘अ’ इति उपसर्गपूर्वकम् वृञ् – वरणे इत्यस्मात् धातो ल्युट प्रत्ययान्तः वर्तते। अस्यार्थः आच्छादितम् इति। पर्यावरणम् इति पदस्य तात्पर्यार्थः भवति चतसृभिः दिग्भिः आच्छादितम् इति। परितः आवरणमेव पर्यावरणम्। अस्मान् परितः यानि तत्वानि विलसन्ति तानि सर्वाणि पर्यावरणम् इति नाम्ना व्यपदिश्यन्ते। यथा समीरः, आपः, अग्निः, वनस्पतिः, वृक्षः, खगः, जन्तुः, कीटः, मनुष्यः इत्यादयः। एतेषां समेषां तत्वानां समाहारः पर्यावरणम् भवति। 
जड़चेतनात्मके अस्मिन् जगति प्राणीमात्रस्य जीवनाय कतिचित् तत्त्वानि महदावश्यकानि सन्ति। यथोदर पोषणाय आहारः पिपासा शान्त्ये जलं निःश्वास - प्रश्वासाय वायुश्च एतानि जीवनावश्यकतायै अत्यन्तावश्यकानि तत्त्वानि। कतिपयः – कारणेभ्यः आधुनिकसंस्कृतिमये नाना जीवव्याप्ते पृथ्वीतले दोषपूर्णानि भवन्ति दृश्यन्ते प्रतीयन्ते च। हेतोरस्मात् पृथिव्यां निवसद्भिः प्राणिभिः सहैव वृक्षवनस्पतीनामपि जीवितत्वं काठिन्यं भजति। यथा खलु वयं जानीमः अनुभवामश्च जगदिदं स्थावरजंगमात्मकं तत् द्वन्दैः निर्मितं स्थितीकृतं चास्ति। एतेषु द्वन्देषु स्थिरीभूतेषु अस्याः सृष्टेः स्थिरता सभ्यात्यते नान्यथा। वस्तुतस्तु एषा द्वन्दात्मकता – जगत – सर्जनायाः महानतमनियमेषु अन्यतमा विद्यते। यदा चास्माभिः पर्यावरणं प्रति दृष्टिः निक्षिप्यते तदा अवबुध्यते तत् पर्यावरणदृशो प्राणिधारिभिः सह तदितरेषां वन - वृक्षसागरसरितां गहनम सामञ्जस्यं वर्तते। सम्प्रति विज्ञानेन सूक्ष्मस्थूलाध्ययनाभ्याम् अन्वेषणेन च परीक्ष्य तथ्यमिदं स्पष्टीकृतमस्ति यत् वृक्षवनस्पत्यादिभिः श्वसनप्रक्रियायां विसर्जितः ओषजन (आक्सीजन – अभिधानो वायु - विशेषः) श्वसद्भिः समस्तप्राणिभिः श्वसनक्रियायै ग्राह्यो अस्ति, यतः वायु विशेषोऽयं रक्तशोधेन परमाववश्यकः। वेदेषु बहवः मन्त्राः तादृशाः सन्ति ये खलु पूर्णतः पर्यावरणेन सम्बद्धा सन्ति। यथा एकस्मिन् मन्त्रे वैदिकः ऋषिः वनस्पतिं प्रार्थयति - “ओषधिः प्रतिमोदध्वं पुष्पवतीः प्रसूवरीः। अश्वाऽइव सजित्वरी व्वीरुधः पारयिष्णवः।।” (ऋग्वेद -4 )        
अन्यत्र च ऋषिः ओषधिं प्रार्थयति यत् - “त्वां गन्धर्व्वाऽअखनँस्त्वामिन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः। त्वामोषधे सोमो राजाव्विद्वान्यक्ष्मादमुच्यत्।।” अर्थात् हे ओषधेः त्वामिन्द्रः बृहस्पत्यादयः महान्तो देवा अद्नन् त्वत्प्रभावात् सोमाभिधः औषधीशः यक्ष्माद्यात् रोगात् विमुक्तः सञ्जातः इति।
पर्यावरणचक्रम्












पर्यावरण किम् –                                                  
        पृथिव्यां यस्मिन्भागे जीवधारिणी निवसन्ति तज्जीवमण्डतमित्युच्यते। जीवमण्डलस्य मापं प्रायः स्थिरमस्ति। श्रेत्रमिदमाधुनिक – वैज्ञानिक-दृष्ट्या पृथिवीतः प्रायः सप्तदश – क्रोशं (किलोमिटर) यावद् ऊर्ध्वं विस्तीर्णमस्ति। जीवमण्डले पृथिवी – वायु – जल – वृक्ष- वनस्पतयः सर्वे च जीवाः वसन्ति। प्राणिमण्डले पृथिवीवायुजलेन समुद्रोऽस्ति च एतानि त्रीण्यपि तत्त्वानि जीवनायावश्यकानि सन्ति।                     
           वेदा अस्माकमास्थायाः प्रतीकाः सन्ति। संस्कृतसाहित्यस्योद्गमस्थलाश्च संस्कृतेः सभ्यतायाः ज्ञानविज्ञानस्योन्नायकाः विधायकाश्च वेदाः। वेदेषु पर्यावरणमेव मानवस्य समग्रोन्नत्याः केन्द्रबिन्दुः वैदिकसाहित्यमस्ति। यद्यपि अल्पज्ञाः – मन्दमतयः वेदानां वैदिकप्रकृतिम् अनुसृत्य तस्य अर्थनिरूपणार्थे प्रयत्नं कृतवन्तः यस्मात् वेदानां वैज्ञानिकतायां प्रश्नचिह्नम् उद्भवति। ऋषिप्रणीतार्थानां प्रतिपादनं वैज्ञानिकतायाः पराकाष्ठा। लौकिक – वैदिकार्थानां भिन्नतां प्रदर्श्य वैदिकसाहित्यं यं मार्गमदर्शयत् तत् स्मरणीयमस्ति। पर्यावरणीया व्यवस्था वेदचतुष्टये येन केनाऽपि रूपेण लभ्यते किन्तु यजुर्वेदे मुख्यतः कर्मकाण्डस्य विषयत्वात् पूर्णं विवेचनं प्राप्यते। यजुर्वेदस्य प्रथमः मन्त्रः एव अस्य परिचायकः। अस्य वेदस्य एकस्मिन् मन्त्रे जगति व्याप्तकलानां वर्णनमस्ति यत्र पृथिव्याकाशवायु – अग्नीनां प्रतिपादनमस्ति। एतत् सर्व परमात्मना प्रजायाः प्रकाशाय विरचितम्। एताः षोडशकलाः सन्ति। यथा – 
ईक्षणं (यथार्थविचारः)।
प्राणः (वायु) यः विश्वं विभर्ति।
श्रद्धा (सत्ये विश्वासः)।
आकाशः।
वायुः।
 अग्निः।
जलम्।
पृथ्वी।
इन्द्रियाणि।
मनोज्ञानम्।
अन्नम्।
वीर्यम्।
तपः (धर्मानुष्ठान् - सत्याचारौ)।
मन्त्राः (वेदविधा)।
कर्माणि (सर्वचेष्टाः)।
नाम (अर्थात् दृश्यादृश्य पदार्थानां संज्ञा)।
           ऐतरेब्राह्माणे अपि उक्तमस्ति – ‘मनुष्यसमूहस्य सुखं यज्ञेन भवति।’ संस्कारितद्रव्याणां हवनेन विदुषे मानवाया आनन्दः प्राप्यते यतोहि परमार्थात् ईश्वरः परोपकारिणं नानाविधसुखैः तर्पयति।
       शतपथब्राह्मणेऽप्युक्तमस्ति यत् हवने यानि द्रव्यानि क्षिप्यन्ते तैः धूमः वाष्पश्च उत्पद्यते यतोहि अग्नेः स्वभावः पदार्थषु प्रविश्य छिन्नं भिन्नं करोति पश्यात् ते लघु भूत्वा वायुना सह आकाशे सह आकाशे व्याप्नुवन्ति।
‘अग्नेर्वैधूमो जायते धूमाद् भ्रमाद् वृष्टिरग्नेर्वा एता जायन्ते तस्मादांह तपोया इति।’
             ऋग्वेदे इन्द्रवृत्रासुरसूक्तं पर्यावरण – शिक्षायाः सुरक्षायाः च विषयः समेषाम् अवधानम् आकर्षयति। महर्षिः स्वकीये भाषार्थे वर्णनं सुन्दररूपेण कृतवान्। इन्द्र इति सूर्यस्य नाम, यः महान् पराक्रमी तेजोवान् चाऽस्ति। सः स्व – किरणैः वृत्रं अर्थात् मेघं हन्ति, स च मृतो भूत्वा पृथिव्यां पतति तां च व्याप्नोति तथा महद् इन्द्रियरूपेण परिपूर्णा भूत्वा समुद्रे मिलति, पुनः सूर्येण मेघरूपे व्याप्नोति। वृत्रस्य अस्मात् जलरूपशरीरात् बहव्यः नद्यः उत्पन्नाः भूत्वा अगाधे समुद्रे मिलन्ति, अवशिष्चं जलं कूपतडागादिजलाशयेषु विद्यते तत् मन्ये पृथिव्यां शेते इव।
ज्योतिषशास्त्रानुसारेण पर्यावरणस्य महत्त्वम् -             
   प्राचीनभारतीय – ज्यातिषशास्त्रे सूर्यचन्द्रादीनां ग्रहाणां पूज्यत्वेन स्वीकारः प्राचीनानां भारतीयानां पर्यावरणविषयकं चिन्तनं प्रस्तौति। शास्त्रेऽस्मिन्तेषां ग्रहाणां देवत्वमपि प्रतिष्ठापितम्। ज्योतिषशास्त्रे विशिष्ठ रूपेण ग्रहस्य विचारः क्रियते, एवं ग्रहा अनुसारेण पूर्णिमायां रात्रिसमये चन्द्रेणाकृष्णस्य सन्तुलयन्ति जलमुत्थानं प्राप्नोति तथा च कृष्णपक्षे यथायथं चन्द्रकलानाम् ह्रास्यः भवति। शुक्लपक्षे च यथायथं बृद्धिर्भवति तथा तथा सम्पूर्णेऽपि पर्यावरणे कश्चन विशिष्टः प्रभावो दरीदृश्यते। शुद्धं वातावरणं स्वस्थं च जीवनं सर्वविधस्य विकासस्य साधकं भवतीति विचिन्त्यैव संस्कृतसुकविभिर्वातावरणशुद्धिर्बहुधा तेन हि तेषां मनीषिणां पर्यावरणं प्रति जागरूकत्वं स्पष्टं परिलक्ष्यते। मातृवत् पृथिव्यां श्रद्धाभावो वेदेषु बदुधा प्रकाशितः – 
“माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः”
एवम्विधेषु मन्त्रेषु भूमण्डलेन मानवजातेः स्नेहमयः सम्बन्धः प्रदर्शितः।
         इमे कवयः पर्यावरणसंरक्षणविषयकज्ञानस्य धारां महर्षिभ्यः समासादितां स्वप्रज्ञाबलेन परिष्कृतवन्तः। अस्या परम्पराया निर्वाहः कालिदास – बाणभट्ट – भवभूति – प्रभृतिभिः परवर्तिभिः कवुभिरपि सम्यक्तया कृतः। इयमेव प्रकृतिः कालिदासस्य काव्येषु संश्लिष्टसौन्दर्यमुपस्थापयति। कविकुलगुरुः कालिदासः प्रकृतेः सूक्ष्मातिसूक्ष्ममपि पक्षं स्वसाहित्ये प्रकाशयति स्म। ऋतुसंहारे मेघदूते तथा च अभिज्ञानशाकुन्तले प्रकृतिवर्णनं सौन्दर्यततत्त्वैः सञ्जातमिति कल्पितम्। 

सारांशः –
            सम्प्रति चतुर्ष्वपि वेदेषु महत्वपूर्ण वर्णनमस्ति। तस्य कारणमिदमस्ति यज्ञ एव स विधिर्येन प्राकृतिकं सन्तुलनं स्थापयितुं, वायुमण्डलशोधनम्, विविधरोगविनाशः, शारीरिकी, मानसिकी, चोन्नतिः रोगनिवारणेन दीर्घायुष्यप्राप्तिश्च सम्भवति। यक्षेन भूप्रदूषणं जलप्रदूषणं, वायुप्रदूषणं, ध्वनिप्रदूषणञ्च निरोधयितुं शक्यतें एतस्मादेव कारणाद्वेदेषु यज्ञ – यागादीनां वर्णनं महत्वपूर्णेन विधिना कृतमस्ति।
वस्तुतः प्रकृतावेका चक्रव्यवस्था प्रचलति, येन प्रत्येकं पदार्थः स्वकीयं मूलस्थनवाप्नोति। एमस्मिन्नेवाधारे ऋतुचक्रम्, वर्षचक्रम्, अहोरात्रचक्रम्, सौरचक्रम्, चान्द्रचक्रादिकञ्च विविध चक्रम् प्रवर्तितं भवति। इदं प्राकृतिकं चक्रमेव पारिभाषिकशब्दावल्ल्यां यज्ञ इत्युच्यते। सोऽयं विश्वस्मिन् प्रतिक्षणं प्रचलति। यज्ञोऽयमस्य सृष्टिचक्रस्य नाभिरुक्तः। तद्यथा यजुर्वेदः – “अयं यज्ञो भुवनस्य नाभिः” इति गोपथब्राह्मणे वर्णितमस्ति। यदृतुसन्धानवेव व्याधिर्जायते। तस्मद्व्याधिशान्तये यज्ञोऽपि ऋतुसंन्धानमेव क्रियते। यथा – “भैषज्ययज्ञा वा एते, ऋतुसंन्धिषु प्रयुज्यन्ते, ऋतुसंन्धिषु वै व्याधिर्जायते” इति। यज्ञेषु प्रयुक्तानि द्रव्याणि – यज्ञेषु समिधा, घृतम् हव्यसामग्रयः स्थालीपाकादयश्च प्रयुज्यन्ते। अत ऐतेषां पदार्थानामुपयोगेन प्रकृतेः संतुलनम्, पर्यावरणस्यशोधविविधाधिव्याधिविनाशः, सर्वविधशान्तिसम्भवति।
 मानवसभ्यतायाः संरक्षणाय विकासाय हि पर्यावरणशिक्षा अत्यन्तमावश्यकी अस्ति। यतोहि पर्यावरणविषयिणी जागरूकता यदि मानवस्य एव न स्यात् तर्हि यूनान- मिस्र – रोम – बेबीलोन – हडप्पादयः सभ्यता प्रत्येकं क्षेत्रविशेषस्य च संस्कृतिः धूलिधुसरिता भविष्यति अतः मानवरूपप्राणिनः तत्सभ्यतायाः तत्संस्कृते च पल्लवनं मानवस्य आद्यं कर्तव्यम्। पर्यावरणस्य अस्यामेव विस्तृतभावनायां भूमण्डलाश्रितानि सर्वाणि तत्त्वानि अन्तर्भवन्ति येन मानवजीवनं प्रभावितं भवति।
        यदि वयं पर्यावरणं प्रति उपेक्षां करिष्यामः तर्हि विश्वमानवः विनाशस्य शिखरे प्रत्यासन्नो भविष्यति। पर्यावरणशिक्षया मानवः प्रकृतिं प्रायोन्मुखं भवति। प्रकृत्याः अनावश्यकदोहनस्य प्रतिफलात् ज्ञास्यति। यच्च मानवसंस्कृत्यै अमङ्गलकारी अस्ति। पर्यावरणशिक्षया – एव पर्यावरणपरिवेशे औचित्यानुगुणम् आमूल –चूल – परिवर्तनं कृत्वा परमाणुयुद्धस्य विभीषिकया मुक्तः भविष्यति। इयं हि शिक्षा मानवं समुचितान् नैतिकाञ्च मूल्यान् प्रति सचेतनान् कृत्वा विश्वमानवसंस्कृतेः विकासाय योगदानं कर्तुं शक्नोति। इत्थम् 
                                                                                       .....अशोक कुमार:
          शिक्षाचार्य:











    उपयुक्तग्रन्थसूची
     Bibliography

द्विवेदी, कपिलदेव, (2010) संस्कृतनिवन्धशतकम्, वाराणसी, विश्वविद्यालय प्रकाशन वाराणसी।
सक्सेना ए.बी, पर्यावरण शिक्षा, देहली, आर्यबुक डिपो देहली।
शास्त्री, रामानारायण, (1968) संस्कृतवाङ्मये पर्यावरण विज्ञानम्, संस्कृतमञ्जरी, विज्ञान- विशेषाङ्क, नवदेहली। देहलीसंस्कृत – अकादमी, वर्ष 8 अङ्क।
घिल्डियालऋ, विनीत, (2007) वैदिक वाङ्मयेपर्यावरण चिन्तनम् संस्कृतमञ्जरी, शोधपत्रिका, नवदेहली देहलीसंस्कृत- अकादमी। वर्ष 6 अङ्क।
पाठकः, कमलाकान्त, (2010) अग्निहोत्रेण पर्यावरण शोधनम्ष संस्कृतमंञ्जरी, शोधपत्रिका, नवदेहली, देहलीसंस्कृत – अकादमी, वर्ष 9 अङ्क 2
डा. मण्डन मिश्र, संस्कृत संस्कृति मञ्जरी, नाग प्रकाशन, नवदेहली।

शोधसंक्षिप्तिका शिक्षाचार्य (Synopsis M.Ed Sanskrit Medium)

श्लिष्टा क्रिया कस्यचिदात्मसंस्था संक्रान्तिरन्यस्य विशेषयुक्ता ।

यस्योभयं साधु स शिक्षकाणां धुरि प्रतिष्ठापयितव्य एव ।।

(मालविकाग्निमित्रम् 1/16)

शोधस्य पृष्ठभूमिः (Preface of Research)

    वेदाः सन्त्यानुसन्धातृभिः महर्षिभिरनुभूतस्य परमतत्त्वस्य बोधयितारो भूत्वा भुवि विभान्ति । यत्र प्रत्यक्षस्य न च अनुमानस्य प्रवेशस्तत्रापि ते प्रविशन्ति । एषामेव भारतीयसभ्यता-संस्कृतेश्चाधारमूलानां शिक्षा वर्तते षडङ्गेषु आद्यमङ्गमत्र । स्वरवर्णाद्युच्चारणप्रकारो यत्र शिक्ष्यते उपदिश्यते च सा  शिक्षेति । वेदानां वैदिकसाहित्यस्य वा अध्ययनाध्यापनविषयकविधीनां निर्देशः शिक्षाशास्त्रे कृतः । शिक्षाशास्त्रेतिहासः पुरातनतरः वर्तते । संस्कृतवाङ्मये विशेषतः व्याकरणशिक्षणं प्रमुखं स्थानं भजते । प्रत्येकं भाषा तत्तद्वयाकरणनियमानुसारं स्वीयपरिधिनिर्माणपुरस्सरं विशिष्टां रूपरचनां सृजतीति स्पष्टमेव ।

    संस्कृतभाषा भाषास्वादिभाषा । यास्क-पाणिनि-पतञ्जलिप्रभृतीनां विद्वद्धौरेयाणां ग्रन्थाः संस्कृतभाषायाः लोकव्यवहृतेश्च सन्ति समुज्ज्वलानि ज्वलन्ति प्रमाणानि । भारतीयभाषासु सुरमणीया, सुललिता, मधुरा, सर्वप्राचीना चेयं संस्कृतभाषा कठिनेति मन्वानाः बहवः एतदध्ययनात् पराङ्मुखाः तिष्ठन्ति । तत्रैव एतदपि आश्चर्यभूतं दरीदृश्यते यत् सहस्रशः संस्कृतविद्वान्सः, सेवारताध्यापकाः, अध्येतारः, समर्पितजीवनाः संस्कृतप्रचारकाः छात्राः, बान्धवाः च अस्याः अभ्युत्थानाय अहर्निशं यतमानाः सन्ति । एतेषां प्रोत्साहनाय संस्कृतायोगः ऊर्जाबलं यथासमयं प्रयच्छत्येव । संस्कृतभाषाशिक्षणे विविधेषु आधुनिकेषु शिक्षाशास्त्रग्रन्थेषु सत्सु प्राविधिक-शास्त्रप्रतिपादिते अभिक्रमिताधिगमप्रविधिप्रतिपाद्यः रेखीयाभिक्रमिताधिगमः विषयेऽस्मिन् किञ्चिदनुसन्धाय तस्य व्याकरणांशाधिगमे कीदृशो प्रभावः भवतीति जिज्ञासया कारकाधिगमे रेखीयाभिक्रमस्य प्रभावेति समस्यामाहृत्य प्रयोगात्मकमनुसन्धानं विधास्यते ।

शोधक्षेत्रम् (Research Area)

अस्त्युत्तरां दिशमलङ्कुरुते प्रकामं हैमाचलः सकलपर्वतराजिराजः ।

स्थूलाङ्गतुङ्गशिखरावलिभिवृतो यः स्रग्भिर्यथा सुरसरितसुमजाभिरिन्द्रः ।।

महाहिमवन्तस्य उपत्यकासु वासकारणादस्य प्रदेशस्य नाम हिमाचलमिति अभूत् । हिमाचलप्रदेशस्य शाब्दिकार्थः भवति हिमावृतपर्वताभ्यन्तर्स्थितप्रदेशः इति प्रदेशोऽयं पर्वतराज्ञी, देवभूमिः, बुद्धभूमिश्चापि नामाख्याता वर्तते । 55673 वर्गकिलोमीटर्-परिमितो विस्तीर्णोऽयं देवभूमिति कथ्यमानः प्रदेशः 26 जनवरी,1971 तमे वर्षे पूर्णराजस्वमाप्नोत् । प्रदेशेऽस्मिन् द्वादशजनपदाः वर्तन्ते । एषु द्वादशसु जनपदेषु सर्वाधिके (297 संख्यात्मके) उच्चमाध्यमिकविद्यालययुते  अनुसन्धात्रा चित्ते काङ्गड़ाजनपदे  एव शोधाध्ययनं समपत्स्यते । 


शिक्षा (Education)

    संस्कृतभाषायां शिक्षा  इति पदस्य व्युत्पत्तिः शिक्ष् विद्योपादाने इति धातोः गुरोश्चहलः इति पाणिनिसूत्रेण अ प्रत्यये सति निष्पन्ना भवति । अस्यार्थो भवति विद्याग्रहणम्  इति (ऋग्वेदः)। वेदेषु सर्वत्र स्वरप्राधान्यं भवत्येव, स्वरभेदनार्थभेदसम्भवात् । इदं स्वरज्ञानं शिक्षाधीनं भवति । अतः शिक्षाशास्त्रस्य वेदाङ्गता सुतराम् उपपद्यते ।

माध्यमिकस्तरःMiddle Level माध्यमिक-शिक्षाऽऽयोगः1952-53( मुदालियरायोगः)

    अस्याध्ययनस्तरस्य संस्तुतिः भारतसर्वकारेण माध्यमिक-शिक्षाऽऽयोगाय प्रदत्ता अस्ति । अनेन आयोगेन अत्र माध्यमिकस्तरे शिक्षोद्देश्यानि परिष्कृतानि सन्ति । सामान्यतः आयोगस्यास्य निश्चितोऽयं स्तरः यत् षष्ठीकक्ष्यारभ्य दशमीकक्ष्यापर्यन्तं माध्यमिकस्तरः वर्तते । अस्य स्तरानुगुणं प्राचल्यमानस्य पाठ्यक्रमस्य एव अध्यापनं विद्यालयेषु अध्यापकः सम्पादयति ।

कारकम् ( Karakam)

    क्रियान्वयि कारकम् इति पाणिनिसम्मत्तम् । अर्थात् क्रियायाः अन्वयः क्रियान्वयः । अन्वयः नाम सम्बन्धः । क्रियान्वयः अस्तीति क्रियान्वयि । यः क्रियया अन्वेति (सम्बन्धं प्राप्नोति) सः कारकमित्युच्यते इति फलितार्थः । व्याकरणशास्त्रे कारकाणि षडविधानि निगदितानि -

कर्ता कर्म च करणं सम्प्रदानं तथैव च ।

आपादानाधिकरणम् इत्याहुः कारकाणि षट् ।। 

रेखीयाभिक्रमः(Linear Programme)

    रेखीयाभिक्रमः अर्थात् शिक्षणक्रमबद्धता । शृङ्खलाभिक्रम-बाह्यानुदेशनप्रभृतनामभिः बहुश्रुतः अयं सक्रिय-शिक्षणानुबद्धताक्रमः अभिक्रमिताधिगमहेतुः अनुदेशनप्रदायकः प्रकारविशेषो वर्तते । अभिक्रमितानुदेशनप्रक्रियायाम् अस्य एव प्रकारविशेषस्य शिक्षणे आद्यप्रयोगः शैक्षिकप्रविधौ उपादेयः प्रोक्तः । मनोवैज्ञानिकस्य श्रीमतःबी.एफ्.स्किनरमहोदयस्य नामोल्लेखः महत्तां भजते यः 1943 तमे वर्षे कपोतानामुपरि प्रयोगं विधाय अधिगमाय  सक्रियानुबन्धानुक्रियेति सिद्धान्तस्य प्रतिपादनमकरोत् । रेखीयाभिक्रमे विषयस्य लघुषु-लघुषु पदेषु विभाजनं क्रियते । एतेषु पदेषु त्रीणि तत्त्वानि निहितानि भवन्ति । उद्दीपन-अनुक्रिया-पुनर्बलनादयः इत्येते त्रयः बिन्दवः शिक्षणस्य सफलतां परिपोषयन्ति । रेखीयाभिक्रमे प्रस्तावनापद-शिक्षणपद-अभ्यासपद-परीक्षणपदञ्चेत्येते पाठनस्य पदविभागाः सन्ति । तन्त्रांशोपागमे यदा शिक्षायां बलं दीयमानमासीत् तदा स्वाध्यायसामग्रीनिर्माणे प्रयासः क्रियमाणः आसीत्  । तस्मिन्  स्किन्नरयोगदानपरिणामरूपः रेखीयाभिक्रमः स्वाध्यायसामग्रीनिर्माणप्रक्रमः सृष्टो वर्तते । प्रवर्तमानानेहसि उदाहरणत्वेन दूरस्थशिक्षणपाठ्यक्रमः एतदेव सिद्धान्ताधारितो वर्तते । मनोवैज्ञानिकसिद्धान्ताधारितेऽस्मिनभिक्रमे छात्राणां व्यक्तिगतविभिन्नताधारितं शिक्षणं, तार्किकक्रमेण, क्लिष्टविषयाणां बोधगम्यतासम्पादनं विशेषतया प्रवर्तते । 

समस्याकथनम् (Statement of the Problem)

    हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ-उच्च-माध्यमिकस्तरच्छात्राणां कारकाणामधिगमे रेखीयाभिक्रमस्य प्रभावः ।

अध्ययनस्य आवश्यकता महत्त्वञ्च (Need and Importance of Study )

    शिक्षाजगति संस्कृतवाङ्मये प्रमुखनामाख्यातस्य व्याकरणस्याध्ययनं विधिनानेन कर्तुं शक्यं न वा इत्यनया जिज्ञासया अनुसन्धाने प्रविधिरयं व्याकरणशिक्षणाय चितः। व्याकरणशास्त्रे विषयविशालतां परिदृश्य कारकं नाम्ना छात्रोपकारकः प्रचलितः विषयः अनुसन्धानाय चितः । उच्च-माध्यमिकस्तरे विषयस्यास्य अधिगमः छात्राणां न संभवति । अतः एतस्मै स्तराय कारकविषयः सुलभतरः भवेदिति मत्वा अयं प्रविधिः अनुसन्धानाय स्वीकारि ।

    अपि च यद्यपि बहुनाधीषे तथापि पठ पुत्र व्याकरणमिति भाषा शुद्धतायाः स्पष्टतायाः वा ज्ञानसम्पादनार्थम् अनुसन्धानविषयः परिकल्पितो वर्तते । यतः क्लिष्टमिदं व्याकरणशास्त्रं तस्मात् सुलभोपायाभावे संस्कृतव्याकरणांशाः सुकरतया अवगन्तुं शक्येति प्रतिपादयितुम् अध्ययनस्य आवश्यकता वर्तते नितराम् ।



अध्ययनस्योद्देश्यानि (Aims of Study) 

  1.  हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ-उच्चमाध्यमिकस्तरे रेखीयाभिक्रमस्य प्रभावपरिशीलनम्  ।

  2. हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ-उच्चमाध्यमिकस्तरे रेखीयाभिक्रम-पाठ्यक्रमः कारकाधिगमं प्रभावयति न वा इति परीक्षणम् ।

  3. हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ-उच्चमाध्यमिकस्तरे स्वाध्यायेन छात्रेषु जायमानायाः अवबोधशक्तेः अध्ययनम् ।

  4. उच्चमाध्यमिकस्तरीयच्छात्रेषु कारकाधिगमार्थं रेखीयाभिक्रमाणां निर्माणम् ।

  5. उच्चमाध्यमिकस्तरे कारकाधिगमार्थं निर्मितानां रेखीयाभिक्रमाणां प्रामाणिकतासम्पादनम् । 

  6. उच्चमाध्यमिकस्तरे कारकाधिगमे लिङ्गमिति चरस्य प्रभावपरिशीलनम् ।

  7. उच्चमाध्यमिकस्तरे कारकाणामधिगमे शालाप्रकारः इति चरस्य प्रभावपरिशीलनम् ।

  8. हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ-उच्चमाध्यमिकस्तरच्छात्रेषु कारकाधिगमे प्रान्तीयता (ग्रामीणनागर) इति चरस्य प्रभावपरिशीलनम् ।

अध्ययनस्य प्राक्कल्पना ( Hypothesis of Study)

  1. हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ-उच्चमाध्यमिकस्तरच्छात्रेषु कारकाणामधिगमे रेखीयाभिक्रमिताधिगमसामग्र्याः प्रभावः न स्यात् ।

  2. हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ-उच्चमाध्यमिकस्तरे कारकाणामधिगमे लिङ्गमितिचरस्य प्रभावः न स्यात् । 

  3. हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ- उच्चमाध्यमिकस्तरे कारकाणामधिगमे शालाप्रकारः इति चरस्य प्रभावः न स्यात् । 

  4. हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ- उच्चमाध्यमिकस्तरच्छात्रेषु कारकाधिगमे प्रान्तीयता (ग्रामीणनगर)   इति चरस्य प्रभावः न स्यात् ।

  5. हिमाचलप्रदेशस्य काङ्गडाजनपदस्थ- उच्चमाध्यमिकस्तरच्छात्रेषु कारकाधिगमे स्मृति-अवबोध-चिन्तनस्तरेषु पारम्परिकस्वाध्याय-अभिक्रमिताधिगमसामग्र्योः प्रभावे भेदः न स्यात् । 

अध्ययनस्य सीमाङ्कनम् (Limitations of Study)

    करिष्यमाणेऽस्मिन् अनुसन्धानकार्ये क्षेत्रविषयबहुलतां च मनसि निधाय विस्ताराधिक्यम् अनाचरय्य विषयस्य अध्ययनाय क्षेत्रसीमा अर्थात् परिमितिः काचिद् निर्धारिता वर्तते -

1. प्रस्तुताध्ययने कारकाणामधिगमाय चित्तः रेखीयाभिक्रमप्रविधिः उच्चमाध्यमिकस्तरच्छात्रेषु एव प्रयुक्तो भविष्यति ।

2.उच्चमाध्यमिकस्तरे नवमी-दशमीकक्षयोः अधीयानाच्छात्राः एव अध्ययनाय ग्रहिष्यन्ते ।

3.अध्ययनाय विविधपाठ्यक्रमाधारिताः उच्चमाध्यमिकपाठशालाः एव स्वीकृताः भविष्यन्ति ।

4.सर्वकारेणानुदानिता तथा च अनुदानेतरोच्च-माध्यमशालाश्च प्रयोगार्थं स्वीकृताः भविष्यन्ति ।

शोधविधिः(Method of Research)      प्रस्तुतशोधकर्मणि तस्य प्रकृतिम् आवश्यकतां क्षेत्रं  च मनसि निधाय अस्मिन् विषये प्रयोगात्मकविधेः एव प्रयोगः भविष्यति ।

अध्ययनस्य न्यादर्शः (Sample of Study)

    समयस्य धनस्य मानवशक्तेः साधनानाञ्च सदुपयोगितायाः प्रवर्तकः परिगण्यते न्यादर्शः । वैज्ञानिकाध्ययने न्यादर्शेण विना समस्यानां समाधानं भवितुं न अर्हति । अतः न्यादर्शानाम् अनुसन्धानकर्मणि विशिष्य शैक्षिकानुसन्धाने अन्यतमा भूमिका वर्तते ।

    राज्यशः भारतवर्षे शिक्षाजगति माध्यमिकशिक्षायां विविधता परिदृश्यते । अनुसन्धात्रा शोधाध्ययनाय चित्ते हिमाचलप्रदेशे माध्यमिकस्तरभेदानां विवरणमिदमित्थम्प्रकारेण वर्तते-

       

        षष्ठीतः अष्टमीकक्ष्यापर्यन्तम् - माध्यमिकस्तरः 

        षष्ठीतः दशमीकक्ष्यापर्यन्तम् - उच्चमाध्यमिकस्तरः

        षष्ठीतः द्वादशीकक्ष्यापर्यन्तम् - वरिष्ठमाध्यमिकस्तरः

हिमाचलप्रदेशे काङ्गडाजनपदे षष्ठीतः दशमीकक्ष्यापर्यन्तम् उच्चमाध्यमिकविद्यालयानां संख्यात्मकं विवरणम् -

        आहत्य (वर्ष-2012) उच्चमाध्यमिकविद्यालयाः  297 

        हिमाचलसर्वकारीया उ.मा.वि.(H.B.S.E) 65

        केन्द्रिय-स्कूलशिक्षाबोर्ड उ.मा.वि.(C.B.S.E) 41

        भारतीय-विद्यालय-शिक्षापरिषद् उ.मा.वि.(I.C.S.E) 3

        निजी-उ.मा.वि.(PRIVATE) 188 

    शोधकर्त्रा शोधाध्ययनाय उच्चमाध्यमिकस्तरे द्वे (नवमी-दशमी) कक्ष्ये स्वीकृते स्तः । अत्र दशमीकक्ष्या बोर्डकक्ष्या वर्तते । तत्र अनुसन्धानाध्ययनाय पूर्णतः अवकाशः न प्राप्येत । अतः शोधाध्ययनाय चिकार्षीत् । शोधार्थी     परीक्षणाय उच्चमाध्यमिकविद्यालयस्य द्विशतच्छात्रान् स्वीकरिष्यति । प्रायोगिकविधिना च छात्राणां परीक्षणं करिष्यति ।

न्यादर्शविवरणम् -

    उ. मा. वि. नाम                                                            छात्रसङ्ख्या

                                    बालकाः            बालिकाः

हिमाचलसर्वकारीया उ.मा.वि.(H.B.S.E)                 25            25

केन्द्रिय-स्कूलशिक्षाबोर्ड उ.मा.वि.(C.B.S.E)                 25            25

भारतीय-विद्यालय-शिक्षापरिषद् उ.मा.वि.(I.C.S.E)              25            25

निजी उ.मा.वि.(PRIVATE)                          25            25

एवं स्वीकृतानां न्यादर्शानामाधारेणैव शोधाध्ययनं सम्पत्स्यते ।


प्रयक्तोपकरणानि  ( Tools to be used ) 

    - रेखीयाभिक्रमयुतनिर्मिता कारकविषयिणी पाठ्यसामग्री ।

    - पूर्वोत्तरपरीक्षापत्रे ।

प्रदत्तानां संकलनम् (Data Collection)

    शोधकर्त्रा प्रश्नावल्या आधारेण प्रदत्तानामेकत्रीकरणम् एवञ्च संकलितरूपस्य विश्लेषणं करिष्यते ।

प्रदत्तानां विश्लेषणम् एवञ्च व्याख्या (Analysis of Data)

    प्रस्तुतेऽस्मिन् शोधकार्ये शोधकर्ता प्रदत्तानां सांख्यिकीयविधिभिः विश्लेषणं व्याख्यां च करिष्यति।

प्रयुक्तसांख्यिकीयविधयः(Use of Statistical Method)

    मध्यमानम्            (Mean)

    प्रामाणिकं विचलनम्        (Standard Deviation)

    टी.मूल्यपरीक्षणम्        (T-Value)

    स्तम्भाकृतयः            (Histograms)


निष्कर्षः(Finding)प्रदत्तानां विश्लेषणस्याधारेण निर्दिष्टानां परिकल्पनानां परीक्षणं प्रवर्तयिष्यते । परीक्षणस्याधारेण परिपृष्ट्यादिविषयाणां परिज्ञानं भविष्यति । अस्याधारेण च शोधकर्त्रा शोधस्य निष्कर्षः निष्कासयिष्यते  ।





शोधस्य प्रारूपम् (Design of Research)

प्रथमोऽध्यायः

        1.1 प्रस्तावना

        1.2 समस्याकथनम्

        1.3 शोधस्यावश्यकता

        1.4 शोधोद्देश्यानि

        1.5 शोधप्राक्कल्पना

        1.6 सीमाङ्कनम्

        1.7 पारिभाषिकशब्दावली

द्वितीयोऽध्यायः

        2.सम्बन्धितसाहित्यस्याध्ययनम् ।

तृतीयोऽध्यायः

        3.1 शोधप्रविधिः

        3.2 शोधन्यादर्शः

        3.3 शोधोपकरणानि

        3.4 प्रदत्तानां संकलनम् 

चतुर्थोऽध्यायः

        4.प्रदत्तानां सांख्यिकीयविधिभिः विश्लेषणं व्याख्या च ।

पञ्चमोऽध्यायः

        5.1 शोधसारांशः

        5.2 शोधनिष्कर्षः

        5.3 शोधपरामर्शः 

        5.4 भाव्यानुसन्धानम्

सन्दर्भग्रन्थसूची

परिशिष्टम्

प्रश्नावली